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देश की मीडिया से मेरी प्रार्थना…

Beyond Headlines
Beyond Headlines Published July 17, 2012 1 View
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8 Min Read
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बीएच न्यूज़ डेस्क

मैं आरजू आलम, हिन्दी पत्रकारिता एवं जनसंचार प्रथम वर्ष, भीमराव अम्बेडकर कॉलेज का छात्र हूं. मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय से आता हूं, और बिहार के पटना शहर का रहने वाला हूं. गत् 15 मार्च, 2012 को कॉलेज सभागार में कॉलेज के नॉन टीचिंग स्टाफ द्दारा मुझे मारा पीटा गया और साथ में नस्लभेदी टिप्पणियां और अश्लील गालियां भी दी गई. मुझे जान से मारने की धमकी भी दी गई. उसी समय मैंने 100 नंबर पर पुलिस सहायता के लिए कॉल की. इसके बाद मैंने इसकी लिखित जानकारी प्रिंसपल सर को भी दी. उन्होनें इसे लेने से इंकार कर दिया. इसके बाद मैं थाने गया और वहां मौजूद अधिकारी से इसकी शिकायत की. हमने उनसे एफआईआर दर्ज करने को कहा तो वो मुझ पर ही बिफर गए और कहां कि आप लिखित शिकायत दे दिजिए बाकी मैं देख लूंगा. मैनें उन्हें लिखित शिकायत दे दी.

बाद में 21 मार्च को डाक से प्रिसिंपल द्वारा भेजा गया मेरा निलंबन पत्र मुझे मिला. जिससे मुझे बेहद निराशा हुई. एक तरफ तो मैं मारपीट , गाली गलौज और नस्लीय एवं प्रातींय भेदभाव का शिकार हुआ. वहीं दुसरी ओर बिना दोनों पक्षों को सुने प्रिसिंपल द्वारा एकतरफा एवं अतिकठोर निर्णय लेते हुए तत्काल मुझे कॉलेज से निलंबित कर दिया. इसके बाद जब मैं उसी दिन प्रिसिंपल से कॉलेज के कॉरिडोर में मिला और इसका कारण जानना चाहा तो उन्होनें भी मेरे साथ दुर्रव्यवहार करते हुए कहा की ज्यादा होशियार बनते हो, तुम्हे मालूम है ना कि तुम मुस्लिम हो, मैं तुम्हे कभी भी रस्टीकेट कर सकता हूँ और डांट कर भगा दिया. इसके बाद मैंने कई बार प्रिसिंपल साहब से मिलने की कोशिश की पर उन्होनें मिलने से इकांर कर दिया. मुझे बार-बार मीटिंग के बहाने बुलाकर धमकाया जाता है, कहा जाता है कि अगर तुम सभी शिकायत वापस ले लेते हो तो हम तुम्हारा निलंबन अभी खत्म कर देंगे. हमें पता चला है कि तुम रात में विभिन्न होटलों में वेटर का काम करते हो, इसकी पूर्व सूचना कॉलेज प्रशासन को नहीं दी है. इस बात पर तुम पर कार्रवाई हो सकती है और तुम्हारा नामांकण भी रद्द हो सकता है.सिर्फ इतना ही नहीं, कॉलेज के सभी स्टाफ के सामने मेरा मजाक उड़ाया जाता है.

अब तो कॉलेज प्रशासन ने मुझे मेरे नागरिक अधिकारों से भी वचिंत कर रखा है. मुझे किसी भी तरह का आवेदन या आरटीआई के आवेदन की पावती लेने के लिए कॉलेज के डाक विभाग में जाने की सख्त मनाही कर रखी है. मुझे कॉलेज के गेट पर घंटों खड़ा किया जाता है और डाक विभाग के संबंधित अधिकारी मुझे वहीं पत्रों की पावती देते हैं. पूछे जाने पर कहा जाता है कि तुमसे कॉलेज प्रशासन को खतरा है. मुझे बार-बार नक्सली भी कह कर प्रताड़ित और अपमानित किया जाता है. मुझे मेरी बुनियादी शिक्षा के अधिकार के साथ भी खिलवाड़ किया जाता है. कॉलेज में प्रिंसिपल सर के इशारे पर मुझे कक्षा लेने से रोक दिया जाता है. मेरी मौखिक परीक्षा की आखरी तारीख 30 अप्रैल को मुझे परीक्षा में शामिल होने से रोक दिया. जब मैं इस बाबत प्रिसिंपल साहब से मिलने की कोशिश करता हुँ तो कॉलेज के कुछ कर्मचारियों द्वारा कहा जाता है कि तुमने कॉलेज को बदनाम कर रखा है, लेकिन तुम हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकते हो , अलबत्ता हरिश्चन्द्र बन कर अपना ही नुकसान किया है. अब सिर्फ तुम्हारा रस्टीकेशन बाकी रह गया है वो भी जल्द हो जाएगा. अब तुम आराम से वेटरगिरी करो, क्योंकि तुम उसी के लायक हो. तुम्हे तो शर्म से मर जाना चाहीए. अब तुम अपने माँ-बाप को क्या मुहँ दिखाओगे. इस तरह की छिटांकशी करके मुझे आत्मदाह के लिए मजबूर कर दिया गया. अभी मेरे आदरणीय प्रिसिंपल साहब के जुल्म की इतंहा बाकी थी. प्रिसिंपल सर ने पुलिस को गाइड करते हुए मुझे पागलखाने (इहबास) भिजवा दिया. वहां मुझे जबरदस्ती इजेंक्शन और दवाई खिलाने का प्रयास किया गया ताकि मुझे मानसिक रुप से बीमार साबित करके कॉलेज से मेरा दाखिला रद्द किया जा सके.

