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जानिए! विश्व के किन देशों में कैसे मनाई जाती है दीवाली…?

BeyondHeadlines News Desk

दीवाली का पर्व अकेले भारत में ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई हिस्सों में काफी धूमधाम से मनाई जाती है. यह पर्व अपनी छटा उन देशों में अधिक बिखेरता है, जिन देशों में हिन्दुओं और सिक्खों की बड़ी आबादी है. सच्चाई यह है कि जैसे-जैसे भारतीय प्रवासियों की संख्या बढ़ रही है, वैसे-वैसे दीवाली मनाने वाले देशों की संख्या भी बढ़ रही है. एक ख़बर के मुताबिक 12 देशों में दीवाली पर आधिकारिक अवकाश होता है. उन 12 देशों में मलेशिया, नेपाल, श्रीलंका, म्यांमार, मॉरीशस, गुयाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, सूरीनाम, सिंगापुर, फिजी, भारत तथा बांग्लादेश शामिल है.

नेपाल

नेपाल में दीवाली को स्वान्ति या तिहार कहा जाता है. यह पर्व यहां पांच दिन मनाया जाता है. परंपरा वैसी ही है जैसी भारत की है. थोड़ी भिन्नता ज़रूर है. पहले दिन कौवे को, दूसरे दिन कुत्ते को भोजन कराया जाता है. लक्ष्मी पूजा तीसरे दिन होती है. इस दिन से नेपाल संवत शुरू होता है, इसलिए व्यापारी इसे शुभ दिन मानते हैं. चौथा दिन नए साल के तौर पर मनाया जाता है. इस दिन महापूजा होती है और बेहतर स्वास्थ्य की कामना की जाती है. पांचवा दिन भाई टीका होता है, जब बहनें भाइयों का तिलक करती हैं.

श्रीलंका

श्रीलंका में तमिल समुदाय के लोग इस दिन तेल स्नान के बाद नए कपड़े पहनते हैं और ‘पोसई’ (पूजा) कर बड़ों का आशीर्वाद लिया जाता है. शाम को पटाखे भी छोड़े जाते हैं.

मलेशिया

मलेशिया में हिंदू सूर्य कैलेंडर के सातवें माह में दीवाली मनाई जाती है. सिंगापुर में इस दिन सरकारी छुट्टी रहती है. मलेशिया में रह रहे भारतीय दिवाली से कुछ दिन पहले अपने घरों व व्यापारिक संस्थानों को कोलम से सजाते हैं. (कोलम एक तरह की रंगोली है जिसमें रंगीन रेत रंगों की मदद से ज़मीन पर डिजाइन किया जाता है) वहां ‘हिन्दू एंडाउमेंट बोर्ड ऑफ सिंगापुर’ कई सांस्कृतिक आयोजन करता है और लक्ष्मी पूजा भी की जाती है.

कनाडा

कनाडा में भी भारतीय धूमधाम से दीवाली मनाते हैं. इस दिन भारतीय अपने घरों को रोशनी से सजाते हैं और शाम को दीवाली उत्सव के लिए एक जगह इकट्ठा होते हैं. यहां तेज़ आवाज़ वाले पटाखे छोड़ने पर रोक है.

कैरेबियाई देश

कैरेबियाई देशों में त्रिनिदाद और टोबैगो में 43 फीसदी आबादी भारतीय मूल की है. इसलिए यहां भी दीवाली खूब धूमधाम से मनाई जाती है. लोग घरों में पूजा करते हैं और रोशनी से अपने घरों को सजाते हैं. यहां के गांवों में थिएटर का आयोजन भी होता है, जिसमें लोग पारंपरिक वेशभूषा में शरीक होते हैं.

ब्रिटेन

ब्रिटेन में भी दीप पर्व मनाया जाता है. कई शहरों में बड़े आयोजन होते हैं. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने इस बार अपने आधिकारिक आवास पर दीवाली की वार्षिक पार्टी का आयोजन किया और ब्रिटेन में रहने वाले हिंदुओं को शुभकामना भी दी है.

अमेरिका

अमेरिका में व्हाइट हाउस में दिवाली मनाने की शुरुआत जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने की थी. इससे पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपतियों ने निजी तौर पर खुद कभी उत्सव में भाग नहीं लिया. वर्ष 2009 में पहली बार किसी अमेरिकी राष्ट्रपति के तौर पर बराक ओबामा ने व्हाइट हाउस के ईस्ट रूम में दीवाली का परंपरागत दीया जलाया था. इस बार अमेरिकी संसद भवन ‘कैपिटल हिल’ में पहली बार दीवाली उत्सव का आयोजन किया जाएगा.

