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Reading: कितनी पीड़िताओं को सिंगापुर ले जायेगी सरकार!
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BeyondHeadlines > India > कितनी पीड़िताओं को सिंगापुर ले जायेगी सरकार!
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कितनी पीड़िताओं को सिंगापुर ले जायेगी सरकार!

Beyond Headlines
Beyond Headlines Published December 27, 2012 2 Views
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5 Min Read
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Anita Gautam for BeyondHeadlines

आज कल की सुर्खियों में चल रही दामिनी या जिसे लोग पीडि़ता कह-कह कर संबोधित कर रहे हैं वह छवि है. इतने दिनों से अपनी जिंदगी से लड़ रही है, ख़बरों के अनुसार उसकी आंत और पेट में गंभीर चोट आई थी. जिसके कारण भारत में उसके कई ऑपरेशन भी करने पड़े, किन्तु कोई सफलता नहीं मिली. और कल और अधिक हालात खराब होने के बाद सिंगापुर ले जायी गयी.

किन्तु आश्चर्य की बात है सफ़दरजंग अस्पताल, जिसे देश का जाना-माना अस्पताल माना जाता है. जब देश के अनेक शहरों, कस्बों यहां तक की दूर-दराज के गांव से लोग यहां ईलाज कराने आते हैं, तो फिर यहां रियल लाईफ की दामिनी का ईलाज पूरी तरह क्यों नहीं हो सका?

और अगर यहां उसका ईलाज संभव नहीं था या ज़रूरी उपकरण नहीं थे तो शुरूआती दौर में ही उसे किसी अन्य अस्पताल में क्यों दाखिल नहीं कराया गया?

यह प्रश्न बार-बार मन में आ रहा है कि हमारी सरकार स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर न जाने प्रतिवर्ष कितने करोड़ रूपये खर्च करती है, और फिर चौंकाने वाली बात यह है कि सरकार के पास एक भी एयर एबुंलेंस नहीं है? क्यों उसे मेदांता मेडिसिटी हॉस्पिटल जो कि निजी अस्पताल है, से मदद लेनी पड़ी? और यह सारा पैसा फिर कहां जाता है?

बुधवार की रात दामिनी को 11 बजे गुड़गांव के मेदांता मेडिसिटी हॉस्पिटल के लाइफ सपोर्ट सिस्टम से लैस ऐंबुलेंस की सहायता से सफ़दरजंग हॉस्पिटल से शिफ्ट करते हुए आईजीआई एयरपोर्ट ले जाया गया और कुछ ही घंटों में उसे सिंगापुर के मल्टी ऑर्गन ट्रांसप्लांट के लिए मशहूर पार्कवे हेल्थ हॉस्पिटल ग्रुप के माउंट ऐलिजाबेथ हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है. जहां उसका उचित उपचार प्रारंभ हो चुका है.

केन्द्र सरकार बोल रही है कि हम इस ईलाज का खर्च उठाएगें, तो वहीं गृह मंत्रालय एक ही दिन में उसके परिजनों के पासपोर्ट बनने, वीजा लेने से लेकर उन्हें दामिनी के साथ सिंगापुर भेजने की बात कर रही है. पर क्या यह घटना एक के बाद एक करके देश की कमियों और उजागर नहीं कर रही?

कहीं पुलिस तो कहीं प्रशासन तो कहीं घटना के बाद राजनेताओं की वहीं पुरानी घिसी-पिटी पुरानी आदत, आग में घी डालना और उस आग में रोटियां सेंकने के काम कर रहे हैं और अपनी गलती को दूसरे पर थोपने की कोशिश कर रहे हैं. देश का स्वास्थ्य विभाग… अतिश्योक्ति है…

इस देश में अगर कमियों को खोजा जाए तो इतनी उलझनों से लेस है कि बस एक तार खिंचिए, बाकि उलझनें आप सुलझा ही नहीं पाएंगे.  फिर भी इसके बाद, देश का नागरिक 15 अगस्त और 26 जनवरी को एका-एक बोल ही देता है, मेरा देश महान! पर शायद भारत माता अगर सामने होती तो ये सरकार नामक रेपिस्ट न जाने अपनी मां के साथ क्या-क्या करते और अंधा कानून और दूर खड़ा स्वास्थ्य विभाग ठहाके लगा-लगा कर मुस्कुरा रहा होता.

जब यह पीडि़ता जो कि मीडिया और देश के लोगों के दबाव के कारण आज पल-पल की ख़बर का अभिन्न हिस्सा बनी हुई है तो उसके स्वास्थ्य के साथ ऐसा खिलावाड़… तो फिर आप ही सोचिए कि देश में ऐसी कितनी दामिनी होंगी जो रोज़ दिन-दहाड़े अपने दामन पर दाग़ लगने से अपने आपको बचाए बिना इन हैवानों की बस्ती में बेआबरू होती हैं और क़दम-क़दम पर मानसिक, सामाजिक और शारिरीक रोग के ईलाज के लिए तरसती होंगी?

और ऐसे कितने मरीज होंगे जिन पर हमारी केन्द्र सरकार मरहबान हो कर विदेश में उपचार कराते होंगे? इस क्यों के पीछे न जाने मेरे और आपके मन में असंख्य प्रश्न होंगे कि हम क्यों आज भी सरकार के गुलाम हैं? स्वास्थ्य सेवाओं के बावजुद डॉक्टर और दवा के अभाव में क्यों रोज मरते हैं? मां अपनी कोख में 9 महीने अपने बच्चे को सुरक्षित रखती है, पर हमारे देश की स्वास्थ्य व्यवस्था 9 मिनट से भी कम समय में आपको मृत्यु के हवाले कर देती है, क्यों?

(लेखिका प्रतिभा जननी सेवा संस्थान से जुड़ी हुई हैं.)

TAGGED:Delhi gang-rape victim in 'extremely critical condition'Delhi gang-rape victim in flown to Singapore hospitalflown to Singapore hospital
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