मैंने कई संस्थानो से न्याय की गुहार की, और विभिन्न संस्थानों ने भी प्रतिक्रिया स्वरुप मुझे पत्र लिखा. लेकिन कॉलेज प्रशासन ने उन संस्थानों से मेरे नाम कॉलेज में आए कई पत्रों को लौटा दिया और कई पत्रों को अपने पास दबा लिया. यह एक प्रकार से मुझे न्याय से दूर धकेलने का प्रयास है. इतना कुछ हो जाने के बावजुद कॉलेज प्रशासन का मेरे प्रति रवैया ठीक नहीं हुआ. परिणामस्वरुप मुझे अभी तक संस्पेड कर रखा है.

मैं कुलपति सर को कई बार लिखित शिकायत करके कॉलेज में मेरे साथ हो रही ज्यादतियों के बारे में अवगत करा चुकां हुँ, लेकिन कुलपति सर ने भी मेरे साथ हुई मारपीट, गाली-गलौज एवं नस्लभेदी टिप्पणीयों की जाँच के लिए किसी उच्च स्तरीय कमिटी गठित नहीं की है, ताकि पूरे मामले की निष्पक्षता से जाँच हो सके और दोषियों के खिलाफ कड़ी कारवाई की जा सके.

द्वितीय समेस्टर का परिणाम आ चुका है, जिसमें मैं 68% अकों के साथ प्रथम श्रेणी से पास हुँ. लेकिन मैं अभी भी अपने अगले समेस्टर में नामंकण को लेकर निश्चिंत नहीं हूं. कॉलेज के द्वारा मुझे कई तरह के बांड पेपर साईन करने एवं मेरी ज़मानत लेने के लिए गवाह लाने के लिए बाध्य किया जा रहा है. इन सब बातों के वजह से मैं बहुत कड़ी मानसिक प्रताड़ना से गुज़र रहा हूं.

आखिर, मेरी इस बुरी स्थिति का जिम्मेदार कौन है? पिछले पाँच महीनों से मैनें जो आर्थिक, समाजिक और मानसिक रुप से जो नुकसान उठाया है उसका हर्जाना कौन भरेगा?

देश की मीडिया से मेरी प्रार्थना है कि कृपया एक रिपोर्ट अपने अखबारों में छापे या चैनल पर दिखाएं और सोर्इ हुर्इ आत्माओं को जगाने में मेरा सहयोग करें. मेरी मानसिक स्थिति को समझते हुए, तत्काल कोई प्रभावी क़दम उठाते हुए इन सभी घटनाओं की जाँच के लिए एक उच्च स्तरीय कमिटी का गठन करवाया जाए एवं मेरे निलंबन को तुरंत प्रभाव से समाप्त करवाया जाए ताकि मेरे पढाई का और ज्यादा नुकसान ना हो. मामले में संलिप्त सभी दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कारवाई की जाए, ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं का सामना अन्य छात्रों, विशेषकर अल्पसंख्यकों को ना करना पड़े तथा उनके करियर और उनकी जिंदगी से खिलवाड़ करने की जुर्रत ना कर सके.

सधन्यवाद सहित

आरज़ू आलम

भीमराव अम्बेडकर कॉलेज( दिल्ली विश्वविधालय ) , मेन वजीराबाद रोड , यमुना विहार दिल्ली.

रोल नं-4018 , हिन्दी पत्रकारिता एवं जनसंचार पाठ्यक्रम , प्रथम वर्ष.
मो.9211934570

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