BeyondHeadlines News Desk
लखनऊ : रिहाई मंच ने समाजवादी पार्टी के कुछ सांसदों द्वारा राज्य सभा में आतंकवाद के नाम पर बेगुनाहों की गिरफ्तारियों पर सवाल उठाने को मुसलमानों को बेवकूफ बनाने का शिगूफा क़रार दिया है.
अलीगढ़ में रिहाई मंच की बैठक के बाद जारी बयान में मंच के अध्यक्ष एडवोकेट मो. शुऐब और इंडियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय अध्यक्ष मो सुलेमान ने कहा कि एक तरफ़ तो उत्तर प्रदेश की सपा सरकार बेगुनाहों को छोड़ने के अपने चुनावी वादे से मुकर गयी है वहीं संसद में इस सवाल को उठाकर मुसलमानों को गुमराह करने की कोशिश कर रही है.
उन्होंने एक प्रतिनिधिमंडल में शामिल रामगोपाल यादव द्वारा प्रधानमंत्री से यह कहने पर कि उनकी सरकार तो बेगुनाहों को छोड़ना चाहती है लेकिन हाईकोर्ट के स्टे के कारण ऐसा नहीं कर पा रही हैं को झूठ और बेबुनियाद करार देते हुए कहा कि कोर्ट ने ऐसा कोई स्टे आर्डर नहीं दिया हैं.
रिहाई मंच के नेताओं ने कहा कि मुलायम सिंह के भाई और मंत्री शिवपाल यादव कहते हैं कि किसी भी आरोपी को नहीं छोड़ा जाएगा वहीं दिल्ली में उनके भाई रामगोपाल कभी प्रधानमंत्री से मिलकर तो कभी राज्यसभा में आतंकवाद के नाम पर बंद मुसलमानों का सवाल उठाने का नाटक करते हैं, जिससे जाहिर होता है कि या तो सपा में इस मसले पर एक राय नहीं है या फिर मुलायम सिंह का कुनबा इस मसले पर मुसलमानों को गुमराह कर रहा है.
उन्होंने कहा कि ऐसे में यह ज़रूरी हो जाता है कि मुलायम सिंह इस पर अपनी पार्टी की स्थिति स्पष्ट करें क्योंकि मुसलमानों ने सपा को बेगुनाहों को छोड़ने के वादे पर ही वोट दिया था. नेताओं ने सपा सरकार पर आतंकवाद के नाम पर बंद बेगुनाहों के सवाल पर धोखा देने का आरोप लगाते हुये कहा कि सरकार के पास कचहरी विस्फोटों के आरोप में पकड़े गये तारिक़ और खालिद की गिरफ्तारी के सवाल पर गठित आर.डी. निमेष जांच आयोग की रिर्पोट 31 अगस्त से ही है. लेकिन उसे जारी करने के बजाए लखनऊ जेल में बंद निर्दोषों का लगातार उत्पीड़न जारी है. जिसकी प्रमाण तारिक़ कासमी का जेल से भेजा गया वह पत्र है जिसमें उन्होंने उत्पीड़न की दास्तां बयान करते हुए बताया है कि आठ बाइ बारह के छोटे से कमरे में बंद इन नौजवानों को जेलर शराब के नशे में साम्प्रदायिक गालियां देते हैं, जिसके चलते इन युवकों में आत्महत्या की प्रवित्ति भी आ रही है.
उन्होंने कहा कि यह पत्र सभी अख़बारों में छपा और मानवाधिकार संगठनों ने साम्प्रदायिक जेलर को हटाने की मांग भी की व विधान सभा के सामने धरना भी दिया. लेकिन सपा सरकार ने इस मांग को नहीं माना. जिससे उनका उत्पीड़न आज भी जारी है.
मुआवजे के नाम पर मुसलमानों से सहानुभूति बटोरने की कोशिश करती सपा बताए कि उसने दसियों साल बाद बेगुनाह रिहा हुए कानपुर के वासिफ हैदर, मुमताज़, हाजी अतीक अहमद, सफात रसूल, गुलाम जिलानी खान, जुबैर अहमद व तीन साल बाद बेगुनाह रिहा हुए सीतापुर के सैय्यद मुबारक समेत दर्जनों युवकों के मुआवजे और पुर्नवास के लिए अब तक क्या किया.
मोहम्मद शुऐब और मोहम्मद सुलेमान ने कहा कि रिहाई मंच आर.डी. निमेष जांच आयोग का हश्र मुम्बई दंगों पर गठित श्री कृष्ण आयोग की रिर्पोट जैसी नहीं होने देगा जिसके तथ्यों को तो सभी जानते हैं जो अख़बारों में भी खूब छपा लेकिन सरकारी तौर पर कभी जारी नहीं हुआ.
उन्होंने कहा कि आतंकवाद के नाम पर मुस्लिम समाज के हो रहे उत्पीड़न का पर्दाफाश करती निमेष आयोग की रिर्पोट पर मुसलमान 2014 में सपा को जवाब देगा. इस अभियान के तहत रिहाई मंच 12 दिसम्बर को आजमगढ़ में जहां से तारिक़ कासमी को और 16 दिसम्बर को मडि़याहूं जौनपुर में जहां से खालिद को उठाया गया था और 22 दिसम्बर को बाराबंकी में जहां से एसटीएफ ने इन बेगुनाहों को पकड़ने का झूठा दावा किया था में विरोध प्रर्दशन करेगा.
रिहाई मंच के प्रवक्ताओं शाहनवाज आलम और राजीव यादव ने बताया कि जिस इलाहाबाद हाई कोर्ट की टिप्पणी के नाम पर समाचार माध्यमों द्वारा आरोपियों को छोड़कर पद्म भूषण देने की बेबुनियाद बातें प्रसारित की गईं. उसके खिलाफ़ इलाहाबाद हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता फरमान नक़वी ने प्रेस काउंसिल के अध्यक्ष मारकंडे काटजू को पत्र लिखकर शिकायत की है क्योंकि पद्म भूषण की कोई बात कोर्ट के रिकार्ड में नहीं है.