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एक पत्र दामिनी के नाम…

Ahmad Ansari and Kausar Usman for BeyondHeadlines

प्यारी दामिनी! तुम चली गई. अच्छा हुआ चली गई. ये दुनिया तुम्हारे लिए थी ही नहीं. ये दुनिया जानवरों की है. यहाँ तो बस जानवर ही रहते हैं. यहाँ के लड़कों के सीने में दिल नहीं होता. इन के दिमाग में सिर्फ हवस होती है. बहुत दिनों से सोच रहा था कि तुम्हे कुछ लिखूं. मगर वक्त की कमी थी.

बहुत कुछ देखा सुना. लेकिन आज तुम्हारी मौत ने मुझे लिखने पर मजबूर कर दिया. क्या किया था तुमने? क्या गलती थी तुम्हारी? सर से पैर तक ज़ख्म ही ज़ख्म थे.

सिंगापूर से लेकर पुरे हिंदुस्तान में तुम्हारी एक एक सांस पर हजारों दुआएं थी. लेकिंन फिर भी तुम हार गयी. आखिर कब तक लडती तुम? आखिर को तुम भी तो एक लड़की थी. और वो तो 6 हरामखोर… तुम कैसे मुकाबला करती?

अब तो तुम चली गयी. इस दुनिया से इस समाज से. लेकिन जाते जाते तुम ने बहुत लोगो को बहुत कुछ दे दिया. हमारे लालची समाज ने तुम्हारी इज्ज़त से बहुत कुछ वसूल किया. तुम्हारी इज्ज़त ने हमारे मीडिया को एक चटपटी खबर दी. जिसे हमारा पूरा मीडिया परिवार ने खूब कैश कराया. लाखों पैसे कमाए. लोगों से एसएमएस भेज कर तुम्हारे रेप के बारे में राये मांगी. और एक SMS का 3 रुपया के हिसाब से चार्ज किया. यानि घर बैठे लाखों की कमाई हुई.

न्यूज़ चैनल वालों की और टीआरपी भी अपने चरम सीमा पर थी. और अभी आगे भी कमाई जारी है. और वहीं दूसरी ओर अपोज़िशन पार्टी को भी बैठे-बिठाए एक मुद्दा मिल गया है. जैसे ही उन्होंने  तुम्हारी रेप के बारे में सुना उनके मुंह से लार टपकने लगी. उन्हें सत्ता की कुर्सी कुछ नज़दीक आती हुई महसूस हुई. वो सरकार के पीछे पड़ गए. उन्हें लगा कि तुम्हारा सहारा लेकर अब सरकार को गिरा देंगे. और फिर कुर्सी हमारी होगी!

उन्होंने एक-एक करके सभी सत्ता में बैठे नेताओं को कोसना शुरू कर दिया. और कुछ फायदा उन लोगों का भी हुआ जो हमेशा किसी न किसी मुद्दे की तलाश में रहते हैं. और मौका मिलते ही सड़क पर उतर कर तोड़-फोड़ शुरू कर देते हैं! कुछ नेता टाइप के स्टूडेंट ने इंडिया गेट से लेकर विजय चौक ओर राजपथ की सड़कों को ईंट-पत्थर से पाट डाला.

सच में मैंने अपनी लाइफ में इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन तक की सड़कों का इतना बुरा हाल कभी नहीं देखा था! ज्यादातर लोग तो फायदे में थे. नुक्सान तो सिर्फ दो लोगो का हुआ एक सरकार मुसीबत में आई और दूसरी हमारी दिल्ली पुलिस को कसरत करनी पड़ रही है.

लेकिन मेरी प्यारी दामिनी तुम्हारे रेप के बाद जब कुछ लोगों ने एक दिल्ली पुलिस के एक कांस्टेबल को मार डाला तब किसी ने उस के खिलाफ प्रदर्शन नहीं किया. जिस तरह से तुम्हारा कोई कसूर नहीं था, ठीक उसी तरह से उस कांस्टेबल की भी कोई गलती नहीं थी.

