India

पीएमओ के इशारे पर अमित शाह को मिली क्लीन चिट –रिहाई मंच

BeyondHeadlines News Desk

लखनऊ : रिहाई मंच ने सीबीआई अदालत द्वारा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को क्लीन चिट देने पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पीएमओ द्वारा सीबीआई को नियंत्रित करने का आरोप लगाया है.

जिस पीएमओ में अजित डोभाल और नृपेन्द्र मिश्रा जैसे अधिकारी है, जो इशरत जहां फर्जी मुठभेड़ जैसे मामलों में लगातार मोदी और उनके कुनबे को बचाने की हर संभव कोशिश करते रहे हैं, उस पीएमओ के सहारे सरकार इंसाफ का गला घोट रही है.

रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने कहा कि सीबीआई ने सोहराबुद्दीन मामले में अमित शाह को मुख्य अभियुक्त बनाया था, साथ ही साथ गुजरात में हो रही तमाम फिरौतियों की वसूली के गिरोहों का अमित शाह को सरगना बताया है. इसके बावजूद अमित शाह को क्लीन चिट देने से अंदाजा लगाया जा सकता है कि सीबीआई इस मामले में कितनी गंभीर थी.

उन्होंने आगे कहा कि जहां अमित शाह के वकील ने उनके पक्ष में तीन दिन बहस की वहीं सीबीआई के वकील ने मात्र 15 मिनट में अपना पक्ष रख दिया. इशरत जहां मामले में भी जो पुलिस वाले अभियुक्त हैं.

उन्होंने भी स्वीकारा है कि काली दाढ़ी और सफेद दाढ़ी के कहने पर वे काम कर रहे थे. पूरा देश जानता है काली दाढ़ी व सफेद दाढ़ी का मतलब क्या है. बंजारा ने भी अपने पत्र में यह लिखा है कि गुजरात में हो रहे तमाम फर्जी मुठभेड़ों में राजनीतिक नेतृत्व की संलिप्तता रही है.

गुजरात में मंत्री रहे हरेन पांड्या की हत्या में भी गुजरात का राजनीतिक नेतृत्व शामिल था. उनकी पत्नी जागृति पांड्या इस पूरे मामले की सीबीआई जांच की मांग करती रही हैं, परन्तु कोई सीबीआई जांच नहीं हो रही है. सत्ता में आते ही अमित शाह के वकील रहे यू ललित को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाने की भी अनुशंसा की गई थी, जबकि वरीयता क्रम में वह गोपाल सुब्रमणियम से नीचे थे.

उन्होंने कहा कि केन्द्र में भाजपा सरकार आने के बाद जिस तरीके से शाह को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया उसने यह साफ कर दिया था कि भाजपा शाह जैसे सांप्रदायिक और अपराधिक प्रवृत्ति वाले व्यक्ति की अगुवाई में राजनीति को आगे बढ़ाएगी. ऐसे में सोहराबुद्दीन मामले में क्लीन चिट ने साफ कर दिया कि वह इंसाफ के क़त्ल के लिए किसी भी स्तर तक जा सकती है.

रिहाई मंच के नेता राघवेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि जिस तरह से पिछले दिनों राजस्थान में सुशील चौधरी ने इंडियन मुजाहिदीन के नाम पर 16 मंत्रियों के नाम धमकी भरा मेल भेजा. उसके बाद जिस तरह से उसे एटीएस ने क्लीन चिट दी, वह आतंकवाद के नाम पर देश की संप्रभुता के साथ सुरक्षा एजेंसियों द्वारा किया जा रहा क्रूर मजाक है.

ठीक इसी तरह बैंग्लोर धमाके के बाद भी एक हिंदू लड़के ने कथित मुस्लिम पहचान के नाम से फर्जी ट्वीटर एकाउंट बनाकर आईएसआईएस के नाम पर संदेश प्रसारित किया. इसके बाद उसके परिजन उसे मंदबुद्धि का कह रहे हैं. ठीक इसी तरह पिछले दिनों मध्य प्रदेश में भी आतंकवाद के झूठे मेल मुस्लिम पहचान के साथ भेजने के प्रकरण सामने आए हैं, जिसे भाजपा नीति सरकारों में जांच के दायरे से सोच समझकर बाहर किया जा रहा है, जो साफ करता है कि इन मेलों में कुछ राज हैं, जिनकी आतंकवाद जैसे गंभीर मामलों में जांच होनी ही चाहिए.

रिहाई मंच के नेता अनिल यादव ने कहा कि जिस तरीके से हिंदू महासभा द्वारा गोडसे की मूर्ति लगाई जा रही है, तो वहीं बजरंग दल जैसे संगठन जिनके कार्यकर्ता 2008 में कानपुर में बम बनाते हुए उड़ गए, के द्वारा ‘बहू लाओ बेटी बचाओ’ जैसे सांप्रदायिक अभियान चलाए जा रहे हों. उसी बीच विभिन्न प्रदेशों से मुस्लिम पहचान पर आतंकवाद के झूठे मेल जिन्हें हिंन्दू व्यक्तियों द्वारा भेजा जा रहा है, को अलग-अलग करके नहीं देखा जा सकता है. यह एक संगठित सांप्रदायिक साजिश है, जिसमें ऐसे हिन्दुत्वादी चरम पंथियों को क्लीन चिट देकर, सुरक्षा एजेंसियां भी सवाल के घेरे में आ जाती हैं.

उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा शासित मध्य प्रदेश की जेलों में आतंकवाद के नाम पर बंद मुस्लिम युवकों के परिजन जब उनसे मिलने जाते हैं, तो उन्हें न सिर्फ मिलने से रोकने के लिए परेशान किया जाता है, बल्कि धार्मिक आस्थाओं को भी ठेस पहुंचाने की कोशिश की जाती है.

Loading...

Most Popular

To Top

Enable BeyondHeadlines to raise the voice of marginalized

 

Donate now to support more ground reports and real journalism.

Donate Now

Subscribe to email alerts from BeyondHeadlines to recieve regular updates

[jetpack_subscription_form]