Education

दिल्ली के बदहाल शिक्षा व्यवस्था का कड़वा सच…

Afroz Alam Sahil for BeyondHeadlines

नई दिल्ली : देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने शिक्षा के अधिकार कानून (आरटीई) को अधिसूचित कर दिया है. लेकिन आरटीआई से मिले अहम दस्तावेज़ यह बताते हैं कि शिक्षा का अधिकार अभी भी एक मज़ाक ही है.

 वेल्फेयर पार्टी ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. कासिम रसूल इलियास को दिल्ली के शिक्षा निदेशाल से सूचना के अधिकार के ज़रिए मिले जानाकारी के मुताबिक दिल्ली में लगभग 34 प्रतिशत शिक्षकों के पद रिक्त हैं. आरटीआई से मिले अहम दस्तावेज़ यह बताते हैं कि दिल्ली में कुल 29444 शिक्षकों के पद रखे गए हैं, जिनमें 19675 पदों पर ही शिक्षक कार्यरत हैं. यानी 9769 शिक्षकों के पद फिलहाल रिक्त हैं.

आरटीआई से मिले जानकारी के मुताबिक अंग्रेज़ी भाषा के लिए कुल 5096 शिक्षकों के पद रखे गए हैं, जिनमें 3438 पदों पर ही शिक्षक कार्यरत हैं. यानी 1658 (32%) शिक्षकों के पद फिलहाल रिक्त हैं.  वहीं, हिन्दी भाषा के लिए कुल 4606 शिक्षकों के पद रखे गए हैं, जिनमें 3376 पदों पर ही शिक्षक कार्यरत हैं. यानी 1230 (26%) शिक्षकों के पद फिलहाल रिक्त हैं. यही नहीं, संस्कृत भाषा के लिए भी कुल 4179 शिक्षकों के पद रखे गए हैं, जिनमें 2463 पदों पर ही शिक्षक कार्यरत हैं. यानी 1716 (41%) शिक्षकों के पद फिलहाल रिक्त हैं. वहीं दूसरी तरफ दिल्ली में दूसरी सरकारी भाषा मानी जाने वाली उर्दू भाषा के लिए सिर्फ 262 शिक्षकों के पद ही रखे गए हैं, जिनमें 70 पदों पर ही शिक्षक कार्यरत हैं. 192 यानी 73% शिक्षकों के पद फिलहाल रिक्त हैं. यही हाल दिल्ली में पंजाबी का भी है. पंजाबी भाषा के लिए कुल 254 शिक्षकों के पद रखे गए हैं, जिनमें 150 पदों पर ही शिक्षक कार्यरत हैं. यानी 104 (40%) शिक्षकों के पद फिलहाल रिक्त हैं. पंजाबी भी दिल्ली की दूसरी सरकारी भाषा है. यह अलग बात है कि सरकारी स्कूलों में बच्चों को ड्राईंग सिखाने के लिए 1054 व म्यूज़िक सिखाने के लिए 334 शिक्षको के पद रखे गए हैं.

शिक्षा निदेशालय के ज़ोन-19, ज़िला साउथ-वेस्ट-ए, वसंत विहार से आरटीआई से मिले जानकारी के मुताबिक इस ज़ोन में कुल 725 शिक्षक ही कार्यरत हैं और 262 शिक्षकों के पद रिक्त हैं. और उर्दू भाषा के लिए एक भी शिक्षक का पद नहीं रखा गया है. यानी इस ज़ोन के किसी भी स्कूल में उर्दू भाषा को बतौर विषय नहीं पढ़ाया जाता है. जबकि इस ज़ोन में कुल 21 सरकारी स्कूल हैं और सारे स्कूलों में संस्क़त, म्यूज़िक और योग के टीचर्स बहाल हैं.

वहीं, उत्तरी दिल्ली नगर निगम से आरटीआई से मिले जानकारी के मुताबिक 2070 पद प्रिंसिपल, 21780 पद प्राईमरी टीचर्स और 1801 पद नर्सरी टीचर्स के लिए रखे गए हैं, जिनमें से 717 प्रिंसिपल, 7106 रेगुलर टीचर्स व 1477 कॉन्ट्रेक्ट टीचर्स फिलहाल बहाल हैं. साथ ही उत्तरी दिल्ली नगर निगम से आरटीआई से मिले जानकारी यह भी बताती है कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम में उर्दू व पंजाबी शिक्षकों के लिए कोई भी पद नहीं रखा गया है. यानी उर्दू यहां से भी नदारद है.

डॉ. क़ासिम रसूल इलियास कहते हैं कि यह कितना अजीब है कि एक तरफ तो सरकार कानून बनाकर सबको शिक्षा अनिवार्य करने की बात कर रही है, वहीं दूसरी तरफ इन्हीं सरकारी स्कूलों में शिक्षक तक नहीं हैं, तो ऐसे में सरकारी स्कूलों में शिक्षा के हाल का अंदाजा आप खुद ही लगा सकते हैं. आगे उन्होंने उर्दू भाषा पर चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार का उर्दू दुश्मनी अब आरटीआई से जगजाहिर हो चुका है. और सिर्फ उर्दू ही नहीं, पंजाबी के साथ भी यही हो रहा है.

सरकारी स्कूलों की दशा चाहे जैसी भी हो, लेकिन सरकार इन्हीं स्कूलों पर अच्छा खासा रकम खर्च कर रही है. शिक्षा निदेशालय से मिली जानकारी के मुताबिक पिछले दस सालों में 11022.6613 करोड़ रूपये खर्च कर चुकी है. पर ज़रा सोचिए कि जब स्कूल में शिक्षक ही नहीं रहेंगे तो बच्चों का भविष्य क्या होगा?

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