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दिल्ली के नेताओं का शिक्षा की तरफ बढ़ता रूझान, बुढ़ापे में कर रहे हैं ग्रेजुएशन!

Afroz Alam Sahil for BeyondHeadlines

दिल्ली की राजनीति पर हमेशा से यह आरोप लगता रहा है कि यहां के लोगों की नुमाइंदगी कम पढ़े-लिखे नेता कर रहे हैं. लेकिन 2015 के चुनावी हलफनामें बता रहे हैं कि यहां के नेताओं का शिक्षा की ओर रूझान काफी तेज़ी से बढ़ा है. लोग 27 साल बाद भी नेतागिरी से वक्त निकाल कर पढ़ाई कर रहे हैं. तो वहीं कुछ नेताओं की शिक्षा में चमत्कारिक तौर पर घटी भी है.

खास बात यह है कि नेताओं की शैक्षिक योग्यता में हो रहा ये चमत्कारिक बदलाव खुद उनके ही एफिडेविट का हिस्सा है. यानि ये उनके ही कबूलनामे की कहानी है.

छतरपुर से भाजपा प्रत्याशी ब्रह्म सिंह तंवर 2008 में 12वीं पास थे. लेकिन 2013 व 2015 में चुनाव आयोग को दिए अपने हलफनामें में बताया है कि वो सिर्फ 9वीं पास हैं.

मुस्तफाबाद से हसन अहमद 2008 के हलफनामे में ग्रेजुएट थे. लेकिन 2013 व 2015 के हलफनामे में उन्होंने बताया कि उन्होंने 1972 में 12वीं तक की पढ़ाई की है.

गोकलपुर से भाजपा प्रत्याशी रंजीत सिंह 2008 के हलफनामे में बताया था कि वो मुज़फ्फरनगर के किसान इंटर कॉलेज से 1987 में दसवीं पास हैं. लेकिन 2013 के हलफनामें में उनका कहना है कि 1987 में उन्होंने इसी कॉलेज से दसवीं व बाहरवीं दोनों किया है. लेकिन दुबारा 2015 में उनका कहना है कि वो सिर्फ दसवीं पास हैं.

मटियाला से भाजपा प्रत्याशी राजेश गहलोत 2013 में 12वीं पास थे, जिसे उन्होंने 1984 में किया था. लेकिन 2015 के हलफनामें में बताया है कि उन्होंने 2013 में महात्मा गांधी यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की है.

नांगलोई जट से भाजपा प्रत्याशी मनोज कुमार 2008 व 2013 में सिर्फ दसवीं पास थे. दसवीं तक की पढ़ाई उन्होंने 1986 में किया था. लेकिन 2015 के हलफनामें उन्होंने बताया है वो अब बीए फाइनल वर्ष में हैं. मेघालय के महात्मा गांधी यूनिवर्सिटी के रिलजल्ट का इंतज़ार कर रहे हैं.

रिठाला से भाजपा प्रत्याशी कुलवंत राणा 2008 में दसवीं पास थे. यह दसवीं तक की पढ़ाई उन्होंने 1987 में की थी. लेकिन पूरे 23 साल उन्होंने फिर से अपने शिक्षा की ओर ध्यान दिया. 2013 के हलफनामें में बताया कि वो अब बारहवीं पास हैं. साथ में यह बताया कि फिलहाल उनकी स्नातक की पढ़ीई जारी है. और 2015 के हलफनामें में बताया कि उन्होंने 2014 में ग्रेजुएशन की डिग्री तमिलनाडू के मनोमनियन सुंदरनार यूनिवर्सिटी से हासिल कर ली है.

करोलबाग से आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी विशेष रवि के 2008 के हलफनामें के मुताबिक उन्होंने चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी से 2008 में ही ग्रेजुएशन मुकम्मल किया था, अब 2015 के हलफनामे में बताया है कि वो इग्नू से बीए (प्रोग्राम) कर रहे हैं.

विकासपुरी से कांग्रेस प्रत्याशी नन्द किशोर 2008 व 2013 के हलफनामें में सिर्फ 12वीं पास थे. 12वीं तक की पढ़ाई उन्होंने 1985 में की थी. लेकिन अब 2015 में बताया है कि उन्होंने पूरे 27 साल के बाद 2012 में तिलक महाराष्ट्र विद्यापीठ, पुणे से ग्रेजुएशन पूरी कर ली थी.

नेताओं के इन कोशिशों के बावजूद आंकड़े बताते हैं कि इस बार भी दिल्ली विधानसभा का शैक्षिक स्तर में खास सुधार की कोई उम्मीद नहीं है.

स्पष्ट रहे कि इस बार दिल्ली के चुनावी दंगल में 673 नेता अपने किस्मत की आजमाइश कर रहे हैं. इन 673 प्रत्याशियों में 400 नेताओं की शैक्षिक योग्यता 12वीं के नीचे है.

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