Fahmina Hussain for BeyondHeadlines
कार्टून बनाना एक कला है, और कोई भी कला अपने प्रति समर्पण मांगती है, जो सबके बस की बात नहीं होती. लेकिन मुहम्मद यूसुफ़ ‘मुन्ना’ ने अपनी पूरी ज़िन्दगी को कार्टून के लिए समर्पित कर दिया है. अपने कार्टून्स के ज़रिये गरीबी, मंहगाई, अवसरवादी-दूषित राजनीति, सरकार की जनविरोधी नीतियों एवं खासकर अल्पसंख्यकों से जुड़े सियासी व सामाजिक समस्याओं पर व्यंग करते युवा कार्टूनिस्ट मुहम्मद यूसुफ़ के कार्टून्स लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचने की क्षमता रखते हैं.
यूसुफ़ ग़रीब, शोषित, पीडि़त, घटिया-राजनीति, साम्प्रदायिकता और अल्पसंख्यकों के शोषण व उत्पीड़न के विरोध को अपने कार्टून्स का मुख्य विषय बताते हैं. साथ ही वे शोषणकारी एवं साम्राज्यवादी ताक़तों पर कार्टून्स के ज़रिये जमकर हमला बोलते हैं. उनका कहना है कि ’कार्टून’ ऐसी कला है जिसमें कुछ आड़ी-तिरछी रेखाओं के ज़रिये समाज व सरकार का ध्यान गंभीर से गंभीर समस्याओं की ओर खींचा जा सकता है तथा व्यंग्यात्मक ढंग से तीखी सच्चाई से लोगों को रूबरू कराया जा सकता है. और मेरा मक़सद समाज के उन बिन्दुओं को कार्टून्स के माध्यम से व्यक्त करना है जो आमतौर पर छूट जाते है. प्रत्येक घटनाओं को देखने के अलग-अलग नज़रिए होते है, उनमें से एक नज़रिया हमारा यह कार्टून भी है…
वो बताते हैं कि बचपन में ’कॉमिक्स’ पढ़ने के शौक के कारण उनका झुकाव कार्टून्स बनाने की ओर हुआ. यही रूचि बाद में राजनैतिक कार्टून के रूप में बदल गयी. गोरखपुर (उ0प्र0) में जन्मे यूसुफ़ कार्टून्स को प्रोफेशन से ज्यादा मिशन के रूप में देखते हैं. उनका मानना है कि इस कला का इस्तेमाल आम जनमानस की समस्याओं, पीडि़तों को उठाने और सरकार की गलत नीतियों का विरेाध करने के लिए होना चाहिए. यूसुफ बताते हैं कि कार्टून के ज़रिए पैसा कमाना कभी मेरा मक़सद नहीं रहा, बल्कि अपने कार्टून के ज़रिए समाज में बदलाव लाना चाहता हूं.
यूसुफ अल्पसंख्यकों खासकर मुसलमानों को आतंकी बताकर फर्ज़ी मामलों में फंसाने की बढ़ती घटनाओं को दुखद मानते हैं. उन्होंने अनेक कार्टून्स के ज़रिये सुरक्षा एजेंसियों एवं सरकार को कटघरे में खड़ा किया है. फर्जी एन्काउंटर, गिरफ़्तारी, साम्प्रदायिक ताक़तों को संरक्षण, भ्रष्टाचार, बाबरी मस्जि़द विध्वंसकों को छूट, अल्पसंख्यकों का पिछड़ापन, गुजरात नरसंहार आदि विषयों पर युसूफ़ के सैकड़ों कार्टून्स एक दर्जन से ज्यादा पत्र-पत्रिकाओं एवं न्यूज़ पोर्टल पर प्रकाशित हो चुके हैं. यूसुफ एक अच्छे कार्टूनिस्ट के साथ-साथ अच्छे पत्रकार भी हैं, और हिन्दी अखबारों में काम कर चुके हैं.
अपने करियर के शुरूआत अपने जन्म स्थल यानी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर शहर के एक स्थानीय अखबार से की. फिर बतौर पत्रकार दैनिक जागरण से जुड़ गए. साथ ही उन्होंने यहां अनेक पत्र-पत्रिकाओं के लिए कार्टून्स भी बनाये. नवम्बर-1999 में वे नई दिल्ली आ गए. वर्तमान में यूसुफ नई दिल्ली से प्रकाशित ’कान्ति’ साप्ताहिक समाचार पत्र में उप-संपादक के पद पर कार्यरत हैं तथा कई पत्र-पत्रिकाओं के लिए कार्टूनिस्ट के रूप में भी सक्रिय हैं.
मुहम्मद यूसुफ़ BeyondHeadlines के पाठकों लिए भी कार्टन बनाते रहते हैं. आप उनके कुछ कार्टून्स नीचे देख सकते हैं.