BeyondHeadlines News Desk
लखनऊ : केन्द्र में नरेन्द्र मोदी की सरकार बनने के बाद पूरे देश में बढ़ती सांप्रदायिकता और कारपोरेट लूट के खिलाफ विभिन्न राजनीतिक दलों व जन संगठनों की बैठक आज विधानसभा मार्ग लखनऊ स्थित माकपा कार्यालय पर हुई.
बैठक में माकपा, भाकपा माले, भाकपा, आईपीएफ, नागरिक परिषद और रिहाई मंच के नेताओं ने ‘सांप्रदायिकता व कारपोरेट लूट के खिलाफ जन अभियान’ चलाने का निर्णय लिया.
बैठक में मौजूद नेताओं ने कहा कि कभी ‘लव जिहाद’ के नाम पर अफवाह फैलाकर, तो कभी लाउड स्पीकर जैसे छोटे-छोटे मुद्दों का सांप्रदायिकरण करके संघ परिवार और उससे जुड़े संगठनों ने पिछले चार महीनों में पूरे देश में अराजकता और असुरक्षा का माहौल पैदा कर दिया है. जिसमें संघ परिवार और भाजपा नेताओं की भूमिका कई बार सार्वजनिक तौर पर उजागर भी हो चुकी है.
लेकिन उनके खिलाफ कोई सख्त कार्यवाई करने के बजाए उन्हें शासन-प्रशासन के स्तर पर खुली छूट मिली हुई है. वहीं देशी-विदेशी बड़े कारपोरेट निगमों के हित में श्रम कानूनों में बदलाव और देश के संसाधनों और प्राकृतिक खनिजों की लूट के लिए आमंत्रित कर देश को तबाह करने वाली आर्थिक नीतियों को बढ़ावा दिया जा रहा है.
यहां तक की अमरीका और पश्चिमी देशों की कुख्यात मल्टीनेशनल कंपनियां जिनके हाईब्रीड बीज और रसायनों ने खेती-किसानी को पहले ही तबाह कर दिया है, अब उनके हित में देश का दवा का कारोबार भी सौंपा जा रहा है. जिससे जीवन रक्षक दवाइयों की कीमत कई गुना बढ़ गई हैं.
बैठक में मौजूद नेताओं ने कहा कि ‘सांप्रदायिकता व कारपोरेट लूट के खिलाफ जन अभियान’ में और भी राजनीतिक दलों व जन संगठनों को शामिल किया जाएगा. जिसके तहत 1 नवंबर को एक विस्तारित बैठक करने का निर्णय लिया गया.
बैठक में भाकपा माले के जिला प्रभारी रमेश सिंह सेंगर, माकपा जिला मंत्री प्रदीप शर्मा, भाकपा के जिला सचिव मो0 खालिक, आईपीएफ नेता दिनकर कपूर, नागरिक परिषद के रामकृष्ण, रिहाई मंच के अध्यक्ष मो0 शुऐब, शाहनवाज़ आलम, हरेराम मिश्र और राजीव यादव शामिल रहे.