ऑस्ट्रेलिया

ऑस्ट्रेलिया में भी दीवाली की धूम रहती है. मेलबोर्न में तो श्री शिवविष्णु मंदिर में दीवाली की रौनक देखने लायक होती है. इस साल दीवाली के मौके से ओपेरा हाउस को प्रकाशित किया गया है.

सिंगापुर

सिंगापुर में रहने वाले भारतीय मूल के लोग धूमधाम से दीवाली मनाते हैं. यहां सेरानगून रोड पर स्थित ‘लिटिल इंडिया’ को रोशनी से सजाया जाता है. बड़े और बच्चे सभी खुले मैदान में आकर आतिशबाजी का आनंद लेते हैं.

मॉरिशस

मॉरिशस में भी दीवाली काफी धूमधाम से मनाई जाती है. यहां की आबादी का 63 फीसदी हिस्सा भारतीय मूल के लोग हैं. जो दीपावली का त्योहार परंपरागत रूप मनाते हैं. घर-घर में दीप जलते हैं और पूजा होती है.

थाईलैंड

थाईलैंड में भी दिवाली जैसा त्योहार ‘लैम क्रियोंग’ के नाम से अक्टूबर-नवंबर में मनाया जाता है. इस दिन लोग केले के पत्ते को दिये की शक्ल देकर इसमें मोमबत्ती जलाते हैं और इसे नदियों में प्रवाहित कर देते हैं. हजारों दियों के पानी में तैरने से बड़ा मनमोहक दृश्य पैदा होता है.

दक्षिण अफ्रीका

दक्षिण अफ्रीका में भी दीवाली का त्योहार भारतीय लोगों के बीच काफी लोकप्रिय है. इस दिन सभी लोग एक दूसरे से मिलते हैं और मिठाइयां खाने के साथ आतिशबाजी का भी आनंद लेते हैं. घरों में पूजा का भी आयोजन किया जाता है.

हॉलैंड

हॉलैंड में संत मार्टिन के सम्मान में हर वर्ष 11 नवंबर को रोशनी का पर्व मनाया जाता है. इस दिन बच्चे लालटेन लेकर घर-घर जाते हैं और गीत गाते हैं. इसके पीछे की कहानी रोचक है. एक बार संत मार्टिन बफीर्ले तूफान के बीच अपने घर लौट रहे थे. अचानक उन्होंने अंधेरे में एक व्यक्ति को बैठे देखा और दया भाव में उसे अपना ओढ़ा हुआ लबादा दे दिया. तब से इस पर्व की नींव पड़ी.

चीन

चीन में दीवाली का पर्व मनाने एक अलग ही अंदाज है. वहां इस त्योहार को नेई महुआ नाम से सम्बोधित किया जाता है. इस पर्व के आने से बहुत पहले ही वहां के लोग घरों की साफ-सफाई करके मकानां का आकर्षक ढंग से सजाना संवारना प्रारम्भ कर देते हैं. रंग-बिरंगे कागजों के द्वारा मुख्य द्वार, दीवारें तथा पूजा स्थल सजाये जाते हैं. नेई महुआ उत्सव के दूसरे दिन से चीन मे नये साल का प्रारंभ होना माना जाता है और इसी दिन से व्यापारी वर्ग बही खाते रखना शुरू कर देते हैं.

जर्मनी

जर्मनी में ऋतु परिर्वतन के कारण उत्पन्न हुए रोगों से छुटकारा पाने के लिए बुरी ताक़तों से बचने के लिए आतिशबाजी कर दीप प्रज्वलित किये जाते हैं. लोग एक दूसरे के स्वस्थ एवं निरोगी होने की कामना के साथ ही उनके दीर्घायु जीवन की अभिलाषा करते हैं.

भारत

दीवाली भारत का एक मुख्य त्योहार है. लेकिन यहां भी इसे अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग ढंग से मनाया जाता है. कहीं सिर्फ लक्ष्मीभ की पूजा होती है, तो कहीं लक्मी इस गणेश दोनों पूजे जाते हैं. तो कहीं इन दोनों के साथ सरस्वती का पूजन भी होता है.

इसी तरह नॉर्थ और साउथ इंडिया के दीवाली में भी ज़मीन आसमान का फर्क है. बेंगलूरु के साथ-साथ साउथ इंडिया के कई बड़े कंपनियों में तो दीवाली की छुट्टी भी नहीं होती. यहां तक स्कूरल-कॉलेज भी खुले रहते हैं. यहां के लोग पटाखे भी नहीं जलाते…

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