Afroz Alam Sahil for BeyondHeadlines
नई दिल्ली. भाषाओं के नाम पर राजनीति और भ्रष्टाचार कोई नई बात नहीं है. लेकिन अगर बात उर्दू की हो तो सरकार का सौतेला व्यवहार साफ नज़र आता है. हालांकि दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को जब भी मौका मिलता है अपना उर्दू प्रेम जगजाहिर कर देती हैं. कई मौकों पर तो उन्होंने घड़याली आंसू भी बहाए हैं. उर्दू के विकास के लिए उन्होंने तमाम बड़े वादे भी किए हैं. लेकिन ज़मीनी हकीक़त पर उनके वादे मात्र चुनावी स्टंट और आंसू दिखावा ही साबित होते हैं.
मीठी उर्दू की कड़वी सच्चाई यह है कि अब इसे दिल्ली के स्कूलों से समाप्त करने की पूरी तैयारी चल रही है. वेल्फेयर पार्टी ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय सचिव डॉ. क़ासिम रसूल इलियास को नई दिल्ली म्यूनिसिपल काउंसिल (एनडीएमसी) से आरटीआई के जरिए मिली जानकारी के मुताबिक एनडीएमसी के नवयुग स्कूल एजुकेशनल सोसायटी के तहत दिल्ली में चल रहे स्कूलों में उर्दू शिक्षक का एक भी पद नहीं रखा गया है. यानी इन स्कूलों में उर्दू को बिल्कुल ही गायब कर दिया गया है. इसे यहां पढ़ाया ही नहूीं जा रहा है. यह हाल सिर्फ उर्दू का ही नहीं, बल्कि पंजाबी भाषा का भी है. जबकि यह दोनों भाषाएं दिल्ली की दूसरी सरकारी भाषा है. नवयुग एजुकेशनल सोसायटी के तहत दिल्ली में कुल 11 सरकारी स्कूल चल रहे हैं, जिनमें तीन प्राईमरी, एक मिडिल और 7 सीनियर सेकेंड्री स्कूल शामिल हैं.
इस संबंध में डॉ. क़ासिम रसूल इलियास का कहना है कि जब प्राइमरी और मिडिल स्कूल में ही उर्दू बाकी नहीं रहेगी तो आला तालीम के लिए उर्दू के छात्र कहां से आएंगे? अगर सरकार वाकई उर्दू के प्रति संजीदा है तो सबसे पहले प्राइमरी और मिडिल स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती की जानी चाहिए. इससे एक ओर हज़ारों उर्दू जानने वालों को रोजगार मिलेगा. वहीं दूसरी ओर छात्र-छात्राओं के लिए उर्दू पढऩा आसान हो जाएगा. जो लोग शिक्षक की कमी की वजह से चाहकर भी उर्दू नहीं पढ़ पाते हैं. उनके अधिकारों की रक्षा भी होगी.
आरटीआई से मिली जानकारी यह भी बताती है कि एनडीएमसी नवयुग स्कूल एजुकेशनल सोसायटी के 11 स्कूलों में पीजीटी, टीजीटी व प्राईमरी शिक्षकों के लिए कुल 350 पद रखी गई है, लेकिन वर्तमान में सिर्फ 270 शिक्षक ही कार्यरत हैं. यानी 80 शिक्षकों के पद रिक्त हैं. जबकि सरकार पिछले 6 वर्षों में नवयुग स्कूल एजुकेशनल सोसायटी को 137.9880 करोड़ रूपये का फंड दे चुकी है.
नवयुग स्कूल एजुकेशनल सोसायटी के स्कूलों के अलावा एनडीएमसी के 8 सीनियर सेकेंड्री स्कूल, 6 सेकेंड्री स्कूल, 6 मिडिल स्कूल, 21 प्राईमरी स्कूल और 18 नर्सरी स्कूल हैं. इन 59 स्कूलों में कुल 738 शिक्षकों की पदें रखी गई हैं, लेकिन वर्तमान में सिर्फ 618 शिक्षक ही कार्यरत हैं. यानी 120 शिक्षकों की पद रिक्त है. यही नहीं, इन 59 स्कूलों में उर्दू भाषा के लिए 64 शिक्षकों (पीजीटी व टीजीटी दोनों मिलाकर) के पद रखे गए हैं. लेकिन 64 शिक्षकों में से भी 11 उर्दू शिक्षकों के पद रिक्त हैं. दिलचस्प बात तो यह है कि पंजाबी भाषा के लिए इन 59 स्कूलों में सिर्फ 2 शिक्षकों को ही पंजाबी भाषा पढ़ाने के लिए रखा गया है. यही नहीं, एनडीएमसी के इन स्कूलों की दशा से भी आप बखूबी वाकिफ हैं लेकिन सरकार ने इन 59 स्कूलों के लिए पिछले दस सालों में 71022.52 करोड़ रूपये खर्च कर चुकी है.