India

कानून का यह दोहरा माप दंड क्यों?

BeyondHeadlines News Desk

कल दिनांक 28.2.2014 को सहारा इंडिया समूह के मालिक सुब्रत राय को निवेशकों की करोड़ों रुपए की धनराशी वापस न करने के मामले में पेश न होने के कारण सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी गैर ज़मानती वारंट के अधीन गोमती नगर थाने की पुलिस ने गिरफतार किया था और उन्हें  मुख्य न्यायिक मैजिस्ट्रेट, लखनऊ की अदालत में पेश किया गया था.

मुख्य न्यायिक मैजिस्ट्रेट, लखनऊ ने उसे 4 दिन तक पुलिस हिरासत में रखने तथा 4 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया. पुलिस हिरासत का मतलब है कि उसे 4 मार्च तक गोमती नगर थाने में रखा जायेगा. वर्तमान कानून और नियमों के अंतर्गत उसे थाने की हवालात में रखा जाना चाहिए था परन्तु ऐसा न करके उसे वीआईपी का दर्जा दे कर कुकरैल स्थित वन विभाग के गेस्ट हाउस में रखा गया है.

इससे पहले पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी में भी उसे अपनी मन मर्ज़ी करने का पूरा मौका दिया. पुलिस सवेरे  से दोपहर तक उस के घर के बाहर उसके प्रकट होने की प्रतीक्षा करती रही. ऐसी परिस्थिति में अगर कोई दूसरा व्यक्ति होता तो पुलिस ज़बरदस्ती करके उस के घर में घुस कर उसे गिरफतार करती, परन्तु इस मामले में ऐसा नहीं किया गया. पुलिस का यह बर्ताव न केवल कानून और नियमों बल्कि कानून के समक्ष समानता के सिद्धांत का भी खुला उलंघन है.

इस देश में आम जन के लिए एक कानून और विशिष्ट जन के लिए दूसरा कानून कब तक चलता रहेगा? हम लोग कानून के इस दोहरे माप दंड की कड़ी भर्त्सना करते हैं और कानून के समक्ष समानता और कानून के राज की मांग करते हैं.

एसआर दारापुरी, सेनि आईपीएस और राष्ट्रीय प्रवक्ता, आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट

डॉ संदीप पाण्डेय, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया)

राजेंद्र सिंह, मगसेसे पुरुस्कार से सम्मानित कार्यकर्ता

डॉ सुनीलम, भूतपूर्व विधायक मप्र और अध्यक्ष, किसान संघर्ष समिति

मो0 शोएब, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया)

मधु गर्ग, अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति

विनोद शंकर चौबे, सेनि आईएएस

अरुंधति धुरु, जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय

नवीन तिवारी, उप्र सूचनाधिकार अभियान, जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय

डॉ आरके मिश्रा

उर्वशी साहिनी

समीना बानो

सुरभि अग्रवाल

आलोक सिंह

राकेश अग्रवाल

बाबी रमाकांत, आशा परिवार

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