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आरटीआई के बाद भी क्यों हो रहे हैं घोटाले

Isha Fatima for BeyondHeadlines

सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 में एक ऐसा कानून पारित हुआ, जिसने सरकार की गुप्त कार्यप्रणाली को खुलेपन और पारदर्शिता में तब्दील कर दिया. यह लोकतांत्रिक संस्थानों को सुदृढ़ बनाने, भ्रष्टाचार हटाने तथा राष्ट्र के विकास में नागरिको की भागीदारी बढ़ाने में मील का पत्थर साबित हुआ है.

यह अधिनियम राष्ट्र और उसके नागरिको के बीच बेहतर संबंध स्थापित करने की दृष्टि से लागू किया गया. यह अधिनियम देश की माननीय संसद द्वारा केवल जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में लागू किया गया. इसको लागू करने का सबसे बड़ा और अहम मकसद यही था कि देश की जनता अपने राज्य में हो रहे किसी भी तत्व को जान सके. इस कानून के द्वारा प्रत्येक व्यक्ति को यह अधिकार प्राप्त होता है कि वह किसी भी कार्य, दस्तावेज़, रिपोर्ट के बारे में पुख्ता जानकारी हासिल कर सके और यह जान सके कि किस प्रकार देश के नेता कार्य को अंजाम देते हैं.

आरटीआई से पहले भी इस सिलसिले में बहुत लोगों ने बड़े-बड़े काम किए. कईयों को अपनी जान से भी हाथ धोना पड़ा. लेकिन इन सबके अलावा सच्चाई को देश की जनता के सामने लाने में आरटीआई की अहम भूमिका रही है.

इस कानून के द्वारा समाज की छुपी हुई मैली चादर को सामने लाने में काफी सहायता प्राप्त हुई है. साथ ही साथ नागरिक वर्ग शासन तंत्र पर आवश्यक निगरानी रखने तथा शासन को शासित के प्रति अधिक उत्तरदायी बनाने में सक्षम होता है. इसके माध्यम से नागरिकों को लोक प्राधिकारों के नियंत्रण में उपलब्ध  सूचना तक पहुंचना सुलभ हुआ है. इस सूचना के अन्तर्गत सभी प्रकार के तत्व शामिल हैं जो जनता को उसके हित और अहित से सुचित कराता है. इसके अतिरिक्त ऐसी सूचना जिससे देश को हानि पहुंचे, ऐसी सूचना इस अधिनियम के अन्तर्गत नहीं आती.

जिस प्रकार यह कानून सभी को सच्चाई की सीमा तक ले जाती है, मगर दूसरी ओर आरटीआई कार्यकर्ता को जान का खतरा रहता है, क्योंकि भ्रष्ट लोग हर संभव प्रयत्न करते हैं उसे रोकने के लिए. बुरे से बुरे हथकंडों का सहारा लिया जाता है, जिससे कि सच्चाई सामने ना आ पाए. इसी को देखते हुए देश में एक पुख्ता इंतज़ाम भी होने चाहिए, जिससे कि उनकी जान को खतरा भी न हो और सच्चाई भी पूरे समाज के सामने आ जाए.

जबसे आरटीआई कानून बना है तब से देश में कई घोटाले सामने आऐ हैं. देश के बड़े-बड़े नेताओं और व्यपारियों का असली चेहरा सामने लाने में काफी अहम भूमिका निभाई है.

मगर मैं हैरान हूं कि इतना सुदृढ़ कानून पारित होने के बाद भी सरकार और उसके नेता देश को लूटने-खसोटने से बाज़ नहीं आ रहे हैं और कुछ समय बाद आरटीआई के द्वारा करोड़ों की संपत्ति सामने आ जाती है. मगर सवाल यह उठता है कि क्या आरटीआई इन घोटालों को रोक पाएगी? क्योंकि जहां तक देखा जाए तो अभी तक यही सामने आया है कि घोटालों में नाम आने के बाद भी लोग बड़ी धौंस के साथ खुलेआम घूम रहे हैं. फिर चाहे वह CWG का घोटाला हो या 2G और कोयला.

इससे तो यही सिद्ध होता है कि भले ही आरटीआई जैसा मज़बूत कानून हमारे पास क्यों न हो. मगर देश की सरकार घोटालो पे घोटाले करती रहेगी और अगर आरटीआई के द्वारा चोरी पकड़ी भी गई तो वह बच कर निकल जाएंगे क्योंकि सत्ता पर क़ाबिज़ तो वही हैं.

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