BeyondHeadlinesBeyondHeadlines
  • Home
  • India
    • Economy
    • Politics
    • Society
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
    • Edit
    • Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Reading: दरभंगा में एटीएस की मानवाधिकार व कानून विरोधी कार्रवाईयों का सच!
Share
Font ResizerAa
BeyondHeadlinesBeyondHeadlines
Font ResizerAa
  • Home
  • India
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Search
  • Home
  • India
    • Economy
    • Politics
    • Society
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
    • Edit
    • Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Follow US
BeyondHeadlines > Latest News > दरभंगा में एटीएस की मानवाधिकार व कानून विरोधी कार्रवाईयों का सच!
Latest NewsLeadबियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी

दरभंगा में एटीएस की मानवाधिकार व कानून विरोधी कार्रवाईयों का सच!

Beyond Headlines
Beyond Headlines Published June 22, 2012 1 View
Share
11 Min Read
SHARE
अविनाश कुमार चंचल

8 जून 2012 को दरभंगा के कतील सिद्दीकी की हत्या जेल में कर दी गयी. एटीएस ने उसे आतंकवादी होने के आरोप में गिरफ्तार किया था. कतील की मौत के बाद पुलिस ने जो मीडिया रिपोर्ट जारी की है, उसमें कहा गया है कि आतंकवादी कतील की हत्या जेल में कर दी गयी है. अब सवाल उठता है कि जब तक कतील कोर्ट में आतंकवादी नहीं साबित हो जाता उसे आतंकवादी कैसे कहा जा सकता है? वैसे भी कतील की मौत अपने पीछे ढ़ेर सारे सवाल भी छोड़ते हैं. आज़मगढ़ में जांच एजंसियों द्वारा लगातार मुस्लिम लड़को को उठाने के बाद अब इन जांच एजंसियों का अगला निशाना दरभंगा बन रहा है.

कतील के भाई शकील सिद्दीकी कहते हैं कि “कोलकाता से एटीएस की टीम आयी थी, जिसने भाई को नकली नोट के कारोबार के आरोप में गिरफ्तार किया था. इसके बाद उन्हें रांची में ले जाकर कोर्ट में पेश किया गया. हमें भाई से रांची के बाद फोन पर बात तक नहीं करने दी गयी. हमने एक-दो बार उनसे मिलने की कोशिश की तो मुलाकात तो हुई लेकिन एटीएस ने साथ में ये धमकी भी दी कि अगर बाहर किसी को इसके बारे में कुछ बताया तो तुम्हें भी जेल में डाल देंगे.”

शकील आगे कहते हैं कि कई बार एटीएस के लोगों ने हमें फोन पर बताया कि तुम्हारे भाई को घर भेज रहे हैं. उन्होंने बिना पूछे भाई की तरफ से जिरह के लिए वकील भी खुद ही तय कर दिया. हमलोग अपने भाई के लौट आने का इंतजार कर रहे थे. लेकिन भाई तो नहीं लौटा, उसकी लाश जरूर हमें लौटा दी गयी.

हमें अपने भाई की मौत तक की खबर न्यूज चैनलों से ही पता चला. एटीएस वालों ने फोन तक नहीं किया. इतना बताते-बताते शकील फफक कर रो पड़ते हैं और कहते हैं कि – “न तो महाराष्ट्र सरकार, केन्द्र सरकार और न ही बिहार सरकार उसकी लाश को घर पहुंचाने को तैयार हुई.”

सउदी अरब में कार्यरत दरभंगा के ही इंजिनियर फसीह अहमद को भारत में हुए आतंकवादी वारदात में शामिल होने के आरोप में उनके घर से गिरफ्तार कर लिया जाता है. फसीह की पत्नी के अनुसार गिरफ्तार करने आए लोगों में दो भारत का और दो सउदी अरब का था. फसीह अहमद की हाईस्कूल में टीचर मां आमदा जमाल चीख-चीख कर कहती हैं कि क्या हम इंडियन नहीं हैं?, क्या हमें इस देश में रहने का अधिकार नहीं है? फसीह के परिजन जब भारत की जांच एजेंसियों से इसके बारे में पूछते हैं तो एऩआईए के डीआईजी लिखित रूप में देते हैं कि फसीह पर उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की है. (लिखित कागज लेखक के पास मौजूद है, जिसपर आईपी मीना, डीआईजी एऩआईए का नाम दर्ज है)

अब बड़ा सवाल है कि यदि फसीह अहमद पर भारत की जांच एजंसियों ने कोई कार्रवाई नहीं की है तो फिर भारत सरकार अपने देश के पासपोर्ट धारक नागरिक पर दूसरे देश में होने वाली कार्रवाई को संज्ञान में क्यूं नहीं लेती है और क्या भारत सरकार की जिम्मेदारी नहीं बनती है?

