BeyondHeadlines News Desk
लखनऊ : बाटला हाउस फर्जी एनकाउंटर के सवाल पर जिस तरह से राजनैतिक पार्टियां बोल रही हैं वह यह साबित करता है कि उनकी पूरी कोशिश सत्य पर पर्दा डालने और जानबूझ कर आम जनता को गुमराह करने में ही ज्यादा है.
यह बातें आज रिहाई मंच की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने कही. आगे उन्होंने मांग की कि बाटला हाउस का उनकाउंटर फर्जी था या फिर सही, इसकी सत्यता का पता लगाने के लिए एसआईटी का गठन ज़रूर किया जाय ताकि इसका सच आवाम जान सके.
मोहम्मद शुऐब ने कहा कि बाटला हाउस में पुलिस के साथ कथित तौर पर मुठभेड़ में मारे गये दोनों बच्चों पर न्यायालय की ओर से अभी तक कोई फैसला नहीं आया है. जब घटना स्थल इस भुठभेड़ के बारे में सैकड़ो मज़बूत सवाल खड़े कर रहा हो तो मारे गये बच्चों के इंसाफ के लिए ज़रूरी है कि इस पूरे मामले पर एसआईटी का गठन किया जाय.
उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा समेत अन्य राजनैतिक दलों द्वारा बाटला हाउस फर्जी एनकाउंटर के सवाल को जानबूझ कर यह कहते हुए दबाया जा रहा है कि इस मामले में कोर्ट का फैसला आ चुका है, जबकि सच्चाई यह है कि केवल इंस्पेक्टर चन्द्र मोहन शर्मा की हत्या पर पैसला आया है और इसका मुठभेड़ के फर्जी होने या न होने से कोई संबंध नही है.
मोहम्मद शुऐब ने मंच की ओर से जारी बयान में मुज़फ्फरनगर मामले में भी एसआईटी जांच की मांग की. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में वर्तमान सपा सरकार में कोसीकलां, फैजाबाद, अस्थान, बरेली से लेकर मुजफ्फरनगर तक जिस तरह से अल्पसंख्यक मुसलमानों का कत्लेआम किया गया और जिस तरह से सपा सरकार की इनमें भूमिका दिखी, उससे साफ है कि इस प्रदेश में हुए सारे दंगों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट की देख रेख में एक एसआईटी का गठन किया जाय. बिना एसआईटी के गठन के प्रदेश के दंगा पीडि़त परिवारों को इंसाफ कतई मिलने वाला नहीं है.
आगे उन्होंने कहा कि प्रदेश में सपा और भाजपा के बीच राजनैतिक लाभ के लिए एक नूराकुश्ती चल रही है और धार्मिक ध्रुवीकरण में ही वे अपना फायदा देख रहे हैं.
वहीं रिहाई मंच के नेता मसीउद्दीन संजरी और प्रवक्ता राजीव यादव का कहना है कि भाजपा और सपा आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाह नौजवानों को रिहा करने के नाम पर प्रदेश में राजनीति कर ‘कम्यूनल पोलराइजेशन’ को मज़बूत कर रहे हैं. निमेष आयोग की रिपोर्ट में बेगुनाह बताये गये नौजवानों को भाजपा जहां आतंक के आरोपियों को सपा सरकार द्वारा छोड़ने का दुष्प्रचार कर सपा को मुसलमानों के बीच हीरो बना कर पेश कर रही है तो वहीं दूसरी ओर वह गैर मुस्लिम वोटों को आतंकवाद-राष्ट्रवाद के नाम पर अपने पक्ष में ध्रुवीकृत करने की कोशिश में लगी है.
जबकि सच्चाई यह है कि सपा सरकार ने अपने वादे के मुताबिक आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों में से एक को भी अब तक रिहा नहीं किया है, लेकिन भाजपा और सपा आपसी लाभ के लिए बेगुनाहों के सवाल पर राजनिति कर रही हैं. दरअसल, प्रदेश की राजनीति में भाजपा और सपा के बीच सब कुछ फिक्स हो चुका है- पहले कौन बोलेगा? कहां बोलेगा? और क्या बोलेगा. फिर जवाब कौन देगा? कहां से देगा?
भाजपा और सपा की सभाएं भी फिक्स करके ही रखी जा रही हैं. दोनों नेताओं ने कहा कि एनआईए जांच एजेंसी जानबूझ कर भगवा आतंकवादियों को बचा रही है. इसीलिए समझौता ब्लाष्ट और अजमेर दरगाह ब्लाष्ट के षड़यंत्रकर्ताओं में शामिल योगी आदित्यनाथ और इन्द्रेश कुमार, जिसका नाम जेल में बंद असीमानन्द ने भी अपने बयान में लिया है, से आज तक पूछताछ नहीं की. यही नहीं, भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह और जेल में बंद साध्वी प्रज्ञा के बीच आपसी मुलाकात की तस्वीरें अखबारों में प्रकाशित हुई थीं, इसके बावजूद आज तक राजनाथ सिंह से पूंछ ताछ तक नहीं की गयी. यह साबित करता है कि एनआईए भगवा आतंकवादियों को बचाने में लगा हुआ है.
आवामी काउंसिल फॉर डेमोक्रेसी एण्ड पीस के महासचिव असद हयात बताते हैं कि सपा सरकार दंगा भड़काने के आरोपियों को बचाने में लगी हुई है और दंगा पीडि़तों को इंसाफ देने के अपने वादे से पीछे हट रही है. दंगे के दौरान करीब चार माह पहले पचास वर्षीय मेहरदीन की लाश संदिग्ध अवस्था में फांसी पर झूलती हुई नग्न पायी गयी थी. इस मामले में एफआईआर दर्ज होने के चार महीने बाद अब वह लाश खुदवाकर पोस्टमार्टम द्वारा उसकी मौत का सच जानने से सरकार लगातार पीछे हट रही है.
सपा सरकार दंगा भड़काने के आरोपी और हत्यारों को बचाने के लिए ही मेहरदीन का शव कब्र से नहीं निकलवा रही है और इस तरह सरकार इंसाफ के कत्ल पर आमादा है.