India

इंडियन मुजाहिदिन ‘आतंकी’ दानिश की दास्तान…

Afroz Alam Sahil for BeyondHeadlines

जिस दिन गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे हिंदू आतंकवाद का पाठ पढ़ा रहे थे उसी दिन राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) एक और मुस्लिम आतंकी को गिरफ्तार करने की पटकथा लिख रही थी. इधर जयपुर में कांग्रेस के चिंतन शिविर में शिंदे ने हिंदू आतंकवाद का नाम लेकर आरएसएस और बीजेपी पर निशाना साधा और उधर बिहार के दरभंगा में एनआईए ने अगले ही दिन एक मुस्लिम नौजवान को धर दबोचा.

बिहार के लहेरियासराय के चकजोहरा मुहल्ले से दानिश नाम के युवक को गिरफ्तार किया गया. दानिश अंसारी पर इंडियन मुजाहीदीन के साथ काम करने और यासीन भटकल का सहयोगी होने का आरोप लगाया गया.

दसवीं पास दानिश अंसारी बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखता है. दिल्ली की मीडिया ने दानिश की गिरफ्तारी को तो फ्रंट पेज न्यूज बनाया लेकिन उसके पारिवारिक हालातों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई. इंडियन मुजाहीदीन से संबंध होने के आरोप में गिरफ्तार होने वाला दानिश पहला युवक नहीं है. इससे पहले भी देशभर में सैंकड़ों नौजवानों को इंडियन मुजाहीदीन से ताल्लुक रखने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है, हालांकि कोर्ट ने अधिकतर को बेगुनाह मानकर बरी कर दिया है.

दानिश के पारिवारिक परिवेश और दरभंगा के हालात का जायजा लेने के लिए हम फरवरी के पहले सप्ताह में यहां पहुंचे. दानिश की गिरफ्तारी ने लहेरियासराय में खौफ़ पैदा कर दिया है. हालात ऐसे हैं कि उसका नाम लेते ही खामोशी पसर जाती है और लोग जुबान दबाकर निकल लेते हैं. कभी उसके करीबी रहे लोग अब दानिश नाम से ही खौफ खा रहे हैं.

WP_000946

पक्के मोहल्ले की पक्की गली में अकेला कच्चा मकान दानिश का है. रंगे पुते मकानों के बीच उसका मिट्टी का घर ऐसे लग रहा था जैसे नई चादर पर किसी ने पुराना पैबंद लगा दिया हो. दानिश के घर का रुख करने से पहले हमने उसके बारे में जानने की कोशिश की. उसके घर के ठीक सामने कई सालों से सिलाई की दुकान चला रहे एक बूढ़े चाचा से जब दानिश के बारे में पूछा तो वह भी खामोश हो गए. हम समझ गए कि दानिश के बारे में कोई भी जानकारी जुटाना बेहद मुश्किल काम होगा.

हिम्मत करके हमने उसके घर का दरवाजा खटखटाया. आवाज़ सुनकर उसकी बहन दरवाजा खोलने आई. लेकिन जैसे ही हमने दानिश का नाम लिया, दरवाजा बंद हो गया. न दानिश की बहन बोली, न मां और न ही पिता… जैसे-तैसे बगल में रह रही उसकी चाची ने मुंह खोला. उन्होंने बताया कि दानिश ने फर्स्ट डिवीजन से दसवीं पास करने के बाद इंटरमीडिएट में विज्ञान वर्ग में दाखिला तो लिया लेकिन पैसे की कमी के कारण पढ़ाई जारी नहीं रख सका और स्कूल छोड़ दिया. अच्छे नंबरों से दसवीं पास करने के कारण दानिश को अपने मुहल्ले में बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने का काम मिल गया. वह छोटे-छोटे बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर अपना और परिवार का पेट पाल रहा था.

दानिश के पिता का कोई पक्का कारोबार नहीं है. वह फुटपाथ पर चप्पल बेचकर गुजर-बसर कर रहे हैं. दानिश के बड़े भाई का इरादा खाड़ी देशों में नौकरी करके अच्छा पैसा कमाने को था लेकिन मेडिकली अनफिट होने के कारण वह भी अभी मुंबई में ही मजदूरी कर रहा था. दानिश की गिरफ्तारी की खबर उसे दरभंगा ले आई और अब वह सदमे में बीमार पड़ा है. भाई के साथ घर में मां और बाप भी बीमार हैं.

