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हाशिमपुरा, मलियाना, मुरादाबाद के इंसाफ़ की आवाज़ को सरकार नहीं दबा सकती –रिहाई मंच

BeyondHeadlines News Desk

लखनऊ : रिहाई मंच ने प्रदेश सरकार द्वारा रोके जाने के बावजूद भारी पुलिस बल की मौजूदगी व उससे झड़प के बाद हाशिमपुरा जनसंहार पर सरकार विरोधी सम्मेलन गंगा प्रसाद मेमोरियल हॉल अमीनाबाद, लखनऊ के सामने सड़क पर किया.

मंच ने कहा कि इंसाफ़ किसी की अनुमति का मोहताज नहीं होता और हम उस प्रदेश सरकार जिसने हाशिमपुरा, मलियाना, मुरादाबाद समेत तारिक़ क़ासमी मामले में नाइंसाफी किया है, उसके खिलाफ यह सम्मेलन कर सरकार को आग़ाह कर रहे हैं कि इंसाफ़ की आवाज़ अब सड़कों पर बुलंद होगी.

पुलिस द्वारा गिरफ्तारी कर मुक़दमा दर्ज करने की धमकी देने पर मंच ने कहा कि हम इंसाफ़ के सवाल पर मुक़दमा झेलने को तैयार हैं. बाद में प्रशासन पीछे हटा और मजिस्ट्रेट ने खुद आकर रिहाई मंच का मुख्यमंत्री को संबोधित 18 सूत्रीय मांग-पत्र लिया. ईद के दिन 1980 में मुरादाबाद के ईदगाह में 284 लोगों के कत्लेआम की घटना के पीड़ित लोग व हकीम तारिक़ क़ासमी के परिजन मोहम्मद असलम भी सम्मेलन में शामिल हुए.

रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि सपा सरकार के रोकने की कोशिशों के बाद भी आज हाशिमपुरा जनसंहार पर सड़क पर सम्मेलन कर हमने जनआंदोलनों की प्रतिरोध की संस्कृति को बरक़रार रखते हुए देश में लोकतंत्र को मज़बूत किया है.

उन्होंने कहा कि जिस तरीक़े से आज 28-35 साल बाद हाशिमपुरा, मलियाना और मुरादाबाद के वो लोग जिन्हें इन सरकारों ने न्याय नहीं दिया को अपनी बात रखने से रोकने की कोशिश की है, उससे साफ हो जाता है कि अखिलेश सरकार इंसाफ़ तो नहीं देना चाहती बल्कि हत्यारों को बचाने का हर संभव प्रयास भी कर रही है.

उन्होंने कहा कि हाशिमपुरा, मलियाना, मुरादाबाद से लेकर तारिक़ क़ासमी तक के साथ हुए नाइंसाफी के ख़िलाफ़ रिहाई मंच प्रदेश व्यापी इंसाफ यात्रा करेगा.

सम्मेलन को संबोधित करते हुए लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रमेश दीक्षित ने कहा कि रिहाई मंच के इस सम्मेलन को रोककर सपा सरकार ने साबित कर दिया है कि वह संघ परिवार के एजेण्डे पर काम कर रही है. वह किसी भी क़ीमत पर सांप्रदायिक हिंसा के पीड़ितों का सवाल नहीं उठने देना चाहती.

वरिष्ठ पत्रकार अजय सिंह ने कहा कि यहां मौजूद लोगों ने साबित कर दिया है कि जम्हूरियत और इंसाफ़ को बचाने के लिए लोग सड़क पर उतरने को तैयार हैं.

यह सरकार के लिए चेतावनी है कि अगर उसने हाशिमपुरा, मलियाना, मुरादाबाद और तारिक़ क़ासमी को इंसाफ नहीं दिया तो यह जन सैलाब बढ़ता ही जाएगा.

सम्मेलन में बाधा पहुंचाने वाले पुलिस प्रशासन को चेतावनी देते हुए सामाजिक न्याय मंच के अध्यक्ष राघवेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि सरकार इस भ्रम में न रहे कि वह इंसाफ़ के इस अभियान को पुलिस-पीएसी लगाकर रोक देगी.

झारखंड से आए मानवाधिकार नेता मुन्ना झा ने कहा कि रिहाई मंच मुल्क में नाइंसाफ़ियों के खिलाफ़ एक आजाद ख्याल लोकतंत्र को स्थापित करने की मुहिम है.

उन्होंने कहा कि ठीक इसी तरह रिहाई मंच को मुज़फ्फरनगर सांप्रदायिक हिंसा पीड़ितों की जन-सुनवाई से रोका गया था, उस वक्त भी मंच ने सरकार के मंसूबे को ध्वस्त किया था और आज भी किया है.

जनसम्मेलन में मुरादाबाद में 1980 में हुए क़त्लेआम जिसमें पुलिस ने 284 लोगों को क़त्ल कर दिया और एफआईआर तक दर्ज नहीं हुआ. पीड़ित मुफ्ती मोहम्मद रईस अशरफ ने कहा कि 35 साल बीत जाने के बाद भी इस घटना की जांच के लिए गठित डी.के. सक्सेना जांच आयोग की रिपोर्ट को सरकार ने जारी नहीं किया, जिससे साफ़ हो जाता है कि सरकार इस मामले में इंसाफ़ नहीं करना चाहती और इस सवाल पर कोई बात करने देना चाहती है.

कानपुर से आए अख़लाक चिश्ती और मो. यूसुफ ने कहा कि सपा सरकार ने कानपुर दंगों पर जांच के लिए गठित माथुर आयोग की रिपोर्ट को भी दोषी पुलिस अधिकारियों को बचाकर रखी है. आगे उन्होंने कहा कि इस इंसाफ़ की लड़ाई में वे सब रिहाई मंच के साथ हैं.

जनसम्मेलन को अतहर हुसैन, बृजबिहारी, ऊषा राय, हाजी फ़हीम सिद्दीकी, किरन सिंह, सैयद वसी, आईएनएल की पुष्पा बालमीकि, शिवनारायण कुशवाहा, मो. अहमद हुसैन, मो. आफाक, अंबेडकर कांग्रेस के फ़रीद ख़ान, रामकृष्ण, ओपी सिन्हा, जनचेतना से कात्यायनी, सत्यम वर्मा, मो. मसूद, मो. शमी, एसआईओ के साकिब, कल्पना पाण्डे, अनिल यादव, लक्ष्मण प्रसाद, शाहनवाज़ आलम ने संबोधित किया. संचालन राजीव यादव ने किया.

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