Fahmina Hussain for BeyondHeadlines
बिहार में ‘पॉलिटिक्स’ अपने उफान पर है. जातिगत जोड़-तोड़ का पूरा लेखा-जोखा हर पार्टियां अपने-अपने हिसाब से लगा रहे हैं. और इस जोड़-तोड़ में हर बार बली का बकरा बनता है बिहार का अल्पसंख्यक मतदाता…
इस बार भी बिहार ‘पॉलिटिक्स’ के केन्द्र में यही अल्पसंख्यक यानी विशेष तौर पर मुसलमान वोटर ही है. एक बार फिर लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान व राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने अल्पसंख्यक मुख्यमंत्री का राग अलापा है.
अल्पसंख्यक मुख्यमंत्री के सवाल पर लालू प्रसाद ने पलटवार करते हुए कहा है कि राम विलास पासवान जी भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन को एनडीए का सीएम प्रत्याशी घोषित करवा दें.
लालू का कहना है –‘पासवान जी अब नरेंद्र मोदी के पास हैं. डरपोक नहीं मरदाना आदमी हैं, अल्पसंख्यक से प्रेम है, तो वहां पर शाहनवाज़ हुसैन को मुख्यमंत्री का कैंडिडेट एलान करवा दें.’
तो वहीं जवाब में रामविलास पासवान का कहना है –‘देश में रहने वाले हर नागरिक को भाजपा समान रूप से देखती है. वह तुष्टिकरण की राजनीति नहीं करती. केवल मुसलमानों की माला तो लालू प्रसाद और नीतीश कुमार जपते हैं. ऐसे में उन्हें मुसलमान को सीएम पद का उम्मीदवार बनाना चाहिए.’
स्पष्ट रहे कि इससे पूर्व जब बिहार में सत्ता की चाबी राम विलास पासवान के पास थी, तब उन्होंने जनता दल (यू) नेता नीतीश कुमार को दो टूक शब्दों में कहा था कि ‘राज्य में सरकार का गठन तभी हो सकता है, जब नीतीश कुमार खुद के बजाय किसी मुसलमान को राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर स्वीकार करें और अपने 55 साथियों के साथ बीजेपी छोड़ कर एनडीए से बाहर चले आएं.’ उस समय उन्होंने खुद के बीजेपी के साथ जाने से भी मना किया था.
ख़ैर बिहार सियासत का पाठशाला है, सियासत होता ही रहेगा. और सच तो यहां की सभी पार्टियां अल्पसंख्यक वोट के लिए जियारत करती नज़र आती हैं, लेकिन टिकट देते वक़्त सियासत अधिक हावी हो जाती है.