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जेलों में यातनाओं का दौर जारी है…

BeyondHeadlines News Desk

लखनऊ, आतंकवाद के नाम पर कैद निर्दोषों के रिहाई मंच ने आज लखनऊ जेल में बंद तारिक कासमी का लखनऊ जेल से आए पत्र को जारी करते हुए कहा कि जिस तरह हाई- सेक्योरिटी के नाम पर जेलों में यातनाओं का दौर जारी है, ऐसे हालात में अगर किसी कैदी के साथ कोई अनहोनी होती है तो इसकी जिम्मेवार सपा सरकार होगी.

तारिक कासमी के अधिवक्ता मोहम्मद शुएब ने कहा कि जेलों में बंद कैदियों को जो सरकार हवा-पानी मयस्सर नहीं होने दे रही है वो सपा सरकार बेगुनाहों को छोड़ने का वायदा क्या पूरा करेगी? उन्होंने आगे कहा कि तारिक कासमी को 12 दिसम्बर 2007 को आज़मगढ़ से व खालिद को 16 दिसम्बर 2007 को मडि़याहूं से उठाकर 22 दिसम्बर को बाराबंकी से उनकी झूठी गिरफ्तारी आतंकी के बतौर की और इनके बयानों के आधार पर कश्मीर के सज्जाद और अख्तर को पकड़ा.

तारिक-खालिद की गिरफ्तारी की जांच के लिए गठित आरडी निमेष जांच आयोग ने अपनी रिपोर्ट 31 अगस्त को यूपी सरकार को सौंप दी, जिसे सरकार दबाए हुए बैठी है.

रिहाई मंच ने सपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार जानती है कि अगर रिपोर्ट सार्वजनिक होगी तो उससे साफ हो जाएगा कि तारिक-खालिद की गिरफ्तारी झूठी है और सवाल उठेगा कि तारिक-खालिद के पास से जो असलहे-विस्फोटक पदार्थ दिखाए गए वो कहां से एसटीएफ के पास पहुंचे थे?

इस जांच रिपोर्ट के आने के बाद आईबी, एसटीएफ और आतंकी कारनामों में प्रयोग में लाए जा रहे विस्फोटकों-असलहों के अवैध कारोबारियों के गठजोड़ पर भी सवाल उठेगा कि जब तारिक-खालिद की गिरफ्तारी फर्जी है तो यह असलहा-विस्फोटक कहां से एसटीएफ के पास पहुंचा?

साथ ही कश्मीरी युवकों सज्जाद और अख्तर को भी छोड़ना होगा, क्यों इन्हें तारिक-खालिद के नाम पर पकड़ा गया है.

रिहाई मंच ने कहा कि 2007 में हुए कचहरी धमाकों के नाम पर पकड़े गए आफताब अंसारी मात्र 22 दिनों में और सज्जाद को पिछले साल लखनऊ केस से बरी कर दिया गया है. ऐसे में यह भी सवाल उठेगा कि आखिर इन घटनाओं को किसने अंजाम दिया? जिन तक एसटीएफ नहीं पहुंच पाई? और बेगुनाहों को पिछले पांच सालों से जेल में सड़ा रही है.

यहां गौरतलब है कि फैजाबाद कचहरी धमाकों के बाद 26 दिसम्बर 2007 को तत्कालीन एडीजी (कानून व्यवस्था) बृजलाल ने इस बात को कहा था कि फैजाबाद धमाके में प्रयुक्त की गई सामग्री मक्का मस्जिद धमाके में प्रयोग की गई सामग्री से मेल खाती है. अब साफ भी हो गया है कि मक्का मस्जिद साजिश में किन आतंकी गुटों का हाथ था, तो ऐसे बहुतों सवालों को सपा सरकार दबाने में लगी है.

रिहाई मंच के नेताओं ने कहा कि आम-आवाम के लिए जेल से आए तारिक कासमी के पत्र को वह जनता के बीच ले जाएगा और इस सरकार की साम्प्रादायिक जेहनियत का पर्दाफाश करेगा.

तारिक कासमी का लखनऊ जेल से आया आवाम के नाम पत्र आप नीचे पढ़ सकते हैं….

लखनऊ जेल से एक क़ैदी का खत


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