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खुफिया विभाग की भूमिका पर उठ रहे सवालों को दबाने के लिए हाशिम को पकड़ा गया –रिहाई मंच

BeyondHeadlines News Desk

लखनऊ : रिहाई मंच ने इज़हार का साथी बताकर पकड़े गए हाशिम उज्मा की गिरफ्तारी को अवैध बताते हुए कहा कि उसे अपहरणकर्ताओं की तरह उठा ले जाने वाले गुजरात एटीएस के अधिकारियों के खिलाफ़ प्रदेश सरकार को अपहरण का मुक़दमा दर्ज कराना चाहिए.

संगठन ने आरोप लगाया है कि हाशिम की गिरफ्तारी इज़हार और चार अन्य आतंकवाद के आरोपियों की तेलंगाना में की गई फ़र्जी मुठभेड़ में हत्या पर उठ रहे सवालों को भटकाने के लिए खुफिया एजेंसियां ने किया है.

रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने जारी बयान में कहा कि हाशिम को उसके घर के बाहर से गुजरात एटीएस के सफेदपोश लोगों ने उठाया जिनके साथ स्थानीय पुलिस का भी कोई अधिकारी नहीं था जो विधि विरूद्ध है.

उन्होंने कहा कि दूसरे राज्य की पुलिस द्वारा किसी की गिरफ्तारी के समय स्थानीय पुलिस की मौजूदगी ज़रूरी होती है, लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं किया गया.

वहीं हाशिम के परिवार को उसके खिलाफ अरेस्ट वारंट भी नहीं दिखाया गया जो पूरे मामले को अपहरण का केस बना देता है. जिस पर उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा अपहरण का मुक़दमा दर्ज न किया जाना साबित करता है कि विधानसभा चुनावों में आतंकवाद के आरोप में बंद बेगुनाह मुस्लिम युवकों को छोड़ने का वादा नहीं निभाने वाली सपा सरकार ने अब मुसलमानों को आतंकवाद के फ़र्जी मुक़दमों में फंसाने के लिए बदनाम गुजरात पुलिस को अपने यहां से मुसलमान नौजवानों को अगवा कर ले जाने और फंसाने की खुली छूट दे दिया है.

उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले में एसएसपी यशस्वी यादव की निराधार बयायनबाजी भी उन्हें इस वृहद नाटक का हिस्सा बना देती है, जिसकी जांच कराई जानी चाहिए. क्योंकि वे लगातार मीडिया के ज़रिए शहर में सिमी के कथित नेटवर्क की अफ़वाह फैलाकर मुसलमानों में असुरक्षा पैदा कर रहे हैं.

मोहम्मद शुएब ने कहा कि पिछले दस दिन में ऐसा माहौल बना दिया गया है, जैसे लगता है कि राजधानी पुलिस मुसलमानों को फंसाने के लिए बदनाम किसी डीजी वंजारा के अधीन काम कर रही है जो लूट और डकैती तक को सिमी से जोड़कर मुसलमानों के खिलाफ़ बहुसंख्यक समाज को खड़ा करने पर तुली है.

उन्होंने यशस्वी यादव को शहर के साम्प्रदायिक सौहार्द को बचाए रखने के लिए तत्काल निलंबित करने की मांग को दोहराते हुए कहा कि पुलिस विभाग के आला अधिकारियों द्वारा एटीएम लूट कांड पर यशस्वी यादव द्वारा सिमी एंगल दिए जाने की सार्वजनिक निंदा करने के बावजूद उनका पद पर बने रहना साबित करता है कि वे सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के कुनबे से अपनी नज़दीकी के कारण ही न सिर्फ पद पर बने हुए हैं, बल्कि उनके इशारे पर ही डकैती की घटना को भी साम्प्रदायिक रंग दे रहे हैं.

रिहाई मंच नेता अनिल यादव ने कहा कि हाशिम की गिरफ्तारी की वजह पुलिस उसके खिलाफ 2007 में अहमदाबाद में मुक़दमा होना और गैरज़मानती वारंट होना बता रही है. जिस पर विश्वास इसलिए नहीं किया जा सकता कि उसे कभी भी इस मामले में कोर्ट से कोई भी समन नहीं मिला था और उससे कभी भी इस मुक़दमें के लिए गुजरात पुलिस ने सम्पर्क नहीं किया था.

उन्होंने पूछा कि अगर हाशिम के खिलाफ़ कोई मुक़दमा था तो फिर उसके सार्वजनिक जीवन में होने के बावजूद उसे गुजरात पुलिस ने क्यों नहीं पकड़ा, क्या गुजरात पुलिस उसके कथित साथी इज़हार की हत्या का इंतज़ार कर रही थी कि उसे मारने के बाद ही हाशिम को पकड़ेगी?

रिहाई मंच नेता ने कहा कि इन सवालों की कडि़यों को जोड़ने से यह साफ हो जाता है कि हाशिम की अवैध गिरफ्तारी इज़हार की हिरासती हत्या को जायज़ ठहराने के लिए की गई है और यह पूरा नाटक खुफिया विभाग संचालित कर रहा है.

उन्होंने कहा कि गुजरात पुलिस और खुफिया विभाग द्वारा लगातर मीडिया के ज़रिए हाशिम के खिलाफ़ निराधार खबरें फैलाना उसकी अवैध गिरफ्तारी पर उठ रहे सवालों को दबाने की कोशिश है, जिसमें वह कुछ अख़बारों का सहारा ले रही है, जो बिना किसी न्यायपालिका के फैसले के ही इज़हार और हाशिम को आतंकी बताकर उसका मीडिया ट्रायल कर रही हैं. ताकि उसकी छवि एक खूंखार आतंकी की बनाई जा सके और उनका परिवार अलग-थलग पड़ जाए. जो खुफिया विभाग की पुरानी आपराधिक कार्यशैली रही है.

रिहाई मंच नेता ने कहा कि मीडिया को आतंकवाद के आरोप में निर्दोषों को फंसाने के लिए बदनाम हो चुकी खुफिया विभाग की साम्प्रदायिक राजनीति का शिकार होने से बचते हुए अपनी पेशेवर मूल्यों से समझौता नहीं करना चाहिए.

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