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गाड़ी हिन्दू की और परिवार मुस्लिम, कैसे हो सकते हैं दोस्त? बस पुलिस ने कर दी पिटाई

BeyondHeadlines News Desk

इलाहाबाद : सिविल लाइंस में हनुमान मंदिर पुलिस चौकी पर चेकिंग के दौरान गाड़ी का चालान और तौसीफ़ की पिटाई सिर्फ़ इसलिए कर दी गई, क्योंकि तौसीफ़ अपने दोस्त सर्वेश अग्रहरी की गाड़ी से रेलवे स्टेशन तक जा रहे थे.

बता दें कि सोनारी, रामगंज अमेठी का रहने वाला एक मुस्लिम परिवार मुंबई की ट्रेन पकड़ने इलाहाबाद जंक्शन जा रहा था. महिलाओं ने ट्रेन के टिकट भी दिखाए पर पुलिस ने एक न सुनी और यही रट लगाती रही कि गाड़ी हिंदू की और उस पर सवार परिवार मुसलमान. ये कैसे हो सकता है?  

इस घटना के बाद उत्तर प्रदेश की सामाजिक व राजनीतिक संगठन रिहाई मंच के रविश आलम ने इस संबंध में पीड़ितों से मुलाक़ात कर बात की. इस बातचीत में तौसीफ़ ने बताया कि वो दिल के मरीज़ हैं. बेहोशी की हालत में उनको स्वरुप रानी अस्पताल ले जाया गया. सुबह जब उनकी आंख खुली तब पता लगा कि वह अस्पताल में हैं. तौसीफ़ बहुत बात करने की स्थिति में नहीं थे. 

तौसीफ़ के दोस्त और गाड़ी मालिक सर्वेश अग्रहरी ने बताया कि उनका दोस्त तौसीफ़ कल अपने परिवार के साथ मुंबई जा रहा था. मेरा ड्राइवर जगदीश उन्हें छोड़ने गया था. लेकिन इलाहाबाद में सिविल लाइन्स पुलिस की चेकिंग में पूरे कागज़ दिखाने पर भी वो बोले कि परमिट कहां है. जब तौसीफ़ ने कहा कि मेरे दोस्त की गाड़ी है तो पुलिस वाले बिगड़ गए. गाली-गलौज करने लगे और कहने लगे कि गाड़ी मालिक हिंदू है और तुम मुसलमान, तुम्हारा मित्र कैसे हो सकता है? बस इसी आधार पर गाड़ी का चालान कर दिया. कारण पूछने पर पुलिस ने तौसीफ़ को मारना शुरु कर दिया. गाड़ी में बैठी महिला बचाने के लिए गईं तो उनके साथ भी अभद्रता की गई. पुलिस द्वारा की जा रही ज़्यादती पर वहां मौजूद आम जनता ने भी विरोध किया पर पुलिस किसी की सुनने को तैयार न थी. पुलिस ने रात को भी जगदीश और तौसीफ़ को बहुत मारा. तौसीफ़ की हालत बिगड़ गई क्योंकि वो दिल का मरीज़ है.

दूसरी तरफ़ पुलिस का कहना है कि कुछ लोगों ने ट्रैफ़िक दरोगा उमाशंकर त्रिपाठी को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा और उसकी वर्दी फाड़ दी. दरोगा की तहरीर पर पुलिस ने गाड़ी पर सवार तौसीफ़ व जगदीश पर नामज़द रिपोर्ट दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया था. रविवार भोर में तीन बजे के क़रीब अचानक आरोपी तौसीफ़ की तबीयत बिगड़ गई. जिसके बाद पुलिस उसे बेली अस्पताल ले गई. लेकिन गंभीर हालत को देखते हुए बेली अस्पताल के डॉक्टरों ने उसे रेफ़र कर दिया जिसके बाद उसे एसआरएन अस्पताल ले जाया गया. वहां क़रीब एक घंटे तक उसका उपचार चला. इसके बाद दोबारा उसे थाने ले जाया गया. जब उसकी तबीयत में सुधार नहीं हुआ तो क़रीब दिन के एक बजे मुचलके पर छोड़ दिया गया.

इस पूरी घटना पर रिहाई मंच ने कहा कि योगी को पसंद नहीं कि हिंदू और मुसलमान में भाईचारा और दोस्ती हो. यह कुंठित मानसिकता की निशानी है. इस घटना ने यूपी पुलिस के सांप्रदायिक चेहरे को एक बार फिर उजागर किया जो यह मानने को तैयार नहीं कि हिन्दू की गाड़ी में कोई मुस्लिम परिवार कैसे सफ़र कर सकता है. ये इसी मानसिकता का विस्तार है कि हिन्दू घर में अमूमन मुस्लिम किराएदार स्वीकार नहीं किया जाता.

रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि योगी की प्रयागराजी पुलिस को हिन्दू-मुस्लिम भाईचारा पसंद नहीं. पुलिस ने मामले का साम्प्रदायिकरण किया और आम अवाम ने उसका पुरज़ोर विरोध किया. साफ़ है कि जनता गंगा-जमुनी तहज़ीब के साथ है. पुलिस ने गाड़ी चालक जगदीश, तौसीफ़ और उनके परिजनों को मारापीटा और उन पर फ़र्ज़ी मुक़दमा लाद दिया. 

मंच अध्यक्ष ने मांग की कि फ़र्ज़ी मुक़दमा तत्काल वापस लिया जाए. घटना की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए और दोषी पुलिस-कर्मियों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई की जाए.

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