क्या बेतिया के ‘मोदीकरण’ से बिगड़ा है शहर का माहौल?

Afroz Alam Sahil for BeyondHeadlines

किसी भी मसले का राजनीतिकरण बहुत खतरनाक होता है, लेकिन अगर किसी पर्व का ‘मोदीकरण’ हो जाए तो स्थिति का अंदाज़ा आप लगा सकते हैं. ‘मोदीकरण’ का जीता-जागता उद्धाहरण मेरे आंखों के सामने मेरे अपने ही शहर में हुआ. वो भी उस शहर में जो कभी गांधी की कर्म-भूमी रही है.

मौक़ा नागपंचमी का था. रात के परम्परागत महावीरी आखाड़े के बाद दिन का आखाड़ा भी लाठी, भाला, तलवार और तरह-तरह के हथियारों व गाजे-बाजे के साथ निकाला गया. राजड्योढ़ी पूरी तरह से गुलज़ार था. जगह-जगह चाट, मिठाई व गुब्बारों की दुकानें सजी हुई थीं. आखाड़े के खिलाड़ी सांसद जी का शरबत पीकर पूरे जोश के साथ अपने करतब दिखाकर लोगों को आकर्षित कर रहे थे. अधिकतर खिलाड़ी  सांसद द्वारा बांटे गए टीशर्ट पहन रखे थे. शायद यह प्रचार व प्रसार का एक एजेंडा था…

Bettiah Communal tension storyइस धार्मिक मौके पर तरह-तरह की झांकियां निकाली गई, जो परंपरा है, लेकिन पहली झांकी को देखते ही हम समझ गए कि कहीं आज का पूरा जश्न ही मोदी द्वारा स्पोंसर्ड तो नहीं है… इस झांकी में अल्पसंख्यक वोट बैंक पर वार किया गया था और यह दिखाने की कोशिश की गई कि कांग्रेस अल्पसंख्यक वोट के लिए देश को दांव पर लगा रहा है. नीतिश कुमार वोटों के लिए अल्पसंख्यकों को अपना दामाद भी बनाने को तैयार हैं. साथ ही यह भी संदेश देने की कोशिश की गई कि देश को बचाने के लिए इस बार सिर्फ एक ही विकल्प है, नरेन्द्र मोदी…

दूसरी झांकी में भी कांग्रेस के मनमोहन सिंह पर वार किया गया. भारत-पाक वार्ता का दृश्य था और दिखाया गया कि वार्ता में मनमोहन सिंह के मुंह पर टेप नहीं बल्कि पूरा बैंडेज बंधा हुआ है. साथ ही लोगों को संदेश देने के लिए पीछे एक बैनर पर लिखा था कि ज़रा सोचिए! देश का भविष्य क्या होगा? तीसरे झांकी में भी केन्द्र सरकार पर वार किया गया. 12 रूपये में भोजन पर सवाल खड़ा किया गया. चौथे झांकी में भी केन्द्र व नीतिश सरकार पर वार किया गया था. पाकिस्तान द्वारा बिहार के 4 जवानों की शहादत के बाद सरकार की चुप्पी व पाकिस्तान के खिलाफ कोई कार्रवाई न किए जाने पर सवाल उठाया गया.

Bettiah Communal tension storyएक दूसरी झांकी में एक शहीद की चिता व उसके परिवार को दिखाया गया था और तरह-तरह के नारे लिखे गए थे. जैसे: “अबकि चिंता मत कर, चेहरे का खोल बदल देंगे… इतिहास की क्या हस्ती है, पूरा भूगोल बदल देंगे…”  बाकी के झांकियों में भी केन्द्र की कांग्रेस सरकार व राज्य के नीतिश सरकार पर खुला वार था.

यह सब कुछ देखने के बाद किसी के लिए भी समझने को काफी था कि पूरा का पूरा यह धार्मिक जश्न भाजपा के समर्थन के लिए सेलिब्रेट किया जा रहा था. खैर, लोग अपने-अपने तरीकों से इन झांकियों का आनन्द ले रहे थे. आनन्द लेने वालों में हम भी शामिल थे. तभी अचानक भगदड़ मच गई. छोटे-छोटे मासूम बच्चे व औरतें सड़कों पर गिरते-पड़ते सुरक्षित स्थानों की तलाश करने लगे. कुछ समझ नहीं आ रहा था कि भीड़ के हिंसक होने की वजह क्या थी? क्योंकि तरह-तरह की अफवाहें पूरे शहर में फैल चुकी थी और इन अफवाहों के बीच यह समझना मुश्किल था कि कौन अपना है और कौन पराया?

