आज जंतर-मंतर पर 50 से अधिक दलित बने मुसलमान

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BeyondHeadlines News Desk

आज जंतर-मंतर पर 50 से अधिक दलितों ने क़लमा व नमाज़ पढ़कर इस्लाम धर्म क़बूल कर लिया. यह सारे लोग हिसार के भगाना गांव के रहने वाले थे. हिसार के लघु सचिवालय व गांव भगाना में रह रहे परिवारों के बाकी लोगों का भी कहना है कि वे भी शीघ्र ही अपना धर्म बदल लेंगे.

भगाना गांव के ये निवासी 16 अप्रैल, 2014 से जंतर-मंतर पर इंसाफ़ के लिए धरने पर बैठे हुए थे. इससे पहले पिछले तीन सालों से हिसार में भी धरना जारी है.

धरने पर बैठे लोगों का कहना है कि हमारे गांव में बड़े जाति के लोगों ने हमारा जीना मुहाल कर दिया था. हमारी औरतों के इज़्ज़त से खिलवाड़, हमारा सामाजिक बायकाट, हमारी ज़मीनों पर क़ब्ज़ा और उनके ख़िलाफ़ बोलने पर हमारे ही लोगों को जेल भेज देना… इन सब चीजों से हम तंग आकर 232 परिवारों के तकरीबन 700 लोग घर छोड़ने पर मजबूर हुए.

धरने पर बैठे लोगों का कहना है कि हिन्दू धर्म में भेदभाव के कारण उन्होंने इस्लाम धर्म अपनाया है. बल्कि इनमें से अधिकतर पहले से ही इस्लाम धर्म क़बूल कर चुके थे. उनका कहना है कि अब जब तक मुजरिमों के खिलाफ़ कार्रवाई नहीं हो जाती, हम धरने पर बैठे रहेंगे. और अब मदद की सारी उम्मीदें मुसलमानों से ही बची हुई हैं. उन्हें पूरा यक़ीन है कि अब मुसलमान उनकी मदद ज़रूर करेंगे.

पीडित परिवारों के सदस्य अपने पुराने दिनों को याद करते हुए बताते हैं कि गांव में उनका सब कुछ छीन लिया गया. गांव में बने चमार चौक पर उच्च जाति के लोगों ने क़ब्जा कर लिया तथा उनकी बहन बेटियों की इज्ज़त के साथ खिलवाड़ किया जाने लगा. इतना ही नहीं गरीबों को मिलने वाले 100 -100 वर्ग गज़ के प्लॉटों के पैसे उनसे लिए गए व उनहें प्लॉट भी नहीं दिए गए. ऐसे में उन्होंने गांव और अब अपना धर्म छोडऩे में ही अपनी भलाई समझी.

स्पष्ट रहे कि सन 2012 में हिसार के गांव भगाना में पंचायती ज़मीन को लेकर उन्माद फैला था, जिसके बाद भगाना गांव के लोगों ने 21 मई 2012 को गांव से पलायन कर लिया था. गांव से सभी दलित परिवार पलायन कर इंसाफ़ के लिए उसी दिन हिसार के लघु सचिवालय पर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए. लेकिन सरकार व जिला प्रशासन ने उनकी किसी भी मांग की ओर ध्यान नहीं दिया, उल्टा कुछ दिनों पहले उन पर चोरी, राजद्रोह जैसे अन्य झूठे मुक़दमे और बना दिए गए.

इतना ही नहीं, इस दौरान भी 23 मार्च 2014 को भगाना में 4 नाबालिग लड़कियों का अपहरण और गैंगरेप हुआ. 25 अगस्त 2014 को गोलीकांड हुआ और प्रशासन हर बार दबंगों पर नकेल कसने में नाकाम रही. तब जाकर इन्होंने धर्म परिवर्तन करने का फैसला लिया. इसके लिए कुछ दिन पहले से ही पोस्टर बांटकर प्रशासन व सरकार को चेतावनी दे दी थी कि वे 8 अगस्त को धर्म परिवर्तन करेंगे.

इन पीड़ितों का यह भी आरोप है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से न्याय के लिए चार बार मिल चुके हैं. प्रशासन से भी बार-बार मिल चुके हैं. सीएम विंडो पर शिकायत दर्ज करवा चुके हैं, लेकिन हिसार प्रशासन मौन बना हुआ है.

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