Exclusive

अपनी ही जामिया में उर्दू हुई बेगानी…

Afroz Alam Sahil for BeyondHeadlines

अंग्रेजी तरक्की की भाषा है इसमें कोई शक नहीं हैं, लेकिन लगता है अब तरक्की पसंद होने का मतलब अपनी जड़ों को भूलना हो गया है. हम पर अंग्रेजी कितनी हावी हो गई है इसका उदाहरण पेश किया है जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने. जामिया ने अपने ही स्कूल में अंग्रेजी के लिये अपनी विरासत को ही बेदखल कर दिया है. जामिया के वाईस चांसलर नजीब जंग जामिया में चलने वाले उर्दू मीडियम स्कूल को अब अंग्रेज़ी मीडियम स्कूल में बदलने का नोटिस जारी कर चुके हैं, जिसको लेकर उर्दू से मुहब्बत करने वालों में काफी गुस्सा है. अब यह मामला जामिया के इतिहास को बचाने का बन गया है.

Photo Courtesy: www.thehindubusinessline.com

जामिया बिरादरी के लोगों का कहना है कि हम अंग्रेज़ी शिक्षा के विरोधी नहीं हैं, पर जामिया के इतिहास व रवायत को हम कतई मरने नहीं देंगे. स्कूल के शिक्षकों की यह भी शिकायत है कि वाईस चांसलर नजीब जंग को जामिया में आए 3 साल बीत गए, लेकिन कभी उन्होंने यहां के शिक्षकों से बात नहीं की और अचानक मार्च के पहले सप्ताह में प्रधानाध्यापिका को छूट्टी लेने पर मजबूर किया गया और 7 मार्च को शिक्षकों के साथ मीटिंग करके उनको बुरा-भला कहते हुए इस विद्यालय को एक अप्रैल से अंग्रेज़ी माध्यम करने का फरमान जारी कर दिया. इस सिलसिले में एक नोटिस भी 13 मार्च को जारी की गई, जिसकी कॉपी BeyondHeadlines के पास मौजूद है. इस नोटिस में स्कूल के एजुकेशन सिस्टम को बेहतर करने पर भी काफी जोर दिया गया है, जो काफी सराहनीय है. इस नोटिस में क्लास रूम बेहतर करने, कम्प्यूटर लैब स्थापित करने, कम्प्यूटर ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाने, स्कूल ड्रेस को बेहतर करने, कुछ क्लासों को स्मार्ट क्लास रूम में तब्दील करने, बच्चों के हेल्थ चेकअप की व्यव्सथा करने, स्कूल टूर और मिड डे मिल योजना शुरू करने की भी बात कही गई है.

जब BeyondHeadlines ने इस सिलसिले में जामिया के रजिस्ट्रार एस.एम. साजिद से बात की तो उन्होंने इस बारे में बात करने से मना करते हुए मीडिया प्रभारी से बात करने की सलाह दी. मीडिया प्रभारी सीमी मल्होत्रा से बात की तो उन्होंने बताया कि उन्हें ऐसी जानकारी नहीं है. और जहां तक उर्दू को खत्म करने की बात है तो शायद ऐसा मुमकिन नहीं है, क्योंकि जामिया ने हमेशा उर्दू को बढ़ाने का काम किया है. हालांकि अंग्रेज़ी की अहमियत से भी इंकार नहीं किया जा सकता. मैं आपको बता दूं कि जामिया ही एक मात्र ऐसा विश्वविद्यालय है जहां बैचलर डिग्री में पढ़ रहे तमाम छात्रों के लिए दो साल के लिए उर्दू पढ़ना अनिवार्य किया गया है. वहीं जामिया स्कूल के प्रिसिंपल अब्दुल नसीब खान ने इस खबर की पुष्टि करते हुए कहा कि एक अप्रेल से सिर्फ छठी क्लास से मीडियम ऑफ इंस्ट्रक्शन अंग्रेज़ी किया जा रहा है.

दरअसल, जामिया के इतिहास को देखें तो इसकी स्थापना ब्रिटिश साम्राज्य की देखरेख में चलने वाले शैक्षिक संस्थान और अंग्रेज़ी शिक्षा के विरोध में गांधी जी के अगुवाई में 1920 में हुआ था. ज़ाकिर हुसैन व गांधी जी ने सबसे पहले जामिया के नाम पर सिर्फ एक मिडिल स्कूल की बुनियाद रखी, जिसे मदरसा इब्तदाई के नाम से जाना गया. बाद में यही मदरसा इब्तदाई एक विश्वविद्यालय में तब्दील हो गया, जिसे आज पूरी दुनिया जामिया मिल्लिया इस्लामिया के नाम से जानती है. लेकिन आज इसी स्कूल पर अंग्रेज़ों के चले जाने के बाद अपने वजूद को बचाने का सवाल पैदा हो गया है.

कहा जाता है  कि जामिया के शिक्षा पद्धति ने पारम्परिक और आधुनिक शिक्षा में एक रिश्ता पैदा किया और नौजवानों को अपनी संस्कृति और भारतीय भाषाओं पर नाज़ करना सिखाया. यही कारण है कि जामिया अपने समकालीन संस्थानों काशी विद्यापीठ और गुजरात विद्यापीठ से बहुत आगे निकल चुकी है.

कभी किसी दौर में जामिया के संस्थापको में एक डॉ. ज़ाकिर हुसैन साहब ने कहा था कि कई बार संस्थाएं  आदर्शों का कब्रिस्तान बन जाती हैं जिनके लिए उनको स्थापित किया जाता है. शायद ज़ाकिर हुसैन की यही बात आज सच साबित हो रही है, उसी ऐतिहासिक स्कूल को अंग्रेज़ी माध्यम का स्कूल बनाया जा रहा है. जबकि गांधी जी ने भी बहुत तीव्रता के साथ इस बात को महसूस किया और समझा था कि शिक्षा का माध्यम भारतीय भाषाएं ही होनी चाहिए.

यहां के शिक्षकों का यह भी कहना है कि वो 30 सालों से उर्दू मीडियम में पढ़ा रहे हैं और अब उनके लिए अंग्रेज़ी में पढ़ाना उतना असरदार नहीं होगा. और वैसे भी हमारा यह स्कूल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की धरोहर है, इसे बचाए रखना बहुत ज़रूरी है. प्रशासन चाहे और भी अंग्रेजी मीडियम स्कूल खोल सकती है. क्योंकि जामिया के पास इतनी क्षमता तो अवश्य ही है. और वैसे भी जामिया में पहले से ही एक सेल्फ फायनेंसिंग अंग्रेज़ी मीडियम स्कूल मौजूद है.

documents-page-001

documents-page-002

Loading...

Most Popular

To Top

Enable BeyondHeadlines to raise the voice of marginalized

 

Donate now to support more ground reports and real journalism.

Donate Now

Subscribe to email alerts from BeyondHeadlines to recieve regular updates

[jetpack_subscription_form]