Mango Man

महीनों से भुखमरी का शिकार है ‘अल क़ायदा आतंकी’ का परिवार

By Ubaidur Rehman

छ: महीने से खाने को भी नहीं है जवाहरी के दाहिने हाथ आसिफ के घर में. जिसे बीस साल से गायब बताया गया वो सिर्फ एक साल सऊदी अरब में नौकरी कर के आया हैं और संभल में ही रह रहा था.

घर बेच कर अरब गया था और अब वहां से आने के बाद अपना घर बना रहा था जो पैसा न होने के कारण अधूरा पड़ा है! परिवार किराये के मकान में रह रहा है. पत्नी इण्टर पास है और आसिफ़ आठवी तक पढ़ा हुआ. परिवार वालों के मुताबिक़ आसिफ़ हर रविवार दिल्ली जाता था पुराने घरेलू सामान लेने जिसे सम्भल में बेच कर घर का खर्च चलता था. दो बच्चे हैं. उसका भाई घर में ही दर्जी की दुकान चलाता है.

आसिफ़ के पिता का नाम अताउर रहमान और भाई का मोहम्मद सादिक़ है. बीवी का नाम आफिया परवीन है.

आसिफ़ के भाई का कहना है कि अगर बुरे काम से रोकना और नमाज़ को कहना दहशतगर्दी है तो फिर हम सब मुस्लमान आतंकवादी हैं. वहीं पिता का आरोप है कि ये सब पुलिस की मक्कारी और खेल है. हमें अदालत से इंसाफ़ मिलेगा.

आज देश भर के अख़बारों ने लिखा था कि आसिफ़ बीस साल से गायब था. उसके परिवार वाले घर में ताला डाल कर फ़रार हैं. कोई पडोसी भी कुछ बताने को तैयार नहीं है! जब मैं उसके घर पहुंचा तो सब लोग घर पर ही थे और उन्होंने बड़े बेबाकी के साथ पूरी बात बताई.

अब मेरे ज़हन में सवाल ये उठ रहा है कि क्या देश का मीडिया भी सरकारी हो गया है? या सच लिखने या दिखाने का उसमें दम नहीं है? जिस आदमी को सुरक्षा एजेंसियों ने भारत में अलकायदा का हेड और जवाहरी का दाहिना हाथ बता दिया! मीडिया ने उसी को सच मान लिया और खूब बढ़-चढ़ के झूठ छाप दिया. सुरक्षा एजेंसियों का भी कोई आदमी उसके घर नहीं पहुंचा और न ही मीडिया ने इसकी ज़रूरत समझी! शर्म आनी चाहिए!

(लेखक एबीपी न्यूज़ के स्थानीय संवददाता हैं. ये पोस्ट उन्होंने अपने फेसबुक टाईमलाईन पर लिखा है.)

Loading...

Most Popular

To Top

Enable BeyondHeadlines to raise the voice of marginalized

 

Donate now to support more ground reports and real journalism.

Donate Now

Subscribe to email alerts from BeyondHeadlines to recieve regular updates

[jetpack_subscription_form]