BeyondHeadlines News Desk
लखनऊ. कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा पर अरविंद केजरीवाल द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों पर दिल्ली खामोश रही। कई बड़े मीडिया घरानों ने खबरों को प्रकाशित नहीं किया। हर संभव कोशिश आरोपों को दरकिनार करने की गई लेकिन अब लखनऊ की एक सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा फाइल की गई रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बैंच ने पीएमओ से जवाब तलब किया है।
सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर द्वारा इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में अरविन्द केजरीवाल तथा प्रशांत भूषण द्वारा रोबर्ट वाड्रा और डीएलएफ के खिलाफ लगाये गए गंभीर आरोपों के संबंध में दायर की गई रिट याचिका संख्या 8596/2012 (एम/बी) पर गुरुवार को सुनवाई हुई।
सुनवाई के बाद जस्टिस उमानाथ सिंह और जस्टिस वी के दीक्षित की बेंच ने प्रधानमंत्री कार्यालय से याचिका में उठाये गए बिंदुओं पर विस्तृत उत्तर प्रस्तुत करने के आदेश दिये. मामले की अगली सुनवाई 21 नवंबर को होगी. ठाकुर ने इस याचिका में निवेदन किया था कि प्रधानमंत्री कार्यालय को वाड्रा पर लगाये आरोपों के संबंध में जांच कराये जाने के सम्बन्ध में निर्देशित करें.
ठाकुर ने याचिका दायर करने के पूर्व केजरीवाल द्वारा लगाये आरोपों की प्रति संलग्न कर प्रधानमंत्री को एक प्रत्यावेदन प्रेषित किया था. उन्होंने यह अनुरोध किया था कि रोबर्ट वाड्रा तथा डीएलएफ द्वारा सीधे तौर पर इंकार करने और स्थिति स्पष्ट करने के बाद भी अभी कई सारे प्रश्न अनुत्तरित हैं. इनमे यह प्रश्न भी शामिल है कि मात्र कुछ वर्षों में 50 लाख की कंपनी कैसे पांच सौ करोड की हो गयी.
अतः भारत सरकार के लिए यह आवश्यक हो गया है कि वे इनकम टैक्स, प्रवर्तन निदेशालय या किसी उपयुक्त और अधिकृत अधिकारियों द्वारा इस पूरे की जांच कराएं. साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री से यह भी निवेदन किया था कि वे इस सम्बन्ध में देश की जनता को भी वास्तविक तथ्यों से अवगत कराएं.