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भ्रष्टाचार के खिलाफ़ धरने पर ‘पागल’, राष्ट्रपति ने निराश किया मोदी ने मायूस…

Dilnawaz Pasha & Afroz Alam Sahil for BeyondHeadlines

क्या भ्रष्टाचार के खिलाफ़ आवाज़ बुलंद करना पागलपन है? उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती को आईपीएस अफ़सर डीडी मिश्र ने भ्रष्ट कहा तो उन्हें पागल क़रार देकर मानसिक अस्पताल में डाल दिया गया. भ्रष्टाचार के खिलाफ़ लड़ते हुए सात गोलियां खाने वाले पीसीएस अफ़सर रिंकू सिंह राही इसी साल जब लखनऊ में भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन पर बैठे तो सरकार ने उन्हें भी पागल बताते हुए मानसिक अस्पताल में डलवा दिया. और अब गुजरात रोडवेज का एक ड्राइवर विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार की सीबीआई जांच के लिए दिल्ली के जंतर-मंतर पर अनशन पर बैठा है तो उसे भी पागल क़रार देकर नौकरी से निकाल दिया गया है.

गुजरात रोडवोज के ड्राइवर जवाहर लाल बंसीलाल महाजन 07 मई 2012 से दिल्ली के जंतर-मंतर पर बैठकर रोडवेज के सूरत डिपो में व्याप्त भ्रष्टाचार की सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं. अपनी इस मांग को लेकर महाजन ने देश की तत्कालीन राष्ट्रपति श्रीमति प्रतिभा देवी सिंह पाटील से मुलाकात भी की थी. प्रतिभा पाटील ने महाजन को मामले की सीबीआई जांच का भरोसा दिलाया था, लेकिन अभी तक मामले में कोई भी जांच आगे नहीं बढ़ी है.

महाजन न्याय पाने के लिए हर चौखट पर दस्तक दे चुके हैं. उन्होंने गुजरात सरकार के तमाम महकमों समेत केंद्र सरकार के भी संबंधित महकमों में न्याय की गुहार लगाई है. केंद्रीय सड़क एव परिवहन मंत्रालय सचिवालय ने 25 जुलाई को गुजरात के यातायात सचिव को लिखे अपने पत्र में कहा है कि महाजन के निलंबन का क़दम बेहद कठोर है और इस पर पुनर्निचार किया जाना चाहिए. राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से भी गुजरात सरकार और केंद्र सरकार के संबंधित महकमों को पत्र लिखकर रिपोर्ट तलब की गई है, लेकिन अभी तक कहीं से भी संतोषजनक जवाब नहीं मिला है. गुजरात सरकार के अतिरिक्त सचिव यातायात विभाग बी.के. सिन्हा का कहना है कि उन्हें बंसीलाल महाजन के मामले की जानकारी नहीं है.

गुजरात की राज्यपाल डॉ. कमला बेनीवाल के कार्यालय से भी परिवहन विभाग से मामले में कई बार तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी जा चुकी है, लेकिन विभाग ने उन्हें रिपोर्ट पेश नहीं की है. राज्यपाल के कार्यालय से 21 जुलाई को एक बार फिर पत्र लिखकर विभाग से रिपोर्ट तलब की गई है.

न्याय की हर चौखट से निराश बंसीलाल फिलहाल जंतर-मंतर पर धरने पर डटे हैं. वो सूरत डिपो में सीएनजी घोटाले, टिकट मशीन खरीद घोटाले, स्पेयर पार्ट्स खरीद घोटाला और अन्य घोटालों की सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं.

यूं तो गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का दावा है कि वो राज्य के किसी भी नागरिक से मात्र एक फोन कॉल दूर हैं और कोई भी नागरिक उनसे मिल सकता है. लेकिन मोदी के यह वादे शायद बंसीलाल महाजन के लिए नहीं है. महाजन कई बार मोदी से मिलने का वक्त ले चुके हैं, लेकिन हर बार अधिकारी उन्हें नरेंद्र मोदी से मिलने नहीं देते.

