India

IIMC में तिरंगा फहराने के लिए करना पड़ा संघर्ष

Amit Rajpoot for BeyondHeadlines

नई दिल्ली : आज सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की स्वायत्तशासी संस्था व पत्रकारिता का मक्का कहे जाने वाले भारतीय जन संचार संस्थान में तिरंगा नहीं फहराया गया. प्रशासन की तरफ से कोई भी अधिकारी या उसका प्रतिनिधि तक संस्थान में बारह बजे भी मौजूद नहीं था. तब ऐसे में आईआईएमसी के छात्रावास में रह रहे कुछ जागरुक छात्रों ने इस मामले को संज्ञान में लिया और अपने ही खर्च में बाज़ार से तिरंगा झण्डा और कुछ फूल ख़रीद कर संस्थान में वापस आए और तिरंगा फहराया.

IMG_20150126_130443एक छात्र बताता है कि उन्होंने संस्थान में मौजूद कुछ कर्मचारियों और गार्ड्स से प्रशिक्षुओं ने जब इसकी सूचना दी कि वह संस्थान में तिरंगा फहराना चाह रहे हैं, तो गार्डों का कहना था कि हमें कोई आदेश नहीं दिया गया है और न ही ऐसी कोई सूचना ही है कि आज झंडारोहण होना है. गार्डों की बात सुनकर तमाम छात्र हैरत में आ गएं और उन्होंने गार्डों से कहा कि क्या इसके लिए किसी आदेश और योजना की ज़रूरत पड़ती है? आज हमारा गणतंत्र दिवस है और हम इसके लिए सुबह से इंतज़ार में हैं कि अभी राष्ट्रध्वज फहरेगा और राष्ट्रगान के बाद मिष्ठान वितरित किया जाएगा, किन्तु ऐसा नहीं हुआ, जबकि दोपहर के एक बज चुके हैं. अंत तक दोनों पक्षों में बात नहीं बन पाई और छात्र तिरंगा फहराने के अपने निर्णय और धर्म पर टिके रहे.

इसके बाद का सिलसिला ये रहा कि कुछ छात्र संस्था के मुख्य द्वार से ही तिरंगा फहराने के स्थल तक चढ़ गए और क्रान्तिकारी तरीके से आईआईएमसी के माथे पर तिरंगा बांधा. इसको लेकर इन युवाओं में काफी उत्साह देखने को मिल रहा था.

छात्रों ने प्रशासन पर संवेदनहीनता का आरोप लगाया है. इस मामले में सबसे पहले झंडारोहण स्थल तक पहुंच कर झंडा फहराने वाले नीरज प्रियदर्शी का कहना है कि आज गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर जहां देश के हर कोने में बैठा युवा जोश और देश-प्रेम के रंग में डूबा है, वैसी स्थिति के बरक्स हम यहां पर संवेदनहीनता का पाठ सा पढ़ रहे हैं. ये सब सीखने को हमें प्रशासन मजबूर कर रहा है. लेकिन वास्तव में हम संवेदनहीन हैं नहीं. इसीलिए हमने यह निर्णय किया है कि अपने संस्थान में हम तिरंगा अवश्य फहराएंगे, और इसीलिए हमने ऐसा किया.

वहीं इस युवा दल का नेतृत्व कर रहे सूरज पाण्डेय ने भी प्रशासन सहित आईआईएमसी एलुमनी एसोसिएशन (इम्का) की निश्क्रियता पर भी सवाल उठाएं हैं और कहा है कि इम्का भी जब हर कदम पर हमारे साथ रहता है तो इस तरह के गम्भीर मामलों में भी उसे संस्था की ख़बर लेनी चाहिए. उन्होंने कह कि हम जानना चाहते हैं कि प्रशासन ने क्यूं तिरंगा नहीं फहराया और यदि कोई भी अपिहार्य कारण रहा भी तो हम छात्रों को इसकी कोई सूचना क्यों नहीं दी गई.

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