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आईएसआई एजेंट के समर्थन में बोले थे आप उम्मीदवार राजमोहन गांधी!

राजमोहन गांधी ने किया था आईएसआई एजेंट गुलाम नबी फाई की सजा माफ़ करने की सिफारिश…

BeyondHeadlines News Desk

महात्मा गांधी के पोते और पूर्वी दिल्ली से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार राजमोहन गांधी एक आईएसआई एजेंट के समर्थक हैं. वे आईएसआई एजेंट गुलाम नबी फाई के हक़ में आवाज़ बुलंद कर चुके हैं. ऐसा हम नहीं कह रहे हैं कि बल्कि खुद राज मोहन गांधी ने स्वीकार किया है.

BeyondHeadlines ने जब इस सिलसिले में राज मोहन गांधी से बात की तो पहले उन्होंने समर्थन से इंकार किया. लेकिन दुबारा सवाल करने पर उन्होंने बताया कि जब  गुलाम नबी फाई को सज़ा सुनाई गई तो उस समय उसकी हालत काफी दयनीय हो गई थी. उसके वकील के कहने पर भारत से कई लोगों ने इंसानियत के नाते उसकी सज़ा कम करने की अपील की थी. इंसानियत के नाते हमने भी उसकी सज़ा कम करने के लिए एक चिट्ठी ज़रूर लिखा, लेकिन इसका मतलब यह क़तई नहीं है कि मैं उसका समर्थक हूं.

स्पष्ट रहे कि फाई अभी अमेरिका की जेल में है. उसे अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआई आईएसआई से पैसे लेकर कश्मीर को भारत से अलग करने की मुहिम चलाने के आरोप में गिरफ्तार किया था. फाई पर ‘मिशन कश्मीर’ के लिए आईएसआई से 3.5 मिलियन डॉलर की भारी भरकम रकम लेने का आरोप है. इतना ही नहीं, आईएसआई से संबंधों पर दो साल की सजा भी हो चुकी है.

एक खबर के मुताबिक पाकिस्तान, भारत और अमेरिका के कम से कम 53 लोग उसके समर्थन में थे. उनमें से सबने जिला न्यायाधीश लियम ओ ग्रेडी से कश्मीरी अलगाववादी को हल्की सजा देने की मांग की थी. फाई के समर्थन में अमेरिकी जिला न्यायाधीश को पत्र लिखने वाले जाने माने लोगों में राजमोहन गांधी के अलावा वेद भसीन, करन पार्कर, जफर ए शाह, जाहिद जी मुहम्मद और हमीदा बानो आदि के नाम शामिल हैं.

बताया जाता है कि फाई ने राजमोहन गांधी की चिट्ठी का बखूबी इस्तेमाल भी किया और कोर्ट में इसे दिखाकर अपने हक़ में नरमी की अपील की थी. लेकिन राजमोहन गांधी को आज भी इसमें कुछ भी गलत नहीं लगता. बियांड हेडलाइंस से बातचीत में वे कहते हैं कि चूंकि फाई ने अपनी गलती कबूल ली थी, इसलिए उन्होंने इंसानियत के नाते उसका साथ दिया था.

[box type=”info” ] कौन है गुलाम नबी फाई-

अमेरिका में रहकर कश्मीर अमेरिकन काउंसिल चलाने वाला फाई कश्मीर की आजादी के कट्टर समर्थकों में से एक है. अमेरिका रहकर वो कश्मीर के प्रति अमेरिकी नीति को प्रभावित करने की कोशिशें कर रहा था. आईएसआई से उसे भारी भरकम फंडिग हो रही थी. अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआई की जांच में फाई का काला सच खुलकर सामने आ गया था. एफबीआई ने अपनी जांच में पाया था कि आईएसआई फाई को खुलकर मदद कर रही थी, मक़सद एक ही था, कश्मीर पर भारत के हितों को अधिक से अधिक चोट पहुंचाना और अंतराष्ट्रीय बिरादरी को भारत के खिलाफ करना….

फाई को अमेरिका ने मार्च 2012 में आईएसआई से संबंधों, साजिश और टैक्स इवेजन के आरोपों में दो साल की सज़ा दी, जिसके खत्म होने के बाद 3 साल की सरकारी निगरानी भी शामिल थी. एफबीआई की पूछताछ में फाई ने आईएसआई के साथ अपने रिश्तों की सच्चाई कबूल भी की थी. मगर उसने कभी भी कश्मीर पर अपने रूख को लेकर कोई भी पछतावा जाहिर नहीं किया. कश्मीर विशेषज्ञों के मुताबिक फाई आज भी कट्टर तौर पर कश्मीर मसले पर भारत के हकों के खिलाफ है. उसने भारत के खिलाफ काम करने की अपनी गलती कभी कबूल नहीं की और रिहा होने के बाद भी वह मिशन कश्मीर में फिर से जुटेगा. [/box]

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