फसीह अहमद की मां बताती हैं कि उनके बेटे पर न तो महाराष्ट्र पुलिस, बिहार पुलिस और न ही कर्नाटक पुलिस में ही कोई मामला दर्ज है. वो इंसाफ-इंसाफ की रट लगाती जा रही हैं और कहती जा रही हैं कि मैं मुस्लिम बाद में हूं पहले इंडियन हूं. उन्होंने नीतीश सरकार की चुप्पी पर भी दुख और हैरानी जताई.

जेल में मारे गए कतील सिद्दीकी के पिता अब्दुल सलाम कहते हैं कि “मेरे बेटे को घर से ले जाते वक्त पानी तक नहीं पीने दिया गया, कपड़े तक नहीं बदलने दिया गया. मेरा बेटा 2005 ईं में सिर्फ एक बार दिल्ली गया था, उसके बाद उसने दरभंगा के बाहर कदम तक नहीं रखा है.”

इन मुद्दों को दरभंगा में जोर-शोर से उठाने वाले मुस्लिम बेदारी कारवां के शकील शल्फी कहते हैं कि पिछले साल नवंबर से एटीएस की टीम ने अभी तक लगभग 15 मुस्लिम लड़कों को दरभंगा से उठाया है. उन्होंने कई ऐसे वाक्या का जिक्र किया जो सुनकर हैरत और गुस्से में डालने वाला है. उन्होंने बताया कि दरभंगा के महेश पट्टी इलाके में एक लॉज से पुलिस ने कुछ मुस्लिम लड़कों को बिना बताए उठा लिया और दो दिन के बाद जबरन यह लिखवाते हुए कि “हम अपनी मर्जी से आए थे।” उन्हें छोड़ा गया.

शकील शल्फी बताते हैं कि जब उन्होंने एटीएस वालों से बात की. तो उनका कहना था कि यासीन भटकल नाम के किसी आतंकवादी ने लगभग डेढ़ साल तक यहां के लड़कों को बहला-फुसला कर ट्रेनिंग दिया है और इसलिए हम बार-बार इनसे पूछताछ कर रहे हैं. हालांकि ये बच्चे काफी मासूम हैं.

दरभंगा के सड़क से ही एटीएस वालों ने एक साईकिल पंक्चर बनाने वाले मोहम्मद कफील को गिरफ्तार कर लिया है. कफील जो उस समय अपने बेटे को डॉक्टर से दिखवाने जा रहा था, जो मुश्किल से एक सौ रूपये रोजाना कमा कर अपने परिवार को चला रहा था. अब उसके परिवार के सामने खाने के लाले पड़े हैं.

एक तथ्य और है कि इस पूरे मामले में ज्यादातर मामलों में स्थानीय पुलिस को एटीएस टीम ने खबर करना ज़रूरी नहीं समझा. जबिक स्थानीय थाना अपने यहां किसी भी आतंकी गतिविधि से साफ इन्कार कर रही है. शकील शल्फी बताते हैं कि दरभंगा में एक खास समुदाय और एक खास क्षेत्र के लोग दहशत में जी रहे हैं. लोग अनजाने व्यक्ति को देखकर दरवाजा बंद कर लेते हैं, खिड़की बंद कर लेते हैं और अपना नाम तक बताने में डरते हैं. दरभंगा के इलाके में मुम्बई एटीएस और बंगलोर एटीएस के नाम से कुछ लड़कों को फोन आता है और उन्हें धमकी देकर मुम्बई आने को कहा जाता है और यह भी कहा जाता कि बिना किसी को बताये चुपचाप मुम्बई पहुंच जाये.

एक घटना के बारे में शल्फी कहते हैं कि बेंगलोर में इंजिनियरिंग पढ़ने वाले दरभंगा के ही एक युवक अब्दुल निस्तार को जबरदस्ती कुछ-कुछ दिन पर एटीएस बुलाती है और उससे बिना किसी चार्जशीट के दाखिल किए पुछताछ करती है. लड़का डर से अपने परिजन को कुछ भी नहीं बता रहा था लेकिन जब चोट के निशान उसके शरीर पर दिखने लगे तो परिचनों के जोर देने पर वो फूट-फूट कर रोने लगा और अपने साथ हुए जूल्म की दर्दनाक दास्तां बयां की. फिलहाल लड़का अपने गांव में दहशत में जिंदगी गुजारने को विवश है और उसके परिवार वालों को बारबार एटीएस की तरफ से धमकी मिल रही है. वैसे भी कतील की मौत के बाद ये दहशत और गहरा गया है.