Bettiah Communal tension storyउपद्रवी एक गाड़ी को आग लगा चुके थे. टाइगर मोबाइल की बाइक भी फूंक दी गई. तकरीबन दो-ढ़ाई घंटों तक दोनों पक्षों की तरफ से पथराव व हिंसा होता रहा, और प्रशासन तकरीबन गायब रही. जब दो घंटों के प्रशासन पहुंची तो भीड़ ने ज़िला व पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारेबाज़ी करते हुए डीएम व एसपी के सरकारी वाहनों को भी आग के हवाले कर दिया. इस झड़प में करीब तीन दर्जन लोग घायल हो गए.

स्थिति को काबू में करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे जाने लगे. हवाई फायरिंग भी की जाने लगी. तभी इन सबके बीच खबर मिली कि शहर के इलमराम चौक की तरफ से कुछ उपद्रवी जिसे भाजपा के एक स्थानीय नेता लीड कर रहे हैं वो बड़ी मस्जिद के करीब आ गए हैं और फिर दोनों पक्षों की तरफ से पथराव शुरू हो गया. इसी बीच एक मस्जिद से नमाज़ पढ़ कर निकल रहे एक नौजवान को गोली सर को छूती हुई निकल गई. अजीब अफरा-तफरी का माहौल हो गया. उपद्रवियों ने एक खास तबके के घरों को चुन-चुन कर अपने पथराव का निशाना बनाया.

WP_002303अब यह खबर पूरे शहर में आग की तरह फैल चुकी थी. मुहल्लों में नारे लगने शुरू हो चुके थे. लोगों में कुछ भी कर गुज़रने का जोश भर चुका था. कई लोगों को गोली लगने व मरने की अफवाह ने लोगों को पूरी तरह से पागल कर दिया था. एक अजब सा माहौल, जिसे शायद हमने पहले कभी नहीं देखा था. तभी उपर वाले का करम हुआ और तेज़ बारिश ने लोगों के जोश व जुनून का ठंडा करने का काम किया और कामयाब भी रही.

इधर, तिरहुत कमिश्नर केपी रामैया मुज़फ्फरपूर से बेतिया के लिए रवाना हो चुके थे. बगहा व मोतिहारी से अतिरिक्त पुलिस बल के अलावा एसएसबी के जवान भी शहर में पहुंच चुके थे. पूरी रात बारिश में शहर में गश्त लगाते रहे. दंगा नियंत्रण गाड़ी व पुलिस के गाड़ियों के साईरन की आवाज़ लोगों में एक अलग तरह की दहशत भर रही थी.

जब हमने इस पूरे मामले की तहक़ीक़ात की तो सारा मामला समझ में आने लगा. दरअसल, सच तो यह है कि इस घटना की पटकथा पहले से तैयार कर ली गई थी. शनिवार रात आखाड़े में अधिकतर जगह उत्पात मचाया गया. स्थानीय निवासी बताते हैं कि शहर के मीना बाजार में कुछ सब्ज़ी बेचने वाले गरीब दुकानदारों के दुकान में तोड़-फोड़ की गई. कइ फलों के दुकानों को लूटा गया.

Bettiah Communal tension storyशहर के कृश्चन क्वार्टर में कालीबाग व नया बाजार के आखाड़े के लोग आपस में भीड़ गए. दोनों तरफ से लाठी, तलवार भाजे जाने लगे. एक पक्ष ने लोगों को भगाने के लिए पिस्तौल से हवाई फायरिंग की जिससे मौके पर अफरा-तफरी मच गई. इस अफरा-तफरी में पटाखों का भी प्रयोग किया गया.

यही नहीं, बसवरिया में एक क़ब्रिस्तान की दिवार व दरवाज़े को तोड़ने की कोशिश की गई थी, जिसको लेकर इलाके में काफी तनाव हो गया था. दोनों पक्षों के लोग आमने-सामने हो गए. जमकर लाठियां चली. फिर मुहल्ले के लोगों ने आक्रोशितों को समझा कर मामला शांत कराया. इसलिए शहर की सारी पुलिस फोर्स वहां बहाल कर दी गई थी. दूसरी तरफ तनाव को लेकर वर्षों से चर्चा में करनेमया में शांति बहाली में भी पुलिस को तैनात किया गया था. इसलिए शहर के आखाड़े पर से पुलिस का नियंत्रण कमज़ोर पड़ गया था.