भले ही नरेंद्र मोदी तक बंसीलाल की आवाज़ नहीं पहुंच रही है, लेकिन उन्हें मोदी पर पूरा भरोसा है. बंसीलाल कहते हैं, ‘नरेंद्र मोदी ने राज्य में बहुत अच्छा काम किया है, मुझे विश्वास है कि अगर मेरी आवाज़ उन तक पहुंच गई तो वो ज़रूर पूरे मामले की जांच कराएंगे और भ्रष्ट अफ़सर जेल पहुंचेंगे.’

राष्ट्रपति से मिलकर अपनी बात रख चुके बंसीलाल के लिए मोदी से मिलना टेढ़ी खीर है. वो जब भी मोदी के दफ्तर फोन करते हैं उनकी आवाज़ सुनते ही फोन काट दिया जाता है. यही हाल अब राष्ट्रपति सचिवालय का भी है. अपनी शिकायत पर हुई कार्रवाई की जानकारी के लिए वो राष्ट्रपति कार्यालय फोन करते हैं तो वहां से भी उन्हें आश्वासन ही दिया जाता है.

जंतर-मंतर पर डटे बंसीलाल को विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने शुरु में प्रलोभन दिया. उन्हें प्रोमोशन और मोटी रक़म का लालच दिया गया, लेकिन जब वो किसी मूल्य में नहीं बिके तो उन्हें मानसिक रूप से बीमार क़रार देकर नौकरी से निकाल दिया गया.

बंसीलाल देश के प्रधानमंत्री और गुजरात की राज्यपाल से मिलकर भी गुहार लगा चुके हैं. लेकिन गुजरात रोडवेज में हुए घोटाले की सीबीआई जांच तब तक नहीं हो सकती जब तक राज्य सरकार इसकी अनुमति न दे. दिल्ली में तो बंसीलाल अपनी आवाज़ बुलंद कर रहे हैं, लेकिन गुजरात सरकार में उनकी सुनने वाला कोई नहीं है.

ये अलग बात है कि प्रदेश के तमाम बड़े अख़बारों के फ्रंट पेज पर भी बंसीलाल की बात प्रकाशित हो चुकी है. भ्रष्टाचार के खिलाफ़ लड़ते हुए मानसिक शोषण झेल रहे हजारों लोगों में से बंसीलाल एक हो सकते हैं, लेकिन उनका मामला कई गंभीर सवाल खड़े करता है.

सबसे पहला सवाल यही है कि जब भी विभाग के अंदर का कोई कर्मचारी भ्रष्टाचार और शोषण के खिलाफ़ आवाज़ उठाता है तब उसे पागल क़रार देकर नौकरी से क्यों निकाल दिया जाता है? बंसीलाल के साथ जो हो रहा है वो दुखद है लेकिन उससे भी ज्यादा दुखद है आम जनता की खामोशी. लोग बस में बैठकर सफ़र तो आराम से करते हैं, लेकिन उन्हें बस की सेहत की फिक्र नहीं है और अब जब रोडवेज का ही एक कर्मचारी बस की सेहत सुधारने की कोशिश कर रहा है तब वो उसके साथ नहीं हैं.

फिलहाल बंसीलाल जंतर-मंतर पर बैठकर सीबीआई जांच के लिए आवाज़ उठा रहे हैं. आप उनकी यह बात नरेंद्र मोदी या गुजरात सरकार के लोगों तक पहुंचा कर उनकी आवाज़ को बुलंद कर सकते हैं. और अंत में एक और बात… उम्मीद की हर चौखट से निराश बंसीलाल अगर भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ते-लड़ते वास्तव में पागल हो गए तो जिम्मेदार कौन होगा? राष्ट्रपति कार्यालय, मोदी सरकार या फिर हम लोगों की खामोशी?

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