BeyondHeadlines News Desk
लखनऊ : रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने कहा कि अक्सर मस्जिदों और मदरसों को आतंकवाद का अड्डा कहा जाता रहा है जबकि हकीकत यह है कि खुफिया एजेंसियों के अधिकारी मस्जिदों और मदरसों में अपना अड्डा बनाए हुए हैं.
उन्होंने कहा कि देश की सुरक्षा के नाम पर जिस तरीके से आईबी के लोग मुस्लिम नौजवानों से जज्बाती बातें करके उनको अपने गिरफ्त में लेते हैं और बाद में आतंकी वारदातों में फंसाते हैं, यह एक बहुत गंभीर मसला है. जिस पर मदरसा संस्थानों और मस्जिदों के जिम्मेदारों को चौकन्ना रहना चाहिए और इनकी शिकायत हुकूमत से करनी चाहिए.
ऐसे बहुत से संस्थान पूरे देश में हैं जहां पर खुफिया एजेंसियों के लोग गहरी पैठ जमाए हुए हैं और यह संस्थान के संज्ञान में भी हैं. पर डर की वजह से वे इसके खिलाफ नहीं बोलते. ऐसे में हम उनसे अपील करते हैं कि यह आने वाली नस्लों की जिन्दगी का सवाल है और आने वाली हमारी नस्लें सुरक्षित रहें. किसी खालिद मुजाहिद या क़तील सिद्दीकी की तरह हिरासत में न मारे जाएं और न ही हजारों लड़के जिस तरीके से दहशतगर्दी के इल्जाम में बंद है वैसी जिन्दगी जिए. इसलिए खुफिया विभाग के लोगों की गैर-कानूनी सरगर्मियों के खिलाफ आवाज़ बुलंद करें.
रिहाई मंच के प्रवक्ता शाहनवाज़ आलम और राजीव यादव ने कहा कि रिहाई मंच सत्र के पहले दिन 16 सितंबर से डेरा डालो घेरा डालो अभियान विधानसभा धरना स्थल पर शुरू कर रहा है. सत्र के एक दिन पहले 15 सितंबर को शाम 6 बजे सरकार को चेतावनी देने के लिए एक मशाल जुलूस भी निकाला जायेगा.
उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव ने 4 जून को यूपी कैबिनेट में आरडी निमेष कमीशन की रिपोर्ट स्वीकारते हुए कहा था कि उसे वह एक्शन टेकेन रिपोर्ट के साथ मॉनसून सत्र में रखेंगे और लगातार मॉनसून सत्र टालते रहे. वादा खिलाफ सपा सरकार के इस रवैए को देखते हुए रिहाई मंच ने एलान किया था कि जब तक वह निमेष कमीशन की रिपोर्ट को सदन के पटल पर रखते हुए दोषी पुलिस व आईबी अधिकारियों को जेल की सलाखों के पीछे नहीं भेज देती और तारिक़ की रिहाई सुनिश्चित नहीं करती तब तक यह संघर्ष जारी रहेगा.
प्रवक्ताओं ने कहा कि सरकार को आर.डी. निमेष कमीशन की रिपोर्ट को एक्शन टेकेन रिपोर्ट के साथ विधानसभा सत्र में रखना ही होगा.
पिछड़ा समाज महासभा के एहसानुल हक़ मलिक और शिवनारायण कुशवाहा ने कहा कि आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों की रिहाई की इस मुहिम को लेकर पूरे प्रदेश में अभियान चलाया जा रहा है. मौलाना खालिद मुजाहिद अब हमारे बीच नहीं है, पर उन्होंने इंसाफ पसन्द अवाम को यह जिम्मा दिया है कि उनके ऊपर जो आतंकवाद के फर्जी ठप्पा लगाया गया है उसे हम मिटा के ही दम लें और इसी मुहीम के तहत हम गर्मी से लेकर बरसात तक आज चार महीने से इस विधानसभा धरना स्थल पर बैठे हैं.
