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फसीह महमूद प्रत्यर्पण: देश को गुमराह कर रहे हैं केन्द्रीय गृह सचिव

BeyondHeadlines News Desk

लखनऊ : आतंकवाद के नाम पर कैद निर्दोषों के रिहाई मंच ने भारतीय खुफिया एजेंसियों द्वारा सउदी अरब से अवैध तरीके से गिरफ्तार किये गये फ़सीह महमूद के प्रत्यपर्ण को अवैध क़रार देते हुये खुफिया विभाग के अधिकारियों के खिलाफ़ मुक़दमा दर्ज करने की मांग की है.

रिहाई मंच के अध्यक्ष मो.शोएब ने जारी विज्ञप्ति में कहा कि भारत और सउदी अरब के बीच हुए प्रत्यपर्ण संधि के मुताबिक यदि किसी व्यक्ति के खिलाफ़ दो महीने के अंदर आरोप-पत्र नहीं आता है तो उसे न तो हिरासत में रखा जा सकता है और ना ही प्रत्यर्पित किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि सउदी अरब सरकार भी फ़सीह महमूद के खिलाफ भारतीय एजेंसियों द्वारा कोई ठोस और तार्किक सबूत न दे पाने का बयान पहले ही दे चुकी है. ऐसे में फ़सीह महमूद का प्रत्यपर्ण अवैध है और उन्हें गिरफ्तार करने वालों के खिलाफ़ मुक़दमा दर्ज किया जाना चाहिए.

मो. शोएब ने कहा कि फ़सीह महमूद के मामले में अपनी कार्यशैली को लेकर बदनाम हो चुकी खुफिया एजेंसियां अब लीपा-पोती करने में लगी हैं और इसीलिये उन्हें तब भारत लाया गया है जब दशहरा के कारण न्यायालय बंद है.

मो. शोएब ने केंद्रिय गृह सचिव आर के सिंह के इस बयान को भी गुमराह करने वाला बताया कि फ़सीह महमूद को इसलिए पांच महीने बाद भारत लाया जा सका कि वे उस दौरान सउदी अरब में सजा काट रहे थे. मो. शोएब ने कहा कि जब फ़सीह महमूद के खिलाफ़ सउदी अरब में कोई मुक़दमा ही नहीं था तो उन्हें वहां सजा कैसे हो सकती है?

उन्होंने केन्द्रीय गृह सचिव के इस बयान को हताशा भरा और भारतीय खुफिया एजेंसियों द्वारा फ़सीह महमूद के खिलाफ़ लगाए गए झूठे आरोपों को बचाने का प्रयास बताया.

रिहाई मंच के प्रवक्ताओं राजीव यादव और शाहनवाज आलम ने कहा कि 13 मई को सउदी अरब से उनकी पत्नी के सामने से फ़सीह महमूद को उठाने वाली भारतीय खुफिया एजेंसियों ने उन्हें अपनी अवैध हिरासत में रखने के बाद उस समय रेड-कार्नर नोटिस जारी किया जब उनकी पत्नी सुप्रीम कोर्ट में हैबियस कार्पस कर चुकी थीं. जिससे खुफिया एजेंसियों की गैरकानूनी कार्यप्रणाली उजागर होती है.

रिहाई मंच के नेताओं ने कहा कि इंटरपोल के नियम के मुताबिक किसी के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने से पहले येल्लो कॉर्नर नोटिस जारी किया जाता है. लेकिन इस मामले में भारतीय खुफिया एजेंसियों ने इंटरपोल के नियमों का भी उल्लंघन किया है.

इसलिए फ़सीह महमूद को गिरफ्तार करने वाले खुफिया एजेंसियों और दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के अधिकारियों के खिलाफ़ उन्हें गैर कानूनी ढंग से हिरासत में रखने के साथ ही अंतराष्ट्रीय कानूनों के उल्लंघन का भी मुक़दमा दर्ज किया जाए.

जब 11 जुलाई को फसीह के हैबियस कार्पस की सुनवाई में सरकार ने कहा कि उसे 26 जून को सउदी ने बताया कि फ़सीह उसके पास है और भारत सरकार ने यह भी कहा कि फ़सीह की गिरफ्तारी में उसकी कोई भूमिका नहीं है तब गृह-सचिव किस आधार पर कह रहे हैं कि फ़सीह एक बड़ी पकड़ है.

रिहाई मंच के प्रवक्ताओं ने कहा कि फ़सीह महमूद को गिरफ्तार करने वाली दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल द्वारा उनके परिजनों को आधिकारिक तौर पर सूचित न करना भी उसके आपराधिक कार्यशैली को उजागर करता है.

रिहाई मंच के नेताओं ने कहा कि फ़सीह महमूद प्रकरण साम्प्रदायिक और आपराधिक कार्यशैली वाली खुफिया एजेंसियों द्वारा भारतीय लोकतंत्र को टेकओवर करने के खतरनाक प्रवित्तियों को दशार्ता जिसके खिलाफ़ रिहाई मंच आंदोलन करेगा.

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