निमेष आयोग रिपोर्ट में तब्दीली करने की फिराक में सरकार

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BeyondHeadlines News Desk

लखनऊ : रिहाई मंच ने प्रदेश सरकार द्वारा आरडी निमेष जांच आयोग की रिपोर्ट नहीं जारी करने के पीछे सरकार द्वारा इस रिपोर्ट में तब्दीली करने की कोशिश करने का आरोप लगाया है. साथ ही उन्होंने कहा कि जब रिपोर्ट सबके सामने आ चुकी है और उसने तारिक-खालिद की गिरफ्तारी पर एसटीएफ और आईबी को कटघरे में खड़ा कर दिया है तब ऐसे में सरकार को बताना चाहिए कि इन अपराधी पुलिस वालो को वह क्यों बचाना चाहती है.

रिहाई मंच के नेता और अवामी कांउसिल के महासचिव असद हयात और रिहाई मंच के प्रवक्ता राजीव यादव और शाहनवाज़ आलम ने जारी बयान में कहा कि सामाजिक-राजनीतिक संगठनों द्वारा आरडी निमेष जांच आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक कर दिये जाने और उसके कुछ महत्वपूर्ण हिस्सों के जिसमें कचहरी विस्फोटों के आरोपियों तारिक और खालिद की गिरफ्तारियों को संदिग्ध बताते हुये पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं कि मीडिया में आ जाने के बाद अगर किसी आरटीआई के जवाब में सरकार यह कहती है कि रिपोर्ट उसके पास नहीं है तो इससे सरकार की मंशा पर गंभीर सवाल उठते हैं.

govt can change Nimesh Commission report

उन्होंने शक जाहिर किया कि सरकार साम्प्रदायिक और अपराधी पुलिस अधिकारियों को बचाने के लिये रिपोर्ट को बदलाव सकती है और इसीलिये सरकार निमेष कमीशन की रिपोर्ट के अपने पास न होने का झूठ फैला रही है. नेताओं ने आतंकवाद के नाम पर कैद मुस्लिम बेगुनाहों के सवाल पर सपा सरकार द्वारा मुसलमानों को लगातार गुमराह करने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए कहा कि मुलायम सिंह कभी उलेमाओं के सम्मेलन में तो कभी संसद में सफेद झूठ बोल रहे हैं कि उनकी सरकार ने आतंकवाद के नाम पर बंद बहुत सारे बेगुनाह मुस्लिमों को छोड़ दिया है.

उन्होंने कहा कि सपा ने एक भी बेगुनाह को नहीं छोड़ा है उल्टे सीतापुर के मो. शकील को 12 मई 2012 को उनकी सरकार में ही दुबग्गा से और आज़मगढ़ के मदरसे में पढ़ने वाले दो कश्मीरी छात्रों वसीम बट्ट और सज्जाद बट्ट को अलीगढ़ से आतकंवाद के झूठे आरोप में पकड़ा गया.

रिहाई मंच के नेताओं ने जमीयत के सम्मेलन में मुलायम के इस वादे को भी वादा-खिलाफी बताया जिसमें उन्होंने कहा था कि उनकी सरकार आतंकवाद के आरोप में बंद बेगुनाहों की ज़मानत की अर्जी का विरोध नहीं करेगी. उन्होंने कहा कि मुलायम ने चुनाव में मुक़दमें वापस लेने का वादा किया था इसलिये मुसलमान ज़मानत के झुनझुने से उनके झांसे में नहीं आने वाला. मुसलमानों को इन बेगुनाहों की मुकम्मल आजादी चाहिये. उन्होंने कहा कि बेगुनाहों की रिहाई के साथ ही इन आतंकी घटनाओं के वास्तविक अपराधियों को सजा दिलाने का सवाल भी जुड़ा है लिहाजा सरकार बेगुनाहों को छोड़ कर सूबे में हुए हर आतंकी घटना की सीबीआई जांच कराए.

रिहाई मंच ने कहा कि सपा और कांग्रेस आतंकवाद के नाम पर कैद निर्दोष मुसलमानों के सवाल पर लोगों को गुमराह करने के लिये अपने जेबी सांसदों, विधायकों और उलेमा संगठनों से अपने लिये सम्मेलन आयोजित करवा रही हैं. रिहाई मंच ने कहा कि सियासी दहशतगर्दों को मंच देकर आतंकवाद के नाम पर बेगुनाहों के उत्पीड़न का खात्मा नहीं किया जा सकता और आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों की रिहाई का सवाल सिर्फ मुस्लिम समुदाय का सवाल नहीं है, यह लोकतंत्र का सवाल है कि इस देश में लोकतंत्र रहेगा कि फांसीवाद…

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