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शहर का महावीरी आखाड़ा और बेतिया पुलिस का साहसिक क़दम

Afroz Alam Sahil for BeyondHeadlines

बेतिया : धार्मिक जुलूस उन्माद का कारण बनते रहे हैं. भारत में हुए अधिकतर सांप्रदायिक दंगों की पृष्ठभूमि में भी धार्मिक जुलूस ही रहे हैं. शुक्रवार-शनिवार को बिहार के पश्चिम चम्पारण ज़िले के बेतिया शहर में नागपंचमी मनाया जाएगा. इस दिन महावीरी अखाड़े का जुलूस निकाला जाता है.

किसी भी तनाव से बचने के लिए बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के बेतिया की पुलिस ने एक साहसिक शुरुआत करते हुए महावीरी अखाड़े के जुलूस के दौरान हथियारों के प्रदर्शन पर रोक लगाने का फ़ैसला लिया है. पुलिस ने जनहित में एक अपील भी जारी की है, जो पूरे शहर में हर चौक चौराहे पर चस्पा किया गया है.

©BeyondHeadlinesइतना ही नहीं, शहर के माहौल को दुरूस्त रखने के लिए पूरे ज़िले में मजिस्ट्रेट व पुलिस अधिकारियों के साथ जवानों की प्रतिनियुक्ति कर दी गई है. ज़िला जन सम्पर्क अधिकारी रवीन्द्र कुमार के मुताबिक इस संबंध में डीएम लोकेश कुमार सिंह व एसपी सौरभ कुमार शाह के संयुक्त आदेश जारी कर दिए गए हैं. आदेश के मुताबिक सभी प्रतिनियुक्ति स्थल पर 31 जुलाई की संध्या से ही तैनात रहना है. इसके अलावा धानाध्यक्षों व अधिकारियों को अफवाह फैलाने वाले तत्वों पर नज़र रखने तथा उनके विरूद्ध कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए गए हैं. बल्कि इसके मद्देनज़र शहर के 21 लोगों पर अपराध नियंत्रण अधिनियम यानी सीसीए भी लगाया गया है. इस संबंध में नोटिस भी जारी किया जा चुका है. इसके साथ ही सुरक्षा व्यवस्था सुदृढ़ रखने के लिए बुधवार को शहर में पुलिस ने फ्लैग मार्च भी किया. साथ ही दंगा नियंत्रण गाड़ी पूरे शहर में घुमाया गया.

दूसरी तरफ शांति कमिटी की भी बैठक की गई जिसमें रात का आखाड़ा न निकालने पर सहमति जताई गई है. इसके इलावा दिन के आखाड़े में घातक हथियारों व लुकार को प्रतिबंधित किया गया है.

दरअसल, नागपंचमी के मौके पर बेतिया शहर में हिन्दू समुदाय के लोग जुलूस निकालते हैं. इन जुलूसो को अखाड़ा कहा जाता है. प्रशासन ने इस बार सिर्फ रात का अखाड़ा निकालने पर रोक लगा दी है. इसी तरह का रोक इससे पहले मुसलमानों के निकलने वाले मुहर्रम के जुलूस पर भी लगाया गया था. तब मुस्लिम समुदाय के लोगों के इसके विरोध में आरोप लगाया था कि बेतिया पुलिस साम्प्रदायिक है, क्योंकि इस पुलिस ने महावीरी अखाड़े को रोकने के लिए ऐसी कोई अपील नहीं की थी. पर अब बेतिया पुलिस ने इस आरोप को पूरी तरह से खारिज कर दिया है और साथ ही शहर के लोगों को यह भी संदेश दे दिया है कि पुलिस व प्रशासन कभी सांप्रदायिक नहीं होती.

स्पष्ट रहे कि पिछले ही वर्ष महावीरी अखाड़े के दौरान छिटपूट हिंसा हुई थी और असामाजिक तत्वों ने दुकानों, मकानों और गाड़ियों को नुकसान भी पहुंचाया था. महावीरी अखाड़े के दौरान मुस्लिम समाज से जुड़े स्थानों जैसे कि कब्रिस्तानों आदि पर हमले भी किए गए थे. यही नहीं प्रशासन की छूट के कारण दिन में भी अखाड़ा निकाला गया. शहर का माहौल ख़राब करने की कोशिशें सुर्खियाँ भी बनी थी.

ईद और महावीरी के मौक़े पर बेतिया पुलिस द्वारा जारी अपील में कहा गया है कि-

यदि आप किसी साम्प्रदायिक विद्वेष फैलाने वाली घटना में शामिल होंगे तो आपके ऊपर भा.द.वि. की धारा 152, 153(A), 153(B), 188, 295(A), 296. 298 के तहत प्राथमिकी दर्ज की जाएगी.

– आप दंगाई घोषित किए जाएंगे और ज़िन्दगी भर इस दाग के साथ जिएंगे.

– आप किसी नौकरी के लिए आवेदन नहीं कर पाएंगे.

– अगर आप जन प्रतिनिधी हैं तो भविष्य में कोई चुनाव नहीं लड़ पाएंगे.

– ख़ुफ़िया विभाग की आपके ऊपर हमेशा नज़र रहेगी.

– थाना और न्यायालय के चक्कर में आप और आपका पूरा परिवार परेशान रहेगा.

– आपके घर कोई रिश्ता नहीं जोड़ना चाहेगा.

इसके साथ-साथ यह भी लिखा है कि महावीरी अखाड़ा में जुलूस निकाले जाते हैं, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों से गुज़रते हुए प्रदर्शनकारी परम्परागत हथियारों का प्रदर्शन करते रहे हैं. इस हथियार प्रदर्शन में लुकार, ज्वलनशील पदार्थ, घातक हथियार जो आर्म्स एक्ट के अन्तर्गत निषेधित है, उन्हें जुलूस में शामिल करना  प्रशासन द्वारा पूर्ण प्रतिबंधित किया गया है.

इन सबके बीच शहर का माहौल काफी शांत है. लोग ईद के जश्न में अभी भी डूबे हुए हैं. उधर महावीरी आखाड़े की तैयारी भी ज़ोर व शोर से चल रही है. शहर के कई चौक चौराहों पर रात में ढ़ोल व बाज़े के साथ तैयारियां की जा रही है. लाठी व तलवार के साथ करतब दिखाने की प्रैक्टिस जारी है…

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