कतील के भाई शकील सिद्दीकी कहते हैं “अब तो ऐसा लगता है कि हमारी किस्मत में ही ये जूल्म लिखा है. हमारे हाथ में कुछ भी नहीं, परिवार की चिंता सताती रहती है. हम बिल्कूल असहाय हो गये हैं. आप मीडिया वाले भी कैमरे से फोटो भर लिजिएगा. कुछ नहीं होने वाला.”

ये लोग आरोप लगाते हैं कि ‘एटीएस लॉ इन्फोर्समेन्ट एजेन्सी की तरह काम नहीं करती है, उसके काम करने का तरीका अपहरणकर्त्ता गिरोह की तरह है. एटीएस की टीम छद्मनामों से लोगों के घरों पर जाती है और बात-चीत और कुछ पुछने के नाम पर लोगों को जबरन उठाकर ले जा रही है. परिवार के लोगों को भी नहीं बताया जाता है. परिवार के लोग जब स्थानीय थाना से संपर्क करते हैं, तो वह भी अपनी अनभिज्ञता प्रकट करता है. दो-तीन दिनों बाद अनौपचारिक तौर पर परिवार को बताया जाता कि आरोप क्या है. फिर उसे जेल भेज दिया जाता है.’

इस पूरे मामले पर बिहारी अस्मिता की बात करने वाले लोगों की चुप्पी भी अखर रही है. क्यूं नहीं सुशासन की सरकार इस मामले में बयान देने की अपेक्षा कोई कानूनी कार्रवायी करती है? और तो और ये सब कुछ हो रहा है उसी केन्द्र सरकार की जांच एजेंसियों द्वारा जो अल्पसंख्यक हितैषी होने का दावा करते नहीं थकती. अब बचा मीडिया. जो इस पूरे मामले के सच को सामने लाकर शोषित, पीड़ित लोगों को न्याय दिलवा सकती है. लेकिन क्या मीडिया इसके लिए तैयार है, क्योंकि लोगों की अंतिम उम्मीद वही बचा है. मीडिया को ही तय करना होगा कि किस ओर है वो. जूल्म, शोषण के खिलाफ या सत्ता की इस व्यवस्था के जो लगातार सवालों के घेरे में है.

अंत में, मीडिया के लिए ये दो पंक्तियां-
“तय करो किस ओर हो तुम, इस ओर हो कि उस ओर हो तुम
आदमी हो कि आदमखोर हो तुम!”

क्योंकि प्रेस से बात खत्म करने के दौरान मैंने कतील के पिता को बुदबुदाते सुना है- “मीडिया से बात करने का अब कोई फायदा नहीं”

TAGGED:कतील सिद्दीकीदरभंगा में एटीएस की मानवाधिकार व कानून विरोधी कार्रवाईयों का सच!फसीह अहमदराजीव यादव
Share This Article
Facebook Copy Link Print
What do you think?
Love0
Sad0
Happy0
Sleepy0
Angry0
Dead0
Wink0
“Gen Z Muslims, Rise Up! Save Waqf from Exploitation & Mismanagement”
India Waqf Facts Young Indian
Waqf at Risk: Why the Better-Off Must Step Up to Stop the Loot of an Invaluable and Sacred Legacy
India Waqf Facts
“PM Modi Pursuing Economic Genocide of Indian Muslims with Waqf (Amendment) Act”
India Waqf Facts
Waqf Under Siege: “Our Leaders Failed Us—Now It’s Time for the Youth to Rise”
India Waqf Facts

You Might Also Like

Latest News

Urdu newspapers led Bihar’s separation campaign, while Hindi newspapers opposed it

May 9, 2025
IndiaLatest NewsLeadYoung Indian

OLX Seller Makes Communal Remarks on Buyer’s Religion, Shows Hatred Towards Muslims; Police Complaint Filed

May 13, 2025
IndiaLatest NewsLeadYoung Indian

Shiv Bhakts Make Mahashivratri Night of Horror for Muslims Across India!

March 4, 2025
Edit/Op-EdHistoryIndiaLeadYoung Indian

Maha Kumbh: From Nehru and Kripalani’s Views to Modi’s Ritual

February 7, 2025
Copyright © 2025
  • Campaign
  • Entertainment
  • Events
  • Literature
  • Mango Man
  • Privacy Policy
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?