Asrarul Haque jeelani for BeyondHeadlines
गीत थे वो, जन गीत भी कहते हैं जिसे, मगर हुकूमत के सर पे तलवार है वो सारे लफ्ज़ उसके… हम कुछ TISS के छात्र मानखुर्द रेलवे स्टेशन के बाहर अपनी आवाज़ बुलंद कर रहे थे और जवाब तलब कर रहे थे कि “घिरे हैं हम सवाल से हमें जवाब चाहिए” मगर उन पुलिस वालों के पास या हुकूमत के पास एक ही जवाब था हमें गिरफ्तार कर लिया जाए.
आपको मालूम होगा कुछ दिन पहले मानखुर्द मंडाला में 3200 घरों को तोड़ दिया गया था, जिसके आवाज़ को हुकूमत तक पहुंचाने के लिए और अवाम को मुद्दे के बारे में बताने के लिए हम कुछ TISS के नौजवान Solidarity के लिए और गीत गा कर कुछ अख़बार बाँटने के मक़सद से मानखुर्द स्टेशन के बाहर जमा हुए और जैसे ही कुछ लफ्ज़ गीत के गाए होंगे कि पुलिस की गाड़ी आ गई और हम में से कुछ लोगों को पकड़ कर लल्लू भाई कंपाउंड ले गई और कुछ को वही मानखुर्द पुलिस चौकी पे रखा.
मगर कहानी अभी ख़त्म नहीं हुई थी अभी तो शायद शुरू हुई थी. कहते हैं न चिंगारी हर किसी के सिने में होती है मगर आग कभी कभी लगती है. हुआ यूँ कि कुछ ही पल में TISS में ये बात यूँ फैली कि जैसे कोई हवा चली हो और सब उस सुरूर में खो गए हो. जमा होना था लोगों का सो जमा हो गए, और हमारे बड़ो को भी पता चला, बड़ी हिकमत से काम लेकर आशा बानू मैम उन लोगों को रोका और खुद चल पड़ी पुलिस स्टेशन के तरफ…
मगर एक बात ये थी कि उनमें से कुछ उस्ताद इस बात से राज़ी न थे कि मेरी उस्ताद हमारे साथ हो, मगर डायरेक्टर साहेब का कमाल कहिये कि उन्होंने उनकी हौसला अफ़जाई करायी और वो पुलिस स्टेशन तक आईं. उधर घर बचाओ आंदोलन से भी लोग आ गए थे और अभिषेक भाई साहेब भी मुस्तक़िल सोशल नेटवर्किंग साईट पे अपडेट करते रहे थे.
कमाल है, लोगों की एक जुटता देख कर ख़ुशी हुई, मगर दूसरी तरफ़ अपनी कुछ गलती से शर्मिंदा हूँ, जिसका मैं अपने दोस्तों से माफ़ी चाहता हूँ. मगर हक़ की लड़ाई की ये मेरी पहली गिरफ़्तारी थी और खुश हूँ कि इस गिरफ़्तारी की वजह से कुछ लोग जान पाए हैं मंडाला के गरीबों के मुद्दे को. और ज़ालिमो मैं तुझे ललकारता हूँ कि हक़ वालों का हक़ दो और उन्हें चैन से जीने दो.
इंक़लाब जिंदाबाद…