दरियादिली की जीती जागती मिसाल थीं सुषमा स्वराज

Beyond Headlines
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Afshan Khan, BeyondHeadlines

नई दिल्ली: आज राजनीति और राजनीतिज्ञ दोनों इतने बदनाम हैं कि किसी नेता की तारीफ़ करना और सुनना दोनों ही मुश्किल काम है. लेकिन अगर सच में कोई नेता तारीफ़ के क़ाबिल हो, तब तो क्या कहना! सुषमा स्वराज भी इसी श्रेणी में आती थीं.

यूं तो सुषमा स्वराज ने अपने राजनीति के करियर की शुरुआत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से की थी और फिर वो पेशे से वकील भी थीं, लेकिन वह साफ़-सुथरी और सटीक राजनीति के लिए जानी जाती रहीं.

सुषमा स्वराज अच्छी-ख़ासी समझ-बूझ वाली पढ़ी-लिखी नेता होने के साथ-साथ दिल्ली की मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री भी रह चुकी हैं.

सुषमा स्वराज हरियाणा की एक धाकड़ बेटी थीं, जो अब 67 साल की उम्र में दुनिया को सदा के लिए अलविदा कह कर चली गई हैं.

सुषमा स्वराज पहली मोदी सरकार में विदेश मंत्री थीं, जो वक़्त बवक़्त दूसरे देशों पर भड़कती भी रहीं और मदद का हाथ भी बढ़ाती रहीं.

सुषमा ने संसद से लेकर संयुक्त राष्ट्र तक एक के बाद एक निडर अंदाज़ में बेहतरीन भाषण दिए हैं, जिन्हें सुनकर उनके अनुभव का अंदाज़ा लगाया जा सकता है. यह बात अलग है कि दूसरे मुल्कों के मंत्री हों या अपने विपक्ष के नेता, सबने उन पर अलग-अलग इल्ज़ाम लगाए हैं.

जब सुषमा स्वराज ने संयुक्त राष्ट्र में भाषण दिया था और कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग बताया था तब उन्होंने पाकिस्तान को फटकार लगाते हुए सलाह दी थी कि पहले बलूचिस्तान को देखें. उस पर पाकिस्तान की प्रतिनिधि की तीखी प्रतिक्रिया आई थी कि सुषमा स्वराज ने झूठ बोला है और भारत-पाकिस्तान के आंतरिक मामले को यह लेकर संयुक्त राष्ट्र के नियमों का उल्लंघन कर रहा है.

ये थी उनके अच्छे नेतृत्व की बात. लेकिन अगर हम उनकी दरियादिली की बात करें तो उसको संक्षेप में लिखना बहुत मुश्किल हो जाता है. क्योंकि हर बार उन्होंने अपने शिष्टाचार और दरियादिली का सबूत दिया है.

भारत और पाकिस्तान के संबंधों में भले ही कड़वाहट रहे हैं, लेकिन सुषमा स्वराज ने हमेशा पाकिस्तान के नागरिकों की मदद के लिए इनकार नहीं किया. वो ट्वीटर पर जल्द ही जवाब देकर मदद करने के लिए भी जानी जाती रही हैं.

उन्होंने भारतीयों की ही नहीं, बल्कि सीमा पार के कई देशों के नागरिकों की मदद की है और जिनकी मदद अब तक नहीं हुई उनको मदद करने का आश्वासन भी दिया था.

हाल ही में अमरिंदर सिंह के माता-पिता को फ्रांस के वीजा दिलाने, उज़्मा अहमद को भारत वापसी में मदद करने, हिजाब आसिफ़ को बीमारी का इलाज करने के लिए मेडिकल वीज़ा दिलाने, फौजिया को भारत में इलाज कराने के लिए वीज़ा दिलाने से लेकर नन्हे रोहन को भारत में इलाज के लिए रज़ामंदी दिलाने तक में सुषमा स्वराज ने न ही देरी की और ना ही कोई टाल मटोल…

सुषमा स्वराज ने हिजाब आसिफ़ की इतनी जल्दी मदद की कि खुद आसिफ़ ने सुषमा को ट्वीट करके ये तक कह दिया कि काश वो पाकिस्तान की प्रधान मंत्री होतीं. तारीफ़ करते हुए आसिफ़ ने कहा कि सुषमा स्वराज एक सुपरवूमन हैं…

लेकिन अफ़सोस! ये सुपरवूमन अब इस दुनिया में नहीं हैं… बीजेपी ने अपना एक लाजवाब वक्ता खो दिया है. भाजपा की बची खुची छवि जो इनके ही बलबूते पर ज़िंदा थी, वो भी अब हमेशा के लिए ख़त्म हो गई.

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