BeyondHeadlinesBeyondHeadlines
  • Home
  • India
    • Economy
    • Politics
    • Society
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
    • Edit
    • Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Reading: बेतिया मेडिकल कॉलेज : भ्रम फैला रहा है ‘हिन्दुस्तान’
Share
Font ResizerAa
BeyondHeadlinesBeyondHeadlines
Font ResizerAa
  • Home
  • India
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Search
  • Home
  • India
    • Economy
    • Politics
    • Society
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
    • Edit
    • Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Follow US
BeyondHeadlines > Exclusive > बेतिया मेडिकल कॉलेज : भ्रम फैला रहा है ‘हिन्दुस्तान’
ExclusiveLatest NewsLead

बेतिया मेडिकल कॉलेज : भ्रम फैला रहा है ‘हिन्दुस्तान’

Beyond Headlines
Beyond Headlines Published July 13, 2013 2 Views
Share
10 Min Read
SHARE

Afroz Alam Sahil for BeyondHeadlines

पिछले पांच सालों में तकरीबन 65 करोड़ रूपये का भारी-भरकम मलाई खाने वाले ‘सुशासन बाबू’ के मुख-पत्र ‘हिन्दुस्तान’ पर ‘सुशासन रिश्वत’ का इतना असर हुआ है कि 24×7 के अंदाज़ में नीतिश बाबू का गुणगाण करने के बाद भी इसका दिल नहीं भर रहा है. इसीलिए अपने दिल को भरने के लिए अब अपने झूठी खबरों के माध्यम से लोगों को भ्रमित करना भी शुरू कर दिया है.

बिहार के दैनिक हिन्दुस्तान ने आज अपने पहले पेज़ पर यह खबर प्रकाशित की कि “आईजीआईएमएस और बेतिया को मिलीं सौ-सौ सीटें” इस खबर में हिन्दुस्तान ब्यूरो ने यह लिखा कि “आईजीआईएमएस और बेतिया मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस कोर्स में नामांकन की अनुमति मिल गई है. मुख्यमंत्री नीतिश कुमार के प्रयास और केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के हस्तक्षेप के बाद एमसीआई ने चालू सत्र 2013-14 में 100-100 सीटों पर नामांकन की अनुमति दी है….”

bettiah medical collegeयक़ीक़न यह ख़बर चम्पारण खास तौर पर बेतिया के लोगों के दिलों को ठंडक पहुंचाने वाली खबर थी. जिन लोगों के दिलों में संघर्ष का आग दहक रहा था, वो पल भर में बुझ सा गया. लोगों में खुशी की लहर दौड़ उठी और मुबारकबाद देने का सिलसिला शुरू हो गया. लेखक को भी कई लोगों मुबारकबाद पेश की.

लेकिन BeyondHeadlines ने जब इस खबर की तफ्तीश की तो यह खबर ही झूठी निकली. खुद दैनिक हिन्दुस्तान के रिपोर्टरों को यह नहीं मालूम था कि यह खबर आई कहां से? जब हमने एमसीआई के वेबसाईट व गुगल को खंगाला तो यह ख़बर कहीं नहीं थी.

फिर हमने इस सिलसिले में बेतिया मेडिकल कॉलेज के प्रिसिंपल विनय कुमार सिंहा से बात की तो उन्होंने स्पष्ट किया कि अभी नामांकन की स्वीकृति नहीं मिली है. बल्कि एमसीआई ने अभी Letter of intent (LOI) ईमेल के ज़रिए भेजा है. जिस पर उन्होंने दो दिनों में जवाब देने को कहा है, लेकिन हमने घंटे भर में इसका जवाब भेज दिया है. अब आगे देखिए एमसीआई क्या करती है? जब हमने उनसे पूछा कि इस LOI में क्या लिखा था, और आपने क्या जवाब दिया है तो उन्होंने इसे बताने से इंकार कर दिया.

इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज़ (आईजीआईएमएस) के अधिकारियों से सम्पर्क किया तो नाम न प्रकाशित करने के शर्त पर बताया कि दरअसल आईजीआईएमएस और बेतिया मेडिकल कॉलेज दोनों के मामले अलग-अलग हैं. आईजीआईएमएस को पहले से स्वीकृति मिली हुई है. सिर्फ शिक्षकों की कमी के कारण इसे तीसरे बैच को शुरू करने की इजाज़त नहीं मिल रही थी. लेकिन बेतिया मेडिकल कॉलेज का मामला इससे बिल्कुल अलग है. अभी इस कॉलेज को ही मान्यता प्राप्त नहीं हुई है. बाकी LOI में क्या लिखा है, यह पढ़ने के बाद ही कहा जा सकता है. लेकिन इतना ज़रूर है कि LOI को स्वीकृति पत्र नहीं माना जा सकता. फिर इन्होंने हमारा ध्यान बेतिया मेडिकल कॉलेज में कमियों की तरफ भी दिलाया और बताया कि कोई इन कमियों को देखकर स्वीकृति बहुत मुश्किल से ही दे सकता है.

