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आखिर शाहरूख खान से जुड़ी जानकारी क्यों छिपा रहा है जामिया..?

Afroz Alam Sahil for BeyondHeadlines

जामिया मिल्लिया इस्लामिया शाहरूख को यहां पढ़ने वाले छात्रों के आगे एक आदर्श के तौर पर पेश करता आया है. जामिया बड़े गर्व से उन्हें बताता है कि शाहरूख इसी यूनीवर्सिटी की पैदावार हैं. आप जामिया के किसी भी अध्यापक या प्रशासनिक अधिकारी को बड़े गर्व से यह कहते हुए पाएंगे कि जामिया ने ही शाहरूख के सपनों को उड़ान दी. खासकर जामिया का ‘ए.जे.के. मास कम्यूनिकेशन एंड रिसर्च सेन्टर’ (एम.सी.आर.सी.) में तो विशेष रूप से इस बात का ज़िक्र किया जाता है. छात्रों को अनुशासन, शालीन और प्रतिभा तीनों ही पायदानों पर शाहरूख जैसा बनने की नसीहत दी जाती है. साथ ही कई बार यह धमकी भी दी जाती है कि जब हमने शाहरूख को नहीं छोड़ा तो आप किस खेत की मूली हैं.

गौरतलब है कि शाहरूख इसी एम.सी.आर.सी. के छात्र थे. मगर जामिया और शाहरूख के रिश्ते क्या थे? क्या वाक़ई वो अनुशासित छात्र थे? क्या वाक़ई जामिया ने उनके सपनों के पूरा करने में कोई सहयोग किया है? क्या जामिया से उनकी विदाई सम्मानित विदाई थी? या दोनों के बीच कुछ ऐसा था जो आज भी रिश्तों में कड़वाहट घोले हुए है?

shahrukh khan in jamia

हमारे पास जो जानाकारी है उसके मुताबिक शाहरूख और जामिया के रिश्तों में काफी दरारें हैं. यह रिश्ते सामान्य कभी नहीं रहे. शाहरूख ने अपने सपनो को पूरा करने के खातिर तालीम में मोहलत की गुज़ारिश की, जिसे जामिया ने ठुकरा दिया. यह दिन शाहरूख के संघर्ष के दिन थे. वो छोटे-मोटे किरदारों के लिए जी-जान लगा रहे थे. ऐसे में रोज़-रोज़ की क्लास और निश्चित अटेन्डेंस की बाध्यता उनके आड़े आ रही थी, मगर जामिया ने एक न सुनी. तब शाहरूख ने तय कर लिया वो अपने सपनों की क़ीमत पर क्लास की मजबूरी का बोझ नहीं ढ़ोएंगे. तो जामिया ने भी कड़ा फैसला कर लिया और शाहरूख को एक झटके में बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.

यह सच्चाई सामने आना बेहद ज़रूरी है. क्योंकि यहां सवाल एक प्रतीक के बनने या टूटने का है. अगर आज शाहरूख को जामिया छात्रों के आगे श्रेष्ठता और सफलता के एक प्रतीक के तौर पर सामने रखता है तो जामिया को यह भी बताना चाहिए कि उसने एक प्रतीक के निर्माण में क्या भूमिका निभाई? क्या जो शाहरूख के साथ हुआ वही जामिया के अनेकों छात्रों के साथ भी हुआ होगा? क्या यह दो-मुंहा रवैया आज भी जारी है? क्या आज भी अनुशासन के ढ़ोंग के आगे सपनों की कब्र खोदी जा रही है? शायद हां!

शाहरूख तो सफल हुए मगर जामिया के इस रवैये के आगे हार मानकर, समर्पण करके. लेकिन ऐसी प्रतिभाओं की तादाद कितनी है? उनकी असफलताओं का ज़िम्मेदार कौन है? ज़रा उस सपने के बारे में सोचिए जो घर से यह सोचकर आया था कि एम.सी.आर.सी. से मास कम्यूनिकेशन करके सामाजिक मुद्दों पर फिल्में बनाउंगा, सामाजिक बुराई के खिलाफ लड़ूंगा. लेकिन जामिया उसका सपना बीच में ही तोड़ देती है. क्या गुज़रा होगा उस छात्र पर?

इन्हीं बेहद अहम और महत्वपूर्ण सवालों का हमने जामिया के प्रशासन से जवाब मांगा था. हमारे आरटीआई के जवाब में जामिया ने एक फिर से दो-मुंहे रवैये का परिचय दिया और हाथ खड़े कर लिए.

आरटीआई के ज़रिए हमने पूछा था कि क्या शाहरूख खान को जामिया से कोई डिग्री मिली है? शाहरूख ने किस कोर्स में दाखिला लिया था? शाहरूख ने जामिया में दाखिला कब लिया था? क्या कभी उनकी अटेन्डेंस शॉर्ट रही है? क्या जामिया ने उनके खिलाफ कोई एक्शन लिया था? शाहरूख ने कितनी फिल्में व डॉक्यूमेंट्री जामिय़ा में प्रोजेक्ट के तौर पर बनाई थी? आदि-अनादि…

मेरे इन बेहद आसान से आरटीआई के सवालों के जवाब में जामिया का कहना है कि जामिया एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय है. यहां हर साल हज़ारों छात्र आते दाखिला लेते हैं और पास होकर जाते हैं. इसलिए ऐसी कोई जानकारी नहीं दी जा सकती… शायद जामिया यह भूल रही है कि शाहरूख अब मामूली छात्र नहीं हैं. शाहरूख वह इंसान है जिसका नाम दिन-रात जामिया के स्टाफ अपनी खास बातों में लेते रहते हैं.

जामिया भले ही इन सवालों के जवाब में अपनी पीठ दिखाता रहे मगर सवाल अपनी जगह क़ायम है.

आगे का जवाब आप खुद भी नीचे दिए गए अहम दस्तावेज़ में पढ़ सकते हैं….    

RTI REPLY FROM JAMIA RELATED TO SHAHRUKH KHAN       

जामिया से पूछे गए आरटीआई के सवाल…

RTI DOCUMENTS RELATED TO SHAHRUKH KHAN

RTI DOCUMENTS RELATED TO SHAHRUKH KHAN

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