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फैजाबाद में दंगा राज्य सरकार के प्रोत्साहन से हुआ

BeyondHeadlines News Desk

लखनऊ :  रिहाई मंच फैजाबाद में दशहरा की रात मुसलमानों के दुकानों की आगजनी को सपा सरकार द्वारा मुसलमानों को सुरक्षा न दे पाने का ताजा उदाहरण बताते हुए सपा सरकार पर साम्प्रदायिक ताकतों को संरक्षण देने का आरोप लगाया है. मंच ने डीजीपी एसी शर्मा को तत्काल हटाने की मांग की है.

लाटूश रोड स्थित रिहाई मंच के दफ्तर पर फैजाबाद के हालात को लेकर हुई बैठक में वक्ताओं ने कहा कि आठ महीने की सपा सरकार में यह नवां बड़ा मुस्लिम विरोधी दंगा है. जिससे साबित होता है कि सरकारी मशीनरी पूरी तरह साम्प्रदायिक हो चुकी है. फैजाबाद में मुसलमानों पर सांप्रदायिक हमले की आशंका तीन-चार महीने से बनी हुई थी. लेकिन इसे रोकने के लिए सही क़दम नहीं उठाए गए.

वक्ताओं ने कहा कि जिस तरह फैजाबाद के कई इलाकों जैसे रुदौली, भदरसा, शायगंज, फैजाबाद चैक, घोसियाना में पुलिस की उपस्थिति में जय श्री राम, मंदिर वहीं बनाएंगे, यूपी अब गुजरात बनेगा-फैजाबाद शुरुआत करेगा के नारे लगाते हुए एक साथ मुसलमानों की दुकानों को चिन्हित करके जलाया. यह सामान्य दंगे का नहीं बल्कि मुसलमानों पर सरकारी मशीनरी के सहयोग से किया गया हमला साबित होता है.

वक्ताओं ने कहा कि आतंकवाद के नाम पर निर्दोष मुसलमानों को आरडीएक्स के साथ दिखाकर आतंकी बताकर फसाने वाला खुफिया तंत्र आखिर हिन्दुत्वादी शक्तियों द्वारा मुसलमानों के खिलाफ़ की जा रही साजिश को क्यों नहीं उजागर कर पाया. वक्ताओं ने इस घटना पर आईबी, एलआईयू द्वारा प्रशासन को दी गई रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग की है. वक्ताओं ने संभावना जाहिर की कि इस दंगे में खुफिया एजेंसी की भूमिका संदिग्ध है और इसकी जांच होनी चाहिए.

बैठक में सपा सरकार पर हिन्दुत्वादी ताकतों को संरक्षण देने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह आश्चर्य की बात है कि मुसलमानों के हमदर्द होने का दावा करने वाली सपा सरकार में डीजीपी एसी शर्मा जैसे सांप्रदायिक इतिहास रखने वाले अफसर हैं, जिनपर बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद कानपुर में हुए सांप्रदायिक दंगों में निभाई गई मुस्लिम विरोधी भूमिका के चलते इलाहाबाद हाईकोर्ट के लखनऊ बेंच के तत्कालीन जज आईएस माथुर के अधीन जांच आयोग गठित किया गया. जिसकी रिपोर्ट 1998 से ही सरकार के पास पड़ी है. लेकिन सपा सरकार उस रिपोर्ट को जारी करने और एसी शर्मा पर कानपुर में हुए दंगे में मारे गए बेकसूर लोगों की हत्या का मुकदमा चलाने के बजाय उन्हें डीजीपी बनाकर पुरस्कृत किया है. जिससे सपा सरकार की सांप्रदायिक नियत उजागर होती है.

बैठक में एडवोकेट मोहम्मद शुऐब, अंकित चैधरी, राजीव यादव, जैद अहमद फारुकी, अनुज शुक्ला मोहम्मद आफाक इत्यादि उपस्थित रहे.

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