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वंजारा और पीपी पाण्डे को ज़मानत, इशरत जहां फर्जी मुठभेड़ को जायज़ ठहराने की कोशिश –रिहाई मंच

BeyondHeadlines News Desk

लखनऊ : सीबीआई अदालत द्वारा इशरत जहां फर्जी मुठभेड़ मामले के आरोपी पुलिस अधिकारियों डीजी वंजारा और पीपी पाण्डे को ज़मानत दिए जाने को रिहाई मंच ने न्याय की हत्या क़रार दिया है. जिसका मक़सद फर्जी मुठभेड़ों की राजनीति को दुबारा शुरू करना और बेगुनाह लोगों को आतंकवाद के नाम पर मारना है.

रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि सोहराबुद्दीन शेख और तुलसी प्रजापति फर्जी मुठभेड़ मामले में सीबीआई की चार्जशीट में मुख्य हत्यारोपी बनाए गए अमित शाह को सीबीआई अदालत द्वारा क्लीन चिट दे दिए जाने के बाद से ही यह तय हो गया था कि इशरत जहां मामले में भी हत्यारोपी पुलिस अधिकारियों को क्लीन चिट देने की तैयारी सीबीआई ने कर ली है. जिसकी शुरुआत इस मामले में सरकारी गवाह बन चुके कई पुलिसकर्मियों द्वारा मुख्य षडयंत्रकर्ता बताए गए वंजारा और पाण्डे की ज़मानत से हो गई है.

उन्होंने कहा कि इशरत जहां मामला भारतीय न्यायपालिका के सबसे काले अध्यायों में से एक है, जिसमें चश्मदीद गवाहों द्वारा आरोपी बताए गए सफेद दाढ़ी और काली दाढ़ी यानी अमित शाह और नरेंद्र मोदी, आईबी अधिकारियों राजेन्द्र कुमार, राजीव वानखेड़े, टी मित्तल और एमके सिन्हा से कभी पूछताछ तक नहीं की गई तो वहीं आईपीएस अधिकारी जीएल सिंघल और तरुण बारोट को इसलिए ज़मानत मिल गई कि सीबीआई ने समय रहते चार्जशीट की पेश नहीं किया और सभी आरोपियों के बरी होने का रास्ता साफ कर दिया.

उन्होंने कहा कि अगर न्याय के राज को कायम करने में सर्वोच्च न्यायालय में थोड़ी भी इच्छाशक्ति हो तो उसे इस मामले में स्वतः संज्ञान लेकर हस्तक्षेप करना चाहिए और न्यायपालिका के राजनीतिक दुरुपयोग पर लगाम लगानी चाहिए.

रिहाई मंच नेता राजीव यादव ने कहा कि तथाकथित सेक्युलर पार्टियों द्वारा सोहराबुद्दीन मामले में अमित शाह को क्लीनचिट और इशरत जहां मामले में वंजारा और पीपी पाण्डे की ज़मानत पर चुप्पी साधे रहना साबित करता है कि इन पार्टियों को हिन्दुत्व की बेगुनाह मुसलमानों के फर्जी मुठभेड़ की राजनीति से कोई असहमति नहीं है. अगर कांग्रेस ने अपनी हुकूमत के दौरान कानून के राज को कायम करने के लिए सख्ती से जांच कराई होती और सपा बसपा जैसी पार्टियां संसद में लगातार दबाव बनाए रहतीं तो आज मोदी की जगह प्रधानमंत्री की कुर्सी पर नहीं, बल्कि जेल में होती और अमित शाह और वंजारा भी सजा काट रहे होते.

उन्होंने कहा कि सीबीआई के दुरुपयोग ने साबित कर दिया है कि अच्छे दिन तमाम दंगाईयों और फर्जी मुठभेड़ विशेषज्ञों के लिए हैं.

रिहाई मंच के प्रवक्ता शाहनवाज़ आलम ने कहा कि पिछले दिनों जिस तरह से सपा सरकार ने मौलाना खालिद के हत्यारोपी पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह, एडीजी बृजलाल, मनोज कुमार झां और आईबी अधिकारियों को बचाने के लिए फर्जी विवेचना का सहारा लिया और बृजलाल जिस तरीके से भाजपा में शामिल हुए हैं, वो साबित करता है कि दोषी पुलिस अधिकारियों को बचाने और मुस्लिम युवाओं की पुलिस व आईबी द्वारा हत्याओं पर सपा-भाजपा एकमत हैं.

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