तस्वीरें बोलती हैं. दरअसल, एक तस्वीर ऐसी तकनीकी ‘क्रांति’ का प्रतीक है जो बिना खून बहाए सत्ता पर काबिज़ होती है, समूचे समाज की सोच बदल देती है. मानसिकता झकझोर कर रख देती है.
तस्वीरों का यह नायाब संसार अचानक तेजी से हमारे समाज के सामने आया है. हर चीज को देखने-परखने, समझने-समझाने में यही तस्वीर हावी हो गई है. शहरी बहुसंख्यक तबके के हर व्यक्ति की जेब में मोबाइल के जरिए कैमरा मौजूद है. आज हर जेब में कैमरा है और उस कैमरे से चलती-बोलती तस्वीरों को समझने देखने वाला अलग-अलग दिमाग, तो फिर देर किस बात की है. क्रांति के ज़रिए क्रांति की नई इबारत लिखने को तैयार हो जाईए.
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नोट:- अगर आप कोई तस्वीर ले रहे हैं तो ख़ुद को या दूसरों को ख़तरे में न डालें, या किसी क़ानून का उल्लंघन न करें.