हमने इस संबंध में एमसीआई के अडिश्नल सेकेट्री डॉक्टर पी. प्रसन्नाराज से भी संपर्क की लेकिन उन्होंने बताया कि उन्हें अभी-अभी सीवियर माइग्रेन अटैक आया है. जिसके कारण हमने आगे बात करना मुनासिब नहीं समझा.

स्पष्ट रहे कि बेतिया मेडिकल कॉलेज को स्वीकृति न मिलने के कारण स्थानीय लोगों में काफी सरकार के प्रति काफी गुस्सा था. और स्थानीय लोग जन-आंदोलन की तैयारी कर रहे थे. लेकिन इस खबर ने इनके गुस्से को शांत करने का काम किया है. और दरअसल इस खबर को प्रकाशित करवाने का मक़सद भी यही था.

कड़वी सच्चाई तो यह है कि नीतिश कुमार व उनके सरकारी बाबुओं ने कभी चाहा ही नहीं कि बेतिया में मेडिकल कॉलेज खुले. यहां सांसद डॉक्टर संजय जयसवाल भी अंदरूनी तौर इसके खिलाफ रहे हैं.

दिलचस्प बात यह है कि सरकार ने खुद एमसीआई की टीम को यह प्रस्ताव दिया था कि कॉलेज भले ही बेतिया में खुले लेकिन  पढ़ाई श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज अस्पताल, मुजफ्फरपुर में होगी. यह कितनी हैरान कर देने वाली बात है, इसका अंदाज़ा आप खुद ही लगा लीजिए. इसके पीछे यह तर्क दिया गया है कि पूर्व में पाटलिपुत्र मेडिकल कॉलेज, धनबाद में इस तरह की व्यवस्था की गयी थी. लेकिन इस पर मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की कार्य-समिति के पूर्व सदस्य डॉ. अजय कुमार ने बताया कि मेडिकल कॉलेज अस्पताल की स्थापना के लिए 300 बेडों का अस्पताल होना चाहिए. अस्पताल व कॉलेज के दो स्थानों पर संचालित करने के लिए 15 किलोमीटर की परिधि में ही संभव है. पूर्व में क्या हुआ उसे वर्तमान में स्थापित होने वाले मेडिकल कॉलेजों से तुलना नहीं की जा सकती है.

दूसरी तरफ एमसीआई ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि 18.51 फीसद टीचरों की कमी है, वहीं वहीं 66.7 प्रतिशत टीचरों के रहने की व्यवस्था नहीं है. लेक्चर थियेटर 2 x 120 का होना चाहिए, लेकिन फिलहाल सिर्फ 2 x 50  का ही है. सेन्ट्रल लाईब्रेरी 1600 sq. m. का होना चाहिए, लेकिन अभी सिर्फ 80 sq. mt. का ही है. लाइब्रेरी में कम से कम 1400 किताबों का होना ज़रूरी है, लेकिन फिलहाल सिर्फ और सिर्फ 110 किताबें ही लाइब्रेरी में मौजूद हैं. यहीं नहीं, छात्रों व नर्सों को रहने के लिए कोई हॉस्टल या घर मौजूद नहीं है. टीचिंग व नन टीचिंग स्टाफ के रहने के लिए भी कोई सुविधा नहीं है. इसके अलावा ऑपरेशन थियेटर की भी कमी पाई गई. ICU/ICCU और PICU/NICU के लिए कोई बेड उपलब्ध नहीं है. मेडिकल कॉलेज में कम से कम दो USG machines की ज़रूरत होती है, लेकिन फिलहाल यहां एक भी उपलब्ध नहीं है. AERB & PNDT approval की भी कोई सूचना नहीं है. Paramedical & Non Teaching staff कम से कम 101 होने चाहिए लेकिन फिलहाल सिर्फ 20 ही मौजूद है. 25 नर्सों की भी कमी है. डिपार्टमेटल लैब अभी तक नहीं बन पाए हैं. स्टाफ व स्टूडेन्ट्स के लिए ट्रांसपोर्ट की सुविधा की कमी है. बिजली के लिए कोई खास व्यवस्था नहीं है. यहीं नहीं, OPD में ECG room भी नदारद है. ऐसे कई और कमियां हैं, जिनके बगैर किसी भी मेडिकल कॉलेज को खोलने की इजाज़त किसी भी हाल में एमसीआई नहीं दे सकता.

