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कतील की हत्या में एटीएस की भूमिका की जांच हो- पीयूसीएल

बीएच न्यूज़ डेस्क

पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) ने इंडियन मुजाहीदीन के आतंकी होने के आरोप में पुणे जेल में बंद कतील सिद्दिकी की जेल में की गई हत्या पर एटीएस की भूमिका पर सवाल उठाते हुए घटना की न्यायिक जांच की मांग की है. एडवोकेट मुहम्मद शुऐब और संगठन के प्रदेश संगठन सचिव शाहनवाज आलम और राजीव यादव ने जारी बयान में कहा कि जिस तरह केंद्र सरकार फसीह महमूद की अवैध गिरफ्तारी के मामले में सुप्रीम कोर्ट को गुमराह कर रही है, ऐसे हालात में उसी घटना से जुड़े कतील जैसे एक अहम कड़ी की हत्या सरकार और एटीएस को कटघरे में ला देती है.

मानवाधिकार नेताओं ने यह भी कहा है कि जिस तरह फसीह के वकील मुहम्मद नौशाद खान को लगातार फोन पर धमकियां दी जा रही हैं और प्रशासन के समक्ष शिकायत के बावजूद उन्हें धमकाने वाले नहीं पकड़े जा रहे हैं, उससे भी सरकार की आपराधिक भूमिका साबित होती है.

मानवाधिकार नेताओं ने कतील की हत्या की तुलना बटला हाउस फर्जी मुठभेड़ से करते हुए कहा कि अब सरकार आरोपियों की हत्या जेल के अन्दर भी करने लगी है और उसका बहाना कैदियों के आपसी झगड़े और गैंगवार को बताकर अपनी आपराधिक भूमिका को छिपा लेना चाहती है. जैसा कि पहले भी तिहाड़, जयपुर और अहमदाबाद की जेलों में बंद मुस्लिम आरोपियों पर हुए कातिलाना हमलों में हुआ है. उन्होंने मांग की कि एटीएस की इस आपराधिक भूमिका के मद्देनज़र आतंकवाद के आरोप में विभिन्न जेलों में बंद मुस्लिम आरोपियों को सुरक्षा मुहैया कराई जाय.

पीयूसीएल नेताओं ने कहा कि पिछले दिनों दरभंगा दौरे में यह बात कतील के पिता ने उन्हें बताई थी कि इस गिरफ्तारी में उनके थाने की पुलिस का भी सहयोग था, जो बिहार की नीतिश सरकार के दोहरे चरित्र को उजागर करता है. जो बाहर तो कहते हैं कि बाहरी एटीएस बिना हमारी जानकारी के दरभंगा से लड़कों को उठा ले जा रही है. इसलिए कतिल की हत्या में सिर्फ एटीएस, एनआईए और खुफिया विभाग ही नहीं बिहार पुलिस की भूमिका की भी जांच होनी चाहिए.

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