दानिश की चाची हिम्मत जुटाकर उसके बारे में बात करती हैं. बताती हैं कि वह कभी भी बिहार से बाहर नहीं गया. कुछ ही देर में मुंह से शब्दों के बजाये आंखों से आंसू टपकने लगते हैं. चाची को रोती देख दानिश की बहन भी रूदन में शामिल हो जाती है. रोते-रोते बस इतना ही कहती है कि अब तो यह आंसू रोज की ही बात हैं.

हालांकि दानिश के 60 वर्षीय पिता जफीर अंसारी को पूरा भरोसा है कि पुलिस उनके बेटे को छोड़ देगी. बह बस इतना ही कहते हैं कि वह जानते हैं कि उनका बेटा बेगुनाह हैं और बेगुनाहों पर खुदा भी मेहरबान होता है.

गिरफ्तारी के बारे में उसके चाचा इज़हार अंसारी बताते हैं कि एनआईए की टीम पहले भी उनके इलाके में कई बार आई थी. जांच एजेंसी को दानिश नाम के किसी शख्स की तलाश थी. लेकिन इलाके में इस नाम के कई नौजवान होने के कारण किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया. बाद में परिवार को बताया गया कि जांच एजेंसी को दानिश अंसारी की ही तलाश है. टीम के दोबारा आने के बाद मोहल्लेवासियों ने बैठक की और बैठक के बाद देश और कानून की मदद करने का फैसला लिया गया. दानिश को बेगुनाह मानते हुए परिवार ने जांच में सहयोग करने के लिए पुलिस के हवाले कर दिया. इज़हार अंसारी के मुताबिक एनआईए की टीम ने उनसे कहा था कि दानिश को सरकारी गवाह और जांच में मदद के लिए ले जाया जा रहा है. लेकिन अगले दिन के अखबार ने उनके होश उड़ा दिए. अखबार ने बताया कि दानिश आतंकवादी है और उसके इंडियन मुजाहीदीन के साथ ताल्लुकात हैं.

दानिश के परिवार यह तो कहता है कि वह बेगुनाह है लेकिन कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए ज़रूरी संशाधन और समझ उनके पास नहीं है. लेकिन आतंक के नाम पर गिरफ्तारी बस दानिश तक ही सीमित नहीं है. जांच एजेंसी एऩआईए का अब कहना है कि उसे यासीन भटकल से जुड़े 36 लोगों की तलाश है. इन 36 लोगों में कौन शामिल है यह तो एऩआईए ही जानती है लेकिन इससे पूरे दरभंगा में खौफ का माहौल है. दानिश आतंक के नाम पर गिरफ्तार होने वाला पहला युवक नहीं है. सऊदी अरब से गिरफ्तार किया गया फसीह महमूद भी दरभंगा का ही है. यही नहीं आठ और नौजवानों को यहां से गिरफ्तार किया गया है. ऐसा लग रहा है कि आज़मगढ़ को आतंक की नरसरी बनाने के बाद अब दरभंगा को आतंक के बगीचे का खिताब बस मिलने ही वाला है.

पूरे मामले का दूसरा पहलू यह है कि दानिश अंसारी को एनआईए ने देश और दुनिया के सामने आतंकवादी के रूप में पेश किया है और सभी ने इसे स्वीकार भी कर लिया है. हालांकि दानिश के परिवार के मुताबिक उसका कोई भी आपराधिक रिकार्ड नहीं है और न ही उसके खिलाफ कभी भी किसी भी तरह की कोई शिकायत ही दर्ज की गई है. दानिश के परिजनों से बात करके हमें यह भी पता चला कि वह बेहद पक्का नमाजी और दीन पर चलने वाला युवक था. दानिश का परिवार उसे बेगुनाह बताता है, ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि यदि वह बेगुनाह है तो उसे गिरफ्तार क्यों किया गया है?

Loading...

Most Popular

To Top

Enable BeyondHeadlines to raise the voice of marginalized

 

Donate now to support more ground reports and real journalism.

Donate Now

Subscribe to email alerts from BeyondHeadlines to recieve regular updates

[jetpack_subscription_form]