Afroz Alam Sahil for BeyondHeadlines
आम आदमी पार्टी के नेता अरविन्द केजरीवाल बनारस की लड़ाई में कूदने के लिए शहर में दाखिल हो चुके हैं. आज सुबह जब वो शिव गंगा एक्सप्रेस से बनारस पहुंचे तो उनका स्वागत उनके विरोध वाले बैनर व पोस्टर से हुआ. स्टेशन पर जगह-जगह पोस्टर लगाए गए थे -“देखो-देखो दिल्ली का भगौड़ा आया…”. यह पोस्टर भगत सिंह क्रांति सेना की ओर से लगाए गए थे. केजरीवाल के समर्थकों ने इन पोस्टरों को तुरंत हटाने का काम किया. हालांकि ये अब पूरे शहर में चस्पा किया जा चुका था.
केजरीवाल शिव गंगा से उतर कर काफी सेक्यूरिटी के साथ स्टेशन के बाहर आए और गाड़ी पर सवार होकर सीधे तुलसी घाट के लिए रवाना हो गए. तुलसी घाट में संकट मोचन मंदिर के महंत विशम्बर नाथ मिश्र के घर पहुंचे. घर पहुंचते ही उन्हें भगौड़ा कहे जाने पर मीडिया ने सवाल किया तो अरविन्द का कहना था कि यह मोदी और भाजपा की साजिश है. यह तो भगवान राम को भी भगौड़ा कहते हैं.
कुछ विशम्बर नाथ मिश्र के घर पर ही रूके और फिर अपने ‘चुनावी मिशन’ के लिए निकल पड़े. सबसे पहले मुलाकात की बनारस शहर के क़ाज़ी गुलाम यासीन से… क्योंकि केजरीवाल को मालूम है कि बनारस में अगर मोदी को टक्कर देना है तो मुसलमानों का वोट बहुत अहम है.
हम बताते चलें कि क़ाज़ी-ए-शहर गुलाम यासीन से हम दो पहले भी मिल चुके थे. उनका स्पष्ट कहना था कि सियासत से उनका कोई वास्ता नहीं है. खैर, केजरीवाल गुलाम यासीन के घर पहुंचे और मुसलमानों के मसलों पर बातचीत की और सिर्फ आश्वासन देकर चलते बने.
केजरीवाल का अब दूसरा ठिकाना बनारस के मलदहिया इलाके के सीवर बस्ती थी. यहां की मलीन बस्ती जहां एक पवन नामक एक सीवर कर्मी के सीवर में फंस जाने के कारण मौत हो गई थी. केजरीवाल विधवा पिंकी से मिले और उसकी तकलीफों को सुना. पिंकी ने केजरीवाल से घर और एक अदद नौकरी की गुहार की. केजरीवाल ने उसे भरोसा दिलाया और आगे बढ़ गए.
इसके बाद केजरीवाल पूर्व सूचना आयुक्त ओ.पी. केजरीवाल के घर पहुंचे और उनसे उनका समर्थन मांगा. खास बात यह है कि ओ.पी. केजरीवाल, मोदी के समर्थन का पहले ही ऐलान कर चुके हैं.
यहां से खाली हाथ लौटने के बाद केजरीवाल का अगला पड़ाव था नादेसर गोकुल गार्डेन का, जहां केजरीवाल को जनता के साथ संवाद करना था. उनके पहुंचने के पहले जनता में पर्ची बांट दी गई, जिस पर सबको अपने सवाल लिखने को कहा गया. केजरीवाल यहां काफी सेक्यूरिटी के साथ पहुंचे और लोगों के सवालों के जवाब देने से पहले भाषण दिया. बल्कि यूं कहिए कि बनारस क्रांति का आगाज़ किया.
इस समारोह उन्होंने पवन की मौत का भी ज़िक्र किया और जनता को एक पत्र दिखाते हुए बताया कि उन्होंने पिंकी को मुवाअज़ा के साथ-साथ नौकरी के लिए ज़िला प्रशासन को पत्र लिखा है. उस पूरे पत्र को उन्होंने वहां पढ़ कर सुनाया.
केजरीवाल के भाषण में कांग्रेस व भाजपा दोनों ही निशाने पर थे. और खास निशाने पर यहां से चुनाव लड़ रहे नरेन्द्र मोदी… जनता के पर्ची पर लिखे सवालों से रूबरू होकर वापस लौट गए. हालांकि ज़्यादातर जनता का आरोप था कि उन्होंने सिर्फ अपने ही लोगों के बने-बनाए सवालों का जवाब दिया है. खैर, इन सब सवालों के बीच सच बात तो यह है कि बनारस की लड़ाई केजरीवाल के लिए सम्मान की लड़ाई है. ऐसे में केजरीवाल अगले 12 मई तक बनारस में ही गुज़ारने का फैसला ले चुके हैं. अब देखना दिलचस्प होगा कि सम्मान की इस लड़ाई में जनता इनके बातों व कामों का कितना सम्मान करती है.