Ashutosh Kumar Singh for BeyondHeadlines
कांग्रेस को एक सलाह देना चाहता हूँ. उसे सभी संसदीय क्षेत्रों में निर्दलीय उम्मीदवार खड़ा करना चाहिए. बेशक पीछे से उन्हें वो सपोर्ट करे. देश का मूड देखते हुए इस बार कांग्रेसी टिकट को कूड़ेदान में डाल देना चाहिए, क्योंकि इस नाम व पंजा छाप से लोग बहुत परेशान हैं. जितने निर्दलीय जीत के आयेंगे, उन्हें पार्टी में शामिल कर लेना चाहिए. इस तरह से कांग्रेस को कुछ सीट भी मिल जायेगी और धन-बल की बर्बादी भी बच जायेगी.
आप मानो या न मानों लेकिन सच कहता हूं नववर्ष में अभी तक किसी को सलाह नहीं दिया हूँ. कांग्रेस को ही दे रहा हूँ. मेरा मन कह रहा है कि यदि कांग्रेस को अपनी फ़जीहत से बचना है तो उसे 2014 का लोकसभा चुनाव न लड़कर अगले पांच सालों तक अपने कार्यकाल में किए गए जन-विरोधी कार्यों के लिए पश्चताप करना चाहिए, मंथन करना चाहिए. विश्वास मानिए भारत की जनता बहुत दयालु हैं, जब आप अपनी गलतियों को सुधारकर उसके पास जाओगे तो आपको अपने सिर-आँखों पर बिठा लेगी.
खैर यह तो मेरा मन कह रहा है. कांग्रेस का मन क्या कह रहा है यह तो वही बता पायेगी! सच मानिए, अगर कांग्रेस चुनाव नहीं लड़ती है तो उसे बहुत फायदे होने वाले हैं. प्रधानमंत्री का उम्मीद्वार किसे घोषित किया जाए? इस प्रश्न का जवाब देने की जरूरत नहीं पड़ेगी. महंगाई क्यों बढ़ी? इतने घोटाले क्यों हुए? प्रधानमंत्री मौनव्रत क्यों धारण किए हुए हैं? अमेरिका से क्यों डर लगता है? इस तरह के सवालों से कांग्रेस सीधे-सीधे बच जायेगी.
पाँच साल बाद जब वह फिर से चुनाव में आयेगी तब उसके पास सत्ता-पक्ष के नकारेपन का सबूत के साथ हिसाब-किताब रहेगा और उसे अपनी बात कहने के लिए कुछ बात भी होगी. लेकिन अभी तो मत पूछिए, यदि कांग्रेस चुनाव लड़ती है तो इसे गोइठा में घी सुखाना ही तो कहा जायेगा…! खैर, मेरा मन मैंने कह दिया, आपका मन मानो या न मानो.
ज़रा सोचिए! कल प्रेस कांफ्रेस कर दिग्विजय सिंह यह कहें- ‘कांग्रेस पार्टी ने जनता के हित में यह फैसला लिया है कि इस बार वह चुनाव नहीं लड़ेगी… भूलवश जो गलतियां हो गयी हैं, उसे सुधारने के लिए कांग्रेस पांच सालों तक जन पार्टी के रूप में जनता के बीच में रहेगी… जनता की समस्याओं पर शोध करेगी और फिर उसके समाधान के लिए 2019 में अपना खुद का एजेंडा लेकर जनता के बीच जायेगी…’
इस बयान के बाद रातो-रात कांग्रेस की इमेज कितनी महान हो जायेगी… क्यों है न! दिग्विजय जी को यह सलाह कोई दे तो सही! सोनिया जी तो पहले से ही त्यागमूर्ति हैं! इस बार पूरी की पूरी कांग्रेस त्याग का पर्याय हो जायेगी! कांग्रेस के लिए नववर्ष में इससे बेहतर और क्या सलाह हो सकती है!
(लेखक व्यंगकार हैं और इन दिनों मुम्बई में संस्कार पत्रिका से जुड़े हैं.)