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अखिलेश सरकार से यूपी के रिहाई मंच का ये 18 मांगें…

1- हाशिमपुरा जनसंहार की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एसआईटी से कराई जाए.

2- मलियाना जनसंहार की एफआईआर गायब करके दोषियों को बचाने की कोशिश की घटना की जांच कराई जाए.

3- मलियाना व हाशिमपुरा की जांच के लिए गठित आयोग की रिपोर्टों को सार्वजनिक करते हुए कार्रवाई सुनिश्चित की जाए.

4- 1980 में मुरादाबाद में 284 लोगों की पुलिस फायरिंग में मौत पर गठित डी.के. सक्सेना जांच आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक करते हुए कार्रवाई सुनिश्चित की जाए.

5- कानपुर सांप्रदायिक हिंसा पर गठित माथुर जांच आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक कर कार्रवाई सुनिश्चित की जाए.

6- मुज़फ्फरनगर जनसंहार पर गठित सहाय जांच आयोग की रपट को निश्चित समय सीमा में पूरा कर सार्वजनिक किया जाए.

7- तारिक़ और ख़ालिद की बाराबंकी से दिखाई गई कथित गिरफ्तारी को संदिग्ध बताने वाली निमेष जांच आयोग की रिर्पोट पर ऐक्शन टेकेन रिपोर्ट लाई जाए.

8- न्यायपालिका में शासन और प्रशासन के हस्तक्षेप को रोक कर न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बहाल किया जाए.

9- आगरा में चर्च पर हुए हमले की सीबीआई जांच कराई जाए तथा प्रदेश में धार्मिक स्थलों की सुरक्षा की गारंटी सुनिश्चित की जाए.

10- प्रदेश में भड़काऊ भाषण देकर सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वाले भाजपा नेताओं पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए.

11- उर्दू, अरबी, फारसी विश्वविद्यालय में उर्दू, अरबी, फारसी की अनिवार्यता को पुनः बहाल किया जाए.

12- कनहर, सोनभद्र में आदिवासियों पर गोली चलाने वाले पुलिस अमले को बर्खास्त किया जाए व इसकी सीबीआई जांच कराई जाए.

13- पूरे सूबे में इंसाफ और लोकतंत्र का सवाल उठाने वाले जन-आंदोलनों पर हो रहे सरकारी दमन पर तत्काल रोक लागाई जाए.

14- सपा सरकार अपने चुनावी घोषणा पत्र में किए गए वादे को पूरा करते हुए आतंकवाद के आरोप में फंसाए गए मुस्लिम नौजवानों को तत्काल रिहा करे.

15- हाशिमपुरा, मौलाना खालिद मुजाहिद की हत्या व तारिक़ कासमी की फर्जी गिरफ्तारी की झूठी विवेचना करने व सबूतों को मिटाने वाले विवेचना अधिकारियों पर कानूनी कार्रवाई की जाए. खालिद मुजाहिद की हत्या की सीबीआई जांच कराई जाए.

16- लखनऊ एटीएम लूट व हत्याकांड मामले को हल कर पाने में विफल पुलिस द्वारा इसे फर्जी कहानी के ज़रिए आतंकवाद से जोड़कर सूबे के मुसलमानों को भयभीत करके सूबे में सांप्रदायिक दहशत बनाने वाले लखनऊ के एसएसपी यशस्वी यादव को तत्काल निलंबित किया जाए व सांप्रदायिक तत्वों के साथ उनके संबन्धों की जांच कराई जाए.

17- प्रदेश भर में जाति विशेष के अधिकारियों/कर्मचारियों की तैनाती पर रोक लगाते हुए सामाजिक संतुलन के आधार पर तैनाती सुनिश्चित की जाए.

18- मुज़फ्फरनगर, कोसी कलां, फैजाबाद समेत पूरे सूबे में सांप्रदायिक हिंसा में हत्या के अभियुक्तों को लचर पैरवी कर ज़मानत के लिए अवसर प्रदान करने वाले सरकारी वकीलों की नियुक्ति तत्काल रद्द की जाए.

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