खैर, घटना के बारे में स्थानीय लोगों का कहना है कि दरअसल जोड़ा इनार चौक पर जब एक आखाड़ा आया तो लाठी भाजने के क्रम में किसी को चोट लगी. जब वहां खड़े एक समुदाय के लोगों ने बोला. बस इसी बात पर पहले हाथा-पाई हुई और फिर पथराव शुरू हो गया. एक पक्ष का आरोप है कि प्रशासन द्वारा निर्धारित रूट का उल्लंघन करके आखाड़े के शरारती युवक उनकी बस्ती की तरफ जाने लगे तो कुछ लोगों ने इसका विरोध किया. विरोध करने पर उन्होंने हथियार चलाना आरंभ कर दिया. फिर जो हुआ वो सबके सामने है. जबकि दूसरे पक्ष का कहना है कि उनके आखाड़े में दूसरे पक्ष के लोग जबरन प्रवेश करने की कोशिश कर रहे थे. लेकिन हमने उन्हें प्रवेश नहीं करने दिया. बस यही बात आपसी लड़ाई का कारण बनी.  वहीं कुछ लोगों का कहना है कि यह विवाद झांकी को लेकर हुआ. सत्ताधारी पक्ष के कुछ नौजवानों ने इस पर आपत्ति जताई और मामला मारपीट और पथराव पर आ गया और फिर पूरे शहर का माहौल बदल सा गया.

खैर, पूरी सच्चाई क्या है. यह सच तो पूरी तरह से जांच के बाद ही सामने आएगा. लेकिन इसका नुक़सान शहर के बेकसूरों, गरीबों व मज़दूरों का हुआ है. शहर के गरीब लोग परेशान हैं कि आज उनके घर चुल्हा कैसे जलेगा.   फिलहाल, पूरे शहर में धारा-144 लगा दी गई है. चप्पे-चप्पे पर पुलिस फोर्स तैनात है. कर्फ्यू जैसा माहौल है. शहर में एक अजीब सी खामोशी पसरी हुई है. और इन सबके बीच सिर्फ हो रही हैं कि अफवाह व राजनीति के नफ़ा-नुक़सान की बातें…

अब बिहार की जनता और खासकर बेतिया की जनता मन ही मन सवाल कर रही है कि क्या बीजेपी के नीतीश सरकार से अलग होने का यह खमयाज़ा है या मोदी के पक्ष में बयार बहाने का तरीका है.

हमने सुना है कि सियासत के सीने में दिल नहीं होता… लेकिन मेरी तो यही दुआ और इल्तिज़ा है कि खुदा के वास्ते मेरे शहर को बख्श दो… यह शहर सिर्फ मेरा नहीं, बल्कि गांधी की कर्म भूमि है… गांधी गुजरात का सपूत था…. हे राम! यह कैसा जमाना है कि गुजरात के एक गांधी ने जिस चमन को सींचा था आज वहां के एक शख्स के नाम से मेरे शहर का माहौल खराब हो रहा है.

Comments

6 responses to “क्या बेतिया के ‘मोदीकरण’ से बिगड़ा है शहर का माहौल?”

  1. राहुल तिवारी Avatar
    राहुल तिवारी

    पत्रकार ने लेख लिखते वक्त बिल्कुल मुसलमान का चोला धारण कर लिया है। एकतरफ खबर है। हकीकत यह है कि मुसलमानों ने हिंदुओं के जुलूस पर पत्थरवाजी की। वे इस उम्मीद में हैं कि नीतीश कुमार की सरकार उन्हें हिंदुओं पर हमला करने देंगी। मुसलमान इस मानसिकता में जीते हैं कि वे हिंदुओं पर हमेशा भारी है। पता नहीं वे किस जमाने में जीते हैं। अगर ये हाल रहा तो आनेवाले 10-20 साल में वे इस देश में कहीं रहने लायक नहीं रह जाएंगे। वे अभी भी संभल जाएं। हिंदू हमेशा शांति चाहता है, इसीलिए इस देश में इतने मुसलमान रह रहे हैं। इस फैक्ट को स्वीकार कीजिए।

    1. SAJID ANWAR Avatar
      SAJID ANWAR

      SALE TU JINA DUSWAR KAR DEGA HINDU KA BADAI KAR RHA HAI AGAR WAISE KUCH BAAT RHI TO HUM DEORAJI MUSALMAN V APNA JALWA DIKHA DENGE

  2. Athar Hashmi Avatar
    Athar Hashmi

    Tum kahte ho “नीतिश कुमार वोटों के लिए अल्पसंख्यकों को अपना दामाद भी बनाने को तैयार हैं” to suno BJP ne vote bank k liye pehle hi minority ko apna damad bana liya hai. lekin khushi ki baat ye hai k isse unke vote bank ko to koi asar nahi hua albatta unki betion ki ******** .
    मोदी की भतीजी का पति मुस्लिम है बीजेपी के शाहनवाज हुसैन जी की पत्नी मुरली मनोहर जोशी जी की बेटी है बीजेपी के मुख़्तार अब्बास नकवी की पत्नी वी.एच.पी के अशोक सिंघल की बेटी है लाल कृष्ण अडवानी की बेटी ने दूसरी शादी मुस्लिम के साथ की है सुब्रमनियम स्वामी की बेटी सुहासिनी ने मुस्लिम से शादी की है शिव सेना बाल ठाकरे की पोती ने मुस्लिम से की शादी है