यह कैसा प्रतिबंध? धड़ल्ले से बिक रहा है गुटका…

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Anurag Bakshi for BeyondHeadlines

यह कैसी रोक और प्रतिबंध, जो सिर्फ सरकारी कागज और फाइल तक ही सीमित है. हमारे देश की सरकारी सिस्टम में एक बड़ी विडंबना है. नियम व कानून बना तो दिए जाते हैं, लेकिन उस पर कितना अमल हो रहा है, इसको देखने वाला कोई नहीं है.

केंद्रीय कानून हो या फिर राज्य सरकार के नियम व अधिनियम. हर जगह एक ही हाल है. उत्तर प्रदेश में अन्य राज्यों की तरह करीब 3-4 माह पहले गुटखा पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा हुई थी. यह घोषणा अधिसूचना जारी कर की गई थी. पर देखा जा रहा है कि सरकारी अधिसूचना जारी होने के बावजूद उसे अमल में लाने के लिए न्यूनतम तत्परता भी प्रशासनिक स्तर पर नहीं दिख रही. नतीजा कागजी हिसाब से एक मई/2013 में गुटखा और निकोटिन मिले पान मसाला पर प्रतिबंध लगने के बावजूद राज्यभर में धड़ल्ले से इसकी बिक्री हो रही है. कहीं खुलेआम तो कहीं चोरी से बिक रही है.

यह कैसा प्रतिबंध? धड़ल्ले से बिक रहा है गुटका...

इसी तरह सार्वजनिक स्थलों, ट्रेनों में धूमपान पर प्रतिबंध लगाया गया था और आज उसका क्या हाल है यह बताने की आवश्यकता नहीं है. इसी तरह गुटखा पर प्रतिबंध भी नाम के लिए ही है.

स्वास्थ विभाग के अधिकारी स्वीकार रहे हैं कि इस प्रतिबंध को लागू करने का दायित्व उनका है. परंतु उसे कार्यकारी किस तरह किया जाएगा? इस सवाल का जवाब उनके पास नहीं है. मुंह में कैंसर का मामला प्रकाश में आने के बाद बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र सरकार ने पहले प्रतिबंध की घोषणा की थी. इसके बाद प्रतिबंध के संदर्भ में अधिसूचना भी जारी की गई. परंतु उसे अमली जमा पहनाने के लिए कोई ठोस योजना तैयार नहीं हो सकी.

कई ऐसे दुकानदार हैं जिन्हें पता ही नहीं है कि गुटखा पर भी प्रतिबंध लग चुका है. कुछ जानते भी हैं तो उन्हें पता है कि बेचने पर कोई कार्रवाई नहीं होने वाली. सरकार की ओर से प्रतिबंध के संबंध में अब तक कोई प्रचार या जागरुकता अभियान शुरू नहीं किया गया है. स्वास्थ विभाग इस मामले में इतना उदासीन क्यों है?

क्या जिस तरह से धूम्रपान पर प्रतिबंध का बंगाल में माखौल उड़ रहा है. उसी तरह गुटखा पर प्रतिबंध का भी हाल होगा? सरकार को किसी भी प्रतिबंध और रोक की घोषणा के साथ-साथ उसे जमीन पर उतारने के लिए आवश्यक योजना बनाने की जरूरत है. नहीं तो इसी तरह प्रतिबंध के लिए नियम बनते रहेंगे और लोग उसे तोड़ते रहेंगे, सरकार को चाहिए कि तत्काल इस संबंध में विज्ञापन प्रकाशित करे. लोगों में जागरुकता के लिए प्रचार शुरु करे. अभियान चलाया जाए. प्रतिबंध नहीं मानने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाए. नहीं तो यह प्रतिबंध कागजी ही रह जाएगा.

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