वो तो सिर्फ लोगो को तोड़-फोड़ करने और सरकारी संपत्ति को नुक्सान पहुंचाने से रोक रहा था. उस के भी घर पर बच्चे थे. एक लड़की थी, जो अपने पापा के घर आने का इंतज़ार कर रही थी. लेकिन उसके पापा घर नहीं पहुचे! उनकी की लाश उनके घर गयी.

लेकिंन किसी ने उसकी मौत पर मोमबत्ती नहीं जलायी!  वो कांस्टेबल जिंदगी भर देश की सेवा करता रहा और कितने लोगो की इज्ज़त बचायी होगी. लेकिंग आज उसकी मौत पर रोने वाला कोई नहीं था!

सारी मीडिया सारी पुलिस और सारे नेता इस बात पर बहस कर रहे थे कि उस कांस्टेबल की मौत कैसे हुई? बीजेपी के नेता कह रहे है कि उसे हार्ट अटैक हुआ. जबकि कांग्रेस के नेता कह रहे है कि भीड़ ने उसे मारा!

उस की लाश तो सत्ता के गलियारों में गुम हो गयी. उसकी मौत पर एक भी मोमबत्ती नहीं जलाई गयी! लेकिंन प्यारी दामिनी तुम्हारी मौत पर तो सारा हिंदुस्तान रो रहा है. अगर वो कांस्टेबल कहीं तुम्हारा ही बाप होता तो क्या होता!

आखिर रेप का विरोध करने वालो को ये हक़ किसने दे दिया कि वो पुलिस वालो की जान ले. और सरकारी संपत्ति को नुक्सान पहुंचाये! इस में पुलिस की क्या गलती है?

अब दिल्ली पुलिस हर एक लड़की के पीछे एक कांस्टेबल तो नहीं लगा सकती! सुधरना तो समाज को ही पड़ेगा. और समाज तो हम लोगो से ही बनता है. तो फिर रेप के असली ज़िम्मेदार तो हम लोग हुए!

फिर ये हजारों लोग इंडिया गेट ओर जंतर-मंतर पर किस इन्साफ की बात कर रहे है! सब से पहले तो ये देखे कि तुम्हारे रेप की वजह क्या थी? अगर उन 6 लड़को ने तुम्हारे साथ हैवानियत की, तो उनको हैवान किस ने बनाया?

सच तो ये है की उनको हैवान एक लड़की ने बनाया! एक लड़की जिसे साल भर पहले कोई नहीं जानता था. जिसका नाम सनी लियोन है. जो बाहर से हिंदुस्तान आई! और वो विदेशों में क्या करती थी? ये सब को पता है. फिर भी जब वो हिंदुस्तान में आई तो सबने ताली बजा कर उसका स्वागत किया. एक नेशनल चैनल ने उसे रियलिटी शो में शामिल किया. फिर फिल्मो में भी काम दे दिया गया.

मैं पूछना चाहता हुं कि उन हजारों लड़कियों से… जो अपने हाथों में मोमबत्ती लेकर इंडिया गेट या जंतर-मंतर पर तुम्हारे बलात्कार का विरोध करने आई थीं. वो उस वक़्त कहा थी, जब सनी लियोन “एक पोर्न स्टार” ने इंडिया में कदम रखा था! आज उसी सनी लियोन की ब्लू फिल्में देखकर उन लड़को के अन्दर हैवानियत जगी. और उन्होंने तुमको शिकार बनाया.

मैं ये नहीं कह रहा की वो लड़के बेक़सूर है! उन लड़कों की 99 प्रतिशत गलती है. और उन सभी लड़कों को फांसी मिलनी चाहिए. लेकिन मेरे सवाल उन सभी लड़के-लड़कियों से है, जो सनी लियोन जैसी लड़कियों का स्वागत करते हैं. अपने घरों और सिनेमाघरों में उसकी फिल्म देखने के लिए सैकड़ों रुपये भी देते हैं. और फिर दूसरी तरफ किसी लड़की का रेप होने पर चिल्लाते है!

