BeyondHeadlines News Desk
लखनऊ : रिहाई मंच ने मीडिया में आई इन रिपोर्टों को सपा का भाजपा के साथ गुप्त तालमेल साबित करने वाला बताया है, जिसमें तथ्यों के साथ यह बताया गया है कि बिहार चुनाव में राजद, जदयू और कांग्रेस के महागठबंधन से अलग होने का निर्णय मुलायम सिंह ने मोदी और अमित शाह से गुप्त मुलाकात के बाद लिया है.
रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने जारी प्रेस रिलीज में कहा है कि जिस तरह मीडिया में आई रिर्पोटें यह बता रही हैं कि 27 अगस्त को मुलायम सिंह यादव और उनके भाई रामगोपाल यादव ने नरेंद्र मोदी से एक घंटे तक बंद कमरे में बैठक की और उसके बाद ही बिहार चुनाव के लिए महागठबंधन की तरफ़ से 30 अगस्त को होने वाली स्वाभिमान रैली में खुद शामिल न होने सम्बंधित बयान दिया और रैली में शिवपाल यादव के शामिल होने के ठीक दूसरे दिन 31 अगस्त को फिर रामगोपाल यादव और अमित शाह के बीच एक घंटे तक मुलाक़ात के बाद, 2 सितम्बर को जिस तरह सपा ने महागठबंधन से अपने को अलग कर लिया वह सपा और भाजपा के रिश्ते को उजागर करने के लिए पर्याप्त है.
रिहाई मंच नेता ने कहा कि जिस तरह रिपोर्ट में यह बताया गया है कि अमित शाह और रामगोपाल यादव के बीच 31 अगस्त को हुयी बैठक अमित शाह और बिहार चुनाव में उसके गठबंधन के दूसरे सहयोगी दलों लोजपा, हिंदुस्तान अवाम मोर्चा, आरएलसपी के नेताओं के साथ दोपहर के भोजन से ठीक पहले खत्म हुई, वह यह भी साबित करता है कि भाजपा और उसके घटक दल सीटों के बंटवारे में सपा की अपने पक्ष में भूमिका निभा पाने की क्षमता को भी ध्यान में रख रहे हैं.
रिहाई मंच नेता ने कहा कि मुलायम और भाजपा के बीच गुप्त गठजोड़ पर सपा के मुस्लिम चेहरे आज़म खान को अपना पक्ष रखना चाहिए और यह बताना चाहिए कि बहुत ज्यादा बोलने वाली उनकी ज़बान इस मसले पर खुद अपनी मर्जी से खामोश है या फिर मुलायम परिवार के दबाव में खामोश हैं.
रिहाई मंच नेता राजीव यादव और शाहनवाज़ आलम ने कहा कि महागठबंधन से अलग होने की वजह सपा के नेता यह बता रहे हैं कि उन्हें गठबंधन में उनकी हैसियत से कम सीटें दी जा रही थीं. जबिक वे यह नहीं बता रहे हैं कि उनकी वहां कोई हैसियत ही नहीं है और 2010 के चुनाव में सपा ने जिन 146 सीटों पर चुनाव लड़ा था, उन सब में उसकी ज़मानत ज़ब्त हो गई थी.
रिहाई मंच नेताओं ने कहा कि गुजरात में भी मुलायम सिंह सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारकर भाजपा को इसी तरह मदद पहुंचाते रहे हैं.
रिहाई मंच नेताओं ने कहा कि बिहार चुनाव में चाहे जीत जिसकी हो, यूपी में मुलायम और उनके परिवार की मुस्लिम के प्रति भीतरघात वाली राजनीति का खात्मा अब तय है क्योंकि अब मुसलमान उनके असली भगवा चेहरे को पहचान चुका है और वह अब सपा के लिए मुस्लिम वोटों का जुगाड़ करने वाले उसके मुस्लिम चेहरों की भी सच्चाई जान चुका है, जो विधानसभा में भारी तादाद में होने के बावजूद आज तक मुसलमानों से किये गये चुनावी वादों पर एक शब्द तक नहीं बोलते हैं.
रिहाई मंच नेताओं ने कहा कि मीडिया में आया यह रहस्य उद्घाटन कि रामगोपाल यादव के बेटे और फिरोजाबाद से सांसद अक्षय यादव और उनकी पत्नी रिचा यादव को यादव सिंह के क़रीबी राजेश कुमार मनोचा की कम्पनी एनएम बिल्डवेल और मैक्कॉन इंफ्रा के मालिक जिसकी डायरेक्टर यादव सिंह की पत्नी कुसुमलता भी रह चुकी हैं में रजिस्ट्रार ऑफ कम्पनीज़ (आरओसी) के मुताबिक़ दस हजार शेयर हैं और जिसकी जांच आयकर विभाग कर रहा है, साफ़ करता है कि मुलायम सिंह यादव का पूरा कुनबा भ्रष्टाचार में आकंठ डूबा हुआ है और इसीलिए यादव सिंह मामले की सीबीआई जांच के अदालती आदेश के खिलाफ़ वह सुप्रीम कोर्ट तक में जाती है. यादव परिवार जेल जाने की डर से भाजपा को चुनावी लाभ पहुंचाने के लिये बिहार में प्रत्याशी खड़े कर रही है.
रिहाई मंच नेताओं ने कहा कि संगठन जल्द ही सपा और भाजपा के बीच पिछले दो दशकों से चल रहे गुप्त गठजोड़ और उसके द्वारा संघ परिवार के मुस्लिम विरोधी एजेंडे को आगे बढ़ाने की कोशिशों पर दस्तावेज़ जारी करेगा.