Afroz Alam Sahil for BeyondHeadlines
बीजेपी आयात कर रही है. क्रिमिनल्स का, ठगों का और दाग़ियों की फौज का… आंकड़े गवाह हैं कि देश भर से दाग़ियों का हुजूम भगवा पार्टी के इस न्यौते को सर आंखों पर रखकर उसकी शरण में जा रहा है.
चाल, चरित्र और चेहरे की बात करने वाली पार्टी ऐसे चेहरों का आयात कर रही है, जिन्होंने इसके पहले से ही बदरंग हो चले चाल व चरित्र को पूरी तरह से मटियामेट कर देने का बीड़ा उठा लिया है.
खास बात यह है कि दिल्ली की चमचमाती सड़कों से लेकर गांव-देहातों की उबड़-खाबड़ पगडंडी तक हर क़दम पर ऐसे दागियों की पार्टी में खुलकर और खुलेआम अगवानी की जा रही है. आलम तो यह है कि भाजपा दूसरे दल के बागियों और दागी नेताओं का अपने पार्टी में स्वागत कर रही है.
शायद यही वजह है कि सोशल मीडिया में ऐसे बेशुमार पोस्ट सैर कर रहे हैं, जिसमें यह कहा जा रहा है कि आप वोट भले ही भाजपा को करेंगे, लेकिन जीत कांग्रेस की ही होगी. क्योंकि कांग्रेस के ज़्यादातर बाग़ी, दाग़ी व भ्रष्ट नेता अब भाजपा में ही हैं. इतना ही नहीं, भाजपा को उन लोगों से भी गठबंधन करने में कोई परहेज़ नहीं रहा जिन पर संगीन इल्जाम थे. और जिनकी पहचान हमेशा से भ्रष्ट नेता के तौर पर रही है.
भ्रष्ट व दागी नेताओं को पार्टी में शामिल करने की होड़ में पार्टी ने अपने कद्दावर नेताओं की भी एक न सुनी. सुषमा स्वराज जैसी कद्दावर नेता के विरोध के बावजूद बेल्लारी के श्रीरामुलु का खुलेआम गले लगाया गया.
बीएस येदियुरप्पा के आगे भी बीजेपी ने घुटने टेकने से परहेज़ नहीं किया. उनकी सारी शर्तें मानते हुए गाजे-बाजे के साथ पार्टी में शामिल करना बीजेपी के असल चेहरे को दिखाता है. भ्रष्टाचार की बात करने वाली पार्टी ने यह तक नहीं सोचा कि येदियुरप्पा पर लगे आरोपों का वो कैसे सामना कर पाएगी? येदियुरप्पा और श्रीरामुलु तक ही पार्टी नहीं रुकी.
बिहार में रामविलास पासवान की पार्टी के साथ गठबंधन किया गया. लोजपा के लिए सात सीटें छोड़ दी गई. जबकि पासवान की इस पार्टी में दागी नेताओं की लंबी फेहरिस्त है, सूरजभान सिंह से लेकर रमा सिंह तक… यह खेल यहीं नहीं रूका. कांग्रेस के नेता जगदंबिका पाल को भी राजनाथ सिंह ने गले लगाकर पार्टी में शामिल कर लिया. इस प्रकार इस पार्टी में बागी, दागी, क्रिमिनल और भ्रष्ट नेताओं की एक लम्बी फेहरिस्त है. आंकड़े गवाह हैं कि ज्यादातर क्रिमिनल बैकग्राउंड के नेता इस बार बीजेपी के उम्मीदवार हैं.
नेशनल इलेक्शन वाच ने अब तक नॉमिनेशन दाखिल कर चुके लोगों में से जिन 328 गंभीर अपराध का रिकॉर्ड रखने वाले नेताओं की सूची जारी है, उनमें से 36 नेता बीजेपी के हैं. वहीं इस संस्था ने अब तक नॉमिनेशन दाखिल कर चुके 557 उम्मीदवारों की भी एक सूची भी जारी की है, जिनके उपर अपराधिक मामले दर्ज हैं, तो इस सूची में भी बीजेपी के लगभग 70 उम्मीदवार हैं. अगर बात दिल्ली की जाए तो यहां सात सीटों पर बीजेपी के 5 उम्मीदवारों के खिलाफ अपराधिक मामले दर्ज हैं.
पार्टी की यह दिशा इस बात की ओर इशारा करती है कि सत्ता के खातिर पार्टी कुछ भी कर सकती है और विरोधी यहां तक कहते हैं कि कुछ भी करवा सकती है. सवाल यह है कि क्या इन्हीं चेहरों के दम पर लूटियन ज़ोन से बीजेपी 2014 में ‘इंडिया शाइनिंग की क़समें’ खाएगी?
चलते चलते यह भी बताता चलूं कि जिस तरह से भाजपा नरेंद्र मोदी को प्रचारित कर रही है, उससे यही साबित हो रहा है कि भाजपा की ओर से नरेंद्र मोदी ही 543 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं और व्यक्तिगत उम्मीदवारों का कोई महत्व नहीं हैं. ऐसे में ‘मोदी लहर’ या ‘हिंदुत्व लहर’ की भावनाओं में जनता के पास भाजपा उम्मीदवारों को अपनी कसौटियों पर परखने के मौक़े बहुत कम ही होंगे. यदि मतदाता पोस्टर पर चिपके मोदी को देखकर भाजपा को वोट देता है तो यह भाजपा के लिए भले फ़ायदेमंद साबित हो जाए लेकिन लोकतंत्र के लिए नुक़सानदेह ही होगा.