Afroz Alam Sahil for BeyondHeadlines
वाशिंगटन की लहू जमा देने वाली सर्दी में भारतीय मूल की अमेरिकी नागरिक ज्योति घाघ अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठी हैं. आज उनकी भूख हड़ताल का चौथा दिन है. ज्योति को हल्का बुखार है और उनका शरीर तप रहा है, लेकिन न्याय पाने का हौसला नहीं डिगा है.
यह भारत के लिए शर्म की बात है कि एक भारतीय महिला को, भारत में हुए शोषण और अन्याय के खिलाफ अमेरिका में भूख हड़ताल पर बैठना पड़ रहा है.
ज्योति घाघ महाराष्ट्र हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस, महाराष्ट्र सरकार और भारत सरकार के ओवरसीज मामलों के मंत्रालय के खिलाफ भूख हड़ताल पर बैठी हैं.
ज्योति भारतीय न्याय एवं पुलिस व्यवस्था की पीड़ित हैं. हद तो तब हो गई जब भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने दुर्भावना से ग्रसित होकर ज्योति के खिलाफ अमेरिका में अपनी जान के लिए ही खतरा होने का मामला दर्ज करवा दिया. हालांकि इस पर विदेश मंत्रालय ने ज्योति से माफी भी मांगी है लेकिन माफीनामा उन्हें नहीं मिल सका है.
ज्योति ने महाराष्ट्र के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों, पूर्व वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों एवं न्यायालय पर मानसिक प्रताड़ना और अपने जीवन के लिए खतरा होने का मुद्दा उठाया है.
ज्योति लगभग एक दशक से भारतीय कानून व्यवस्था से जूझ रही हैं, वह कई बार भारत भी आईं लेकिन हर बार उन्हें निराशा ही हाथ लगी. ज्योति के पिता विश्व युद्ध में हिस्सा ले चुके वार वेटरन थे और उन्होंने लंबे समय तक महाराष्ट्र पुलिस की भी सेवा की. 87 वर्ष की आयु में उनकी हत्या हो गई और आरोप में ज्योति के भाइयों को ही जेल में बंद कर दिया गया.
ज्योति अपने पिता के हत्यारों की गिरफ्तारी और अपने भाइयों को निर्दोष साबित करने के लिए लड़ाई लड़ रही है. महाराष्ट्र पुलिस में वरिष्ठ अधिकारी रहे अपने जीजा पर भी ज्योति ने कई सनसनीखेज आरोप लगाए हैं.
लेकिन ज्योति की सबसे बड़ी लड़ाई मानवाधिकारों की है. ज्योति का कहना है कि भारत सरकार की भ्रष्ट व्यवस्था ही उनके जीवन के लिए खतरा बन गई है.
ज्योति ने अपने संघर्ष पर एक किताब भी लिखी है और करप्शन रोको के नाम से भ्रष्टाचार के खिलाफ वह लड़ाई भी लड़ रही हैं. ज्योति भारतीय न्याय व्यवस्था एवं प्रशासनिक व्यवस्था के उत्पीड़न का एक जीता जागता उदाहरण हैं. आपसे गुजारिश हैं कि आप भी ज्योति घाघ की लड़ाई के बारे में जानें और उन्हें सहयोग व समर्थन दें.
आप ज्योति से यहां क्लिक करके संपर्क कर सकते हैं…