उन्होंने कहा कि हम अखिलेश सरकार से कहना चाहेंगे कि अगर उसने निमेष कमीशन की रिपोर्ट को मानसून सत्र में नहीं रखा तो उसके खिलाफ जो अवाम इस विधानसभा को घेरेगी उसकी गिरफ्त से भागना अखिलेश सरकार के लिए मुश्किल हो जाएगा. उन्होंने कहा कि मानसून सत्र के दौरान रिहाई मंच के घेरा डालो-डेरा डालों अभियान को सफल बनाने के लिए वो पूरे प्रदेश का दौरा करेंगे.
भारतीय एकता पार्टी (एम) के सैय्यद मोइद अहमद ने कहा कि जून 2007 में याकूब को बिजनौर के नगीना से पुलिस ने उठाया था तो वहीं नौशाद को राजस्थान के अलवर जिले के मिमराना इलाके से पुलिस ने पकड़ा था. याकूब को दो दिनों तक और नौशाद को 12 दिनों तक अवैध हिरासत में रखने के बाद यूपी एसटीएफ ने याकूब को चारबाग रेलवे स्टेशन और नौशाद की लखनऊ रेजीडेंसी से फर्जी गिरफ्तारी दिखाई.
पुलिस के कहानी के मुताबिक उनके आतंकवादी होने की ख़बर मुख़बिर ने दी थी. इन्हें सरेआम भीड़ में पकड़ने का दावा किया गया था, लेकिन पुलिस के पास एक भी स्वतंत्र गवाह नहीं है. इनके पास से आरडीएक्स की बरामदगी बताई गई. पुलिस ने आम बेचने वाले की तराजू पर आरडीएक्स को तौलने का दावा किया है. लेकिन आम बेचने वाले को गवाह नहीं बनाया है.
इसी तरह के झूठे मामलों में बिजनौर के नौशाद, अमरोहा के रिजवान व शाद, पश्चिबंगाल के अजीजुर्रहमान, मो0 अली अकबर हुसैन, नूर इस्लाम, शेख मुख्तार और जलालुद्दीन को भी फांसा गया है. लेकिन 2007 से ही ये बेगुनाह बच्चे जेलों में सड़ रहे हैं, जिन्हें छोड़ने का वादा करके सपा सरकार सत्ता में आई. ऐसे बेगुनाहों को न्याय दिलाने के लिए हमने सरकार से मांग की कि वो इन गिरफ्तारियों की एनआईए से जांच कराए.
पीस फेडरेशन के डा. हारिस सिद्दीकी ने कहा कि शहीद मौलाना खालिद मुजाहिद को इंसाफ दिलाने और तारिक़ कासमी की बेगुनाही का सबूत आर.डी. निमेष कमीशन की रिपोर्ट पर अमल करवाने, मौलाना खालिद की मौत की सीबीआई जांच कराने का वादा प्रदेश सरकार से पूरा करवाने, चुनावी घोषणा पत्र के वादे के मुताबिक दहशतगर्दी के नाम पर कैद बेगुनाहों की रिहाई व दहशतगर्दी के इल्जाम से बरी बेगुनाहों के पुर्नवास और मुआवजे, 2000 के बाद हुई समस्त आतंकी घटनाओं की एनआईए से जांच और सपा राज में हुए सांप्रदायिक दंगों की सीबीआई जांच के लिए कल से रिहाई मंच का जन जागरुकता पखवाड़े के तहत पूरे प्रदेश में अभियान चलाया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि अभियान के तहत हम सपा सरकार जो अपने को मुस्लिम हितैषी होने का नाटक करती है, उसकी कारस्तानियों को जनता के बीच ले जा रहे हैं और जनता को मानसून सत्र के दौरान विधान सभा पर रिहाई मंच के घेरा डालो – डेरा डालो में आने के लिए गोलबंद कर रहे हैं.
यूपी की कचहरियों में 2007 में हुए धमाकों में पुलिस तथा आईबी के अधिकारियों द्वारा फर्जी तरीके से फंसाए गये मौलाना खालिद मुजाहिद की न्यायिक हिरासत में की गयी हत्या तथा आर.डी. निमेष कमीशन रिपोर्ट पर कार्रवायी रिपोर्ट के साथ सत्र बुलाकर सदन में रखने और आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों को छोड़ने की मांग को लेकर रिहाई मंच का धरना सोमवार को 104वें दिन भी जारी रहा.