यही नहीं, बिहार सरकार ने एमसीआई की टीम को लेकर भी हमेशा भ्रम फैलाने का काम किया. मीडिया के खबरों के मुताबिक इस कॉलेज को देखने एमसीआई की टीम 6 बार आ चुकी है. और हर बार एमसीआई के टीम के नाम वीरान पड़े भवनों की रंगाई-पुताई की जाती रही. स्थानीय अखबारों में नेताओं व अधिकारियों के बयान छपते रहे और स्थानीय लोगों में एमसीआई के प्रति नफरत भरने का काम किया जाता रहा.  लेकिन कड़वी सच्चाई यह है कि एमसीआई की टीम पहली बार 02-3 मई को बेतिया आई थी. एमसीआई की डिप्टी सेकेट्री व जन सूचना अधिकारी डॉक्टर रीना नैय्यर ने मेरे आरटीआई के जवाब में  खुद बताया है कि एमसीआई की टीम सिर्फ 2-3 मई, 2013 को ही बेतिया गई थी. इस टीम में डॉक्टर के.एस. अशोक कुमार, डॉक्टर शेखर और डॉक्टर श्रीकांत श्रीवास्तव के नाम शामिल हैं.

इस सिलसिले आंदोलन कर रहे ठाकुर प्रसाद त्यागी का कहना है कि जनता सिर्फ नीतिश के बिकाउ मीडिया को ही सच मानने लगी है, जबकि सच्चाई यह है कि बेतिया मेडिकल कॉलेज के सबसे बड़े दुश्मन यहां के विधायक, सांसद व बिहार सरकार ही है. आगे उन्होंने बताया कि नीतिश कुमार ने हमें बहुत ठग लिया. आगे अब हम ऐसा होने नहीं देंगे. 21 जुलाई से नीतिश के इस जालसाज़ी के खिलाफ एक व्यापक जन-आंदोलन होगा. इस सिलसिले में सोशल मीडिया पर भी आंदोलन शुरू हो चुका है. इस आंदोलन के लिए एक पेज़ (https://www.facebook.com/struggle4medicalcollege) भी बनाया गया है, जहां इसकी सच्चाई को लोगों के सामने रखा जाएगा.

चलते-चलते आपको बता दें कि एमसीआई  ने सहरसा (बिहार) के लॉर्ड बुद्धा कोशी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पीटल में एमबीबीएस के सेकेंड बैच में दाखिले की स्वीकृति खारिज कर दी है. और इसकी खबर मीडिया प्रकाशित करना मुनासिब नहीं समझा.

Related Story: बेतिया मेडिकल कॉलेज : नीतिश कुमार का एक धोखा…

TAGGED:Bettiah Medical Collegebettiah medical college story
Share This Article
Facebook Copy Link Print
What do you think?
Love0
Sad0
Happy0
Sleepy0
Angry0
Dead0
Wink0
“Gen Z Muslims, Rise Up! Save Waqf from Exploitation & Mismanagement”
India Waqf Facts Young Indian
Waqf at Risk: Why the Better-Off Must Step Up to Stop the Loot of an Invaluable and Sacred Legacy
India Waqf Facts
“PM Modi Pursuing Economic Genocide of Indian Muslims with Waqf (Amendment) Act”
India Waqf Facts
Waqf Under Siege: “Our Leaders Failed Us—Now It’s Time for the Youth to Rise”
India Waqf Facts

You Might Also Like

ExclusiveHaj FactsIndiaYoung Indian

The Truth About Haj and Government Funding: A Manufactured Controversy

June 7, 2025
Latest News

Urdu newspapers led Bihar’s separation campaign, while Hindi newspapers opposed it

May 9, 2025
IndiaLatest NewsLeadYoung Indian

OLX Seller Makes Communal Remarks on Buyer’s Religion, Shows Hatred Towards Muslims; Police Complaint Filed

May 13, 2025
IndiaLatest NewsLeadYoung Indian

Shiv Bhakts Make Mahashivratri Night of Horror for Muslims Across India!

March 4, 2025
Copyright © 2025
  • Campaign
  • Entertainment
  • Events
  • Literature
  • Mango Man
  • Privacy Policy
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?