India

राजस्थान के एक गांव ने पॉलिथिन से की तौबा

Avinash Kumar Chanchal for BeyondHeadlines

राजस्थान के झुनझुनु का एक बेहद पिछड़ा गांव श्योलपुरा इन दिनों चर्चा में है. खेतरी से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस गांव में लगभग 80-100 परिवार रह रहे हैं. यह गांव आज पूरे देश को पॉलिथिन मुक्त होने का संदेश दे रहा है.

इस गांव के स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की पहल पर एक नयी शुरुआत हुई है, जिसमें अब ग्रामीण भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं. इनका उद्देश्य है गांव को पॉलिथिन मुक्त बनाना.

कुछ दिन पहले इस गांव में गांधी फैलोशिप के तहत अभिषेक कुमार चंचल ग्रामीणों और स्कूली बच्चों के साथ काम करने आये थे. अभिषेक के सुझाव पर ग्रामीणों और बच्चों ने डिजाईन फॉर चेंज प्रतियोगिता में भाग लेने का निर्णय लिया, जिसके तहत इस गांव को पॉलिथिन मुक्त बनाये जाने की योजना है.

इस योजना के अंतर्गत बच्चों ने एक नयी शुरुआत की. गांव के सारे बच्चे मिलकर पॉलिथिन इकट्ठा कर रहे हैं. अगले पांच छह दिनों में गांव को पॉलिथिन मुक्त बनाने का लक्ष्य तय किया गया.

इस योजना को 5 चरणों में बांटा गया, जिसमें पहले चरण में गांव से पॉलिथिन को चुन कर दफनाना, दूसरा गांव से पुराने कपड़ों व पुराने अख़बारों को एकत्रित करना, तीसरा पुराने कपड़ों का थैले बनाकर घर-घर वितरित करना, चौथा पेपर से बने लिफाफे को राशन दुकानों में बांटना और उनसे अनुरोध करना कि पॉलिथिन का उपयोग न करें.

साथ ही, उन्हें इससे होने वाले नुक़सान के बारे में जागरुक करना और पांचवे चरण के तहत जब ये योजनाएं सफल हो जायेंगी तो दुकानों में पेपर से बने लिफाफे देने के लिये बच्चें इसे एक लघु उद्योग के रुप में स्थापित करेंगे, जिससे ये बच्चे स्कूलों में अपनी ज़रुरत के सामान को भी खरीद सकते हैं.

फिलहाल यह योजना मूर्त रुप में आ गयी है. बच्चों के इस प्रयास को देखकर गांव वालों ने बैठक करके पॉलिथिन उपयोग न करने और कपड़े की थैली बाजार ले जाने को तैयार हुए हैं. बच्चों ने राशन दुकान वाले से भी आग्रह किया है कि आगे से वो सौदा कागज की थैली में दें.

इस जागरुकता को समझाते हुए श्योलपुरा राज्यकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय के प्राचार्य राम शर्मा एक घटना का जिक्र करते हैं, “एक दिन मैं राशन दुकान पर पॉलिथिन में सामान ले रहा था तभी तीसरा कक्षा के संजय ने मुझे पॉलिथिन की जगह कागज के लिफाफे में राशन लेने की सलाह दी. मुझे माफी मांगनी पड़ी.”

प्राचार्य बताते हैं कि वैसे तो संजय शांत स्वभाव का है, लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में हर बच्चे की महत्वपूर्ण भागीदारी होने से अब वो मुखर हो गया है और इस सफाई अभियान के एक हिस्सेदार होने की भावना बच्चों को ज्यादा सजग बना रही है.

श्योलपुर रा. उ. प्रा. वि. के प्राचार्य राम शर्मा को राज्य स्तर पर शिक्षण कार्य हेतु पुरस्कृत भी किया गया है.

इस पूरी कार्य-योजना को ज़मीन पर उतारने वाले अभिषेक कहते हैं कि यब सब मुमकिन नहीं था. एक बाहर से आए आदमी का इस अनजान जगह पर खुद के प्रति भरोसा जगा पाना, लेकिन स्कूल के हेडमास्टर शर्मा सर और दूसरे बच्चों के सहयोग ने मेरे काम को आसान बना दिया और नतीजा आप सबके सामने है.

इस पूरी प्रक्रिया के तहत एक बड़ी रैली का आयोजन भी किया गया, जिसमें बच्चों सहित ग्रामीणों ने भी हिस्सा लिया.

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