और फिर सरकार से सख्त कानून बनाने की बात करते हैं. मैं जनता हूँ कि सिर्फ सख्त कानून बना देने से रेप ख़त्म नहीं हो सकता. हाथों में मोमबत्ती लेकर घर से बाहर तब भी आना होगा, जब सनी लियोन जैसे पोर्न स्टार हमारे देश में कदम रखें!

प्यारी दामिनी!  तुम्हारी मौत के बाद आज हमारे समाज और धर्म के ठेकेदार लोग अपने-अपने तरीके से कानून बनाने की बात कर रहे हैं. कुछ मुल्ला टाइप के लोग बुर्का अनिवार्य करने की बात कर रहे हैं तो कुछ कठमुल्ले लोग अरब के कानून की दुहाई दे रहे हैं. कुछ तो यहाँ तक कह रहे है कि अगर शरिया कानून लागू हो जाये तो किसी लड़की का रेप नहीं होगा!

शायद उन्होंने अफगानिस्तान की लड़कियों को नहीं देखा, जो हमेशा तालिबानियों की ज़ुल्म का शिकार होती हैं. सैकड़ों लड़कियों के जिस्म को तेजाब डालकर जला दिया जाता है. इस्लामी हुकूमत जहाँ है वहां लड़कियों को घर से बाहर घूमने की इज़ाज़त नहीं. कार चलाने पर पाबन्दी है. वोट डालने पर पाबन्दी है. हमेशा बुर्के में कैद रहती हैं. वहां लड़कियां घूट घूट कर मर रही हैं.

तुम तो उन लोगों से बेहतर हो. तुम एक बार में ही मर गयी! कुछ तुम तुम्हारे ड्रेस को तुम्हारे रेप का जिम्मेदार मानते हैं! कुछ ये कह रहे है की तुमने छोटी स्कर्ट पहनी थी, इस लिए तुम्हारा रेप हुआ! अब कौन समझाए कि इन घटिया सोच वालों को कि जाकर देखें अंडमान निकोबार दीप समूह पर. वहां पर लड़कियां या तो बिलकुल नंगी होती हैं या पेड़ के पत्तों से अपने जिस्म को ढ़की होती हैं, लेकिंग रिकार्ड है कि आज तक किसी भी लड़की का रेप नहीं हुआ.

क्या फर्क है वहां और यहाँ में! फर्क सिर्फ हमारी सोच का है. हम ये सोचते है कि जंगल में भेडिये रहते हैं. और शहर में इंसान! लेकिंन हमारी सोच गलत है. सच तो इसका उल्टा है. अब भेडिये शहरों में रहते हैं. गली और मोहल्लों में रहते हैं. यहाँ तक की घर की चाहरदीवारी के अन्दर भी रहते हैं. और मौके की तलाश में होते हैं. कब कोई दामिनी नज़र आये और वो अपनी हवस का शिकार बनाये!

हमारे समाज की सोच घटिया हो चुकी है. ये मर्दों का समाज हो चुका है. मर्द इस दुनिया और समाज पर अपने हक़ जताते हैं. आज के मर्द अपनी नज़रों को काबू में रखने बजाये तुमको ढंग के कपडे पहनने का फतवा देते हैं!

और क्या-क्या लिखूं दामिनी! मैं भी तो गया था इंडिया गेट पर. तुम्हारे लिए इन्साफ मांगने! लेकिन मैं खुद ही शर्मिंदा था. किस से मांगता इन्साफ! कोई नहीं था इंडिया गेट और जंतर-मंतर पर इंसाफ देने वाला! जितने थे सब अपनी-अपनी रोटियां सेंक रहे थे! अच्छा हुआ तुम चली गयी! अब कभी वापस न आना. क्योंकि ये दुनिया तुम्हारे लिए नहीं है…

तुम्हारे दो भाई

अहमद अंसारी और कौसर उस्मान

 

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