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खूनी व्यापमं : भाजपा नेताओं को बचाने के लिए अभी और कितनों की जान जानी है?

BeyondHeadlines News Desk

‘खूनी व्यापमं’ की कहानी कोई नई नहीं है. 2013 से इस घोटाले की परतें लगातार खुल रही हैं. इस घोटाले में वरिष्ठ राजनेताओं से लेकर व्यावसायिक परीक्षा मंडल के अधिकारियों, छात्रों-अभिभावकों तथा शिक्षकों तक की मिलीभगत सामने आ चुकी है. वहीं एक के बाद एक 42 आरोपितों व गवाहों की संदेहास्पद परिस्थितियों में मौत ने इस व्यापम घोटाले को और भी डरावना बना दिया है. 55 केस, 2530 आरोपित, 550 फ़रार और 1980 गिरफ्तारियों के बाद भी कहा जा सकता है कि अभी और बहुत कुछ आना बाकी है.

रिहाई मंच से जुड़े राजीव यादव का कहना है कि मध्यप्रदेश के व्यापमं घोटाले से जुड़े आरोपियों, गवाहों, और उसको कवर करने वाले पत्रकार समेत 42 लोगों का एक के बाद एक मारा जाना देश के इतिहास का सबसे बड़ा खुला रहस्य बनता जा रहा है.

उन्होंने कहा कि मोदी राज में ‘अच्छे दिन’ इस व्यापमं घोटाले से फायदा उठाने वाले लोगों के आए हैं या फिर बलात्कार के आरोपी आसाराम बापू के जिनके मामलों में गवाही देने वाले लोग बारी-बारी से मारे जा रहे हैं.

उन्होंने कहा कि व्यापमं घोटाला देश का पहला घोटाला है, जहां उससे जुड़ी छोटी मछलियों और उनका राजफाश करने वालों को सुनियोजित तरीके से मारा जा रहा है, ताकि ऐसे घोटालों पर सवाल उठाने की कोई हिम्मत भी न कर सके. इन हत्याओं को लोकतंत्र और न्याय व्यवस्था पर हमला बताते हुए उन्होंने कहा कि यह हत्याएं बताती हैं कि अब पहले कि तरह घोटालेबाज डरे हुए नहीं हैं, बल्कि भाजपा के संरक्षण में बहुत आक्रामक ढंग से पलटवार करने की क्षमता भी हासिल कर चुके हैं.

उन्होंने हजारों करोड़ रुपए के एनआरएचएम घोटाले के आरोपी आईएएस अधिकारी प्रदीप शुक्ला को गोपनीय तरीके से बहाल किए जाने और इसी मामले में आरोपी आईएएस अधिकारी नवनीत सहगल को आज तक गिरफ्तार न करने और उन्हें अहम ओहदे पर बनाए रखने को भ्रष्ट ब्यूरोक्रेसी के समाजवादी संरक्षण का उदाहरण बताया है.

रिहाई मंच का कहना है कि जिस तरह देश में भ्रष्टाचारियों-घोटालेबाजों को बचाने के लिए सरकारों के संरक्षण में सबूतों को मिटाने के लिए हत्याओं का सिलसिला चल रहा है, ऐसे में इस नाइंसाफी के खिलाफ़ एकजुट होकर इंसाफ़ की लड़ाई